शिमला।प्रदेश की कांग्रेस की सुखविंदर सरकार ने बिजली बोर्ड के विघटन को लेकर बोर्ड के कर्मचारियों पर प्रहार पर प्रहार करने का सिलसिला जारी रखा है।
इन्हीं कर्मचारियों के दम पर सता का स्वाद चखने वाली कांग्रेस की सुक्खू सरकार ने बिजली बोर्ड कर्मचारियों को सत्ता में दो साल का अरसा पूरा होने के बाद न तो पुरानी पेंशन योजना की बहाली की है और न ही कर्मचारियों की बाकी मांगी पूरी की।
यही नहीं उल्टे आउटसोर्स पर बरसों से काम कर रहे 81 चालकों की नौकरी भी सुक्खू सरकार खा गई। अब कर्मचारियों के युक्तिकरण की आड़ में सात सौ पदों को समाप्त कर दिए गए है। साफ है कि सुक्खू सरकार बिजली बोर्ड के टूकड़े कर उसे निजी हाथों में देने के लिए हर हथकंडा अपनाने पर आमदा हो गए है।
बड़ा सवाल ये है कि क्या बोर्ड के निजीकरण से नौकरशाही के स्तर पर और नेताओं के स्तर पर किसी को निजी तौर पर लाभ मिल रहा है। अगर ऐसा है तो वो क्या लाभा है व किस स्तर का लाभ है।
बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को इसी लिए बाहर का रास्ता दिखाया था क्योंकि भाजपा भी बिजली बोर्ड को निजी हाथों में देने को आमदा थी और कांग्रेस ने ओपीएस देने का वादा किया था।
केंद्र की मोदी सरकार ने चंडीगढ़ के बिजली बोर्ड को निजी हाथों के हवाले कर दिया है। अब इससे किसे लाभ होगा ये आने वाले महीनों में सामने आ ही जाएगा। लेकिन सुक्खू सरकार को सत्ता में पहुंचाने के लिए रात दिन एक करने वाले बिजली बोर्ड के हजारों कर्मचारियों को सुक्खू ने ठिकाने लगाने का अभियान तेज किया हुआ है। इस अभियान में उने सलाहकारों की फौज और कुछ मंत्री भी शुमार हो गए है जिनमें कुछ नए पुराने नौकरशाह भी शामिल है।नौकरशाह तो मलाई लेकर उड़ ही जाएंगे लेकिन नेताओं को अपने-अपने इलाकों में दोबारा से जाना भी है।
अभी तक बिजली कर्मी इसी उम्मीद में कि सरकार बोर्ड में पुरानी पेंशन की बहाली कर देगी सरकार के खिलाफ खुलकर बाहर नहीं आ रहे थे। लेकिन अब सरकार की तमाम मंशाएं सामने आ चुकी है और अब कर्मी आर-पार की जंग के लिए अपनी कमर कसने को तैयार हो गए है।
अब देखना ये है कि बिजली बोर्ड कर्मियों से वादा खिलाफी को लेकर ये कर्मचारी कांग्रेस के सर्वेसर्वा राहुल गांधी और प्रिंयका गांधी तक अपनी आवाज पहुंचा पाते है या नहीं है। ओपीएस तो प्रियंका गांधी का वादा था। लेकिन सुक्खू सरकार उसे पूरा नहीं कर पाई।
बहरहाल अब कर्मचारी सड़कों पर आनी की तैयारी है और अगले सप्ताह यानी 11 फरवरी से हमीरपुर से सरकार के खिलाफ बिगूल फूंकने का एलान भी कर दिया गया है।
बिजली बोर्ड कर्मचारी, अभियंता और पेंशनर्ज के संयुक्त मोर्चा ने इस बावत एलापन एलान भी कर दिया है कि अगर बिजली बोर्ड के ढांचे के साथ कि जिस तरह से छेड़छाड़ की जा रही है उसके खिलाफ पुरजोर विरोध किया जाएगा और आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।
मोर्चा ने पुरानी पेंशन बहाली, युक्तिकरण के नाम पर पदों को समाप्त करने के अभियान को बंद करने और बोर्ड़ में नई भर्तियां शुरू करने को लेकर आंदोलन छेड़ने का एलान कर दिया है।
मोर्चा के प्रवक्ता हीरालाल वर्मा की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि बिजली कर्मचारियों व अभियंता के साथ जून 2010 में हुए समझौते को लागू करते हुए बिजली बोर्ड़ के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।
मोर्चा ने बिजली बोर्ड़ पेंशनर्ज के सेवानिवृति के लाभ और पेंशन की बकाया राशि की अदायगी शीघ्र करने और आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति बनाने व भविष्य में आउटसोर्स भर्ती बंद करने की मांग की है।
दसके अलावा बिजली बोर्ड में सबस्टेशन व पावर हाउस की ऑपेरशन एंड मेंटेनेंस आउटसोर्सिंग बन्द करने की मांग की है।
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