शिमला।कभी अपनी चाल, चरित्र और चेहरे को उजला दिखला कर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर देनी वाली भाजपा आज अपना प्रदेश अध्यक्ष तैनात नहीं कर पा रही है। आलम ये है कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष राजीव बिंदल के दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनने की मुहिम को किसी भी कीमत पर रोकने पर आमदा है तो पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का खेमा जयराम और उनकी टोली में से किसी को भी प्रदेश अध्यक्ष बनाने को राजी नहीं हैं।
इसी ऊहापोह के बीच भाजपा का आलाकमान खुद को असहज महसूस किए बैठा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा को वैसे ही कोई प्रदेश भाजपा में तरजीह देने को राजी नहीं है।
भाजपा आलाकमान में बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की तूती बोलती हो लेकिन जब किसी राज्य में पार्टी के टूटने की स्थिति पैदा हो जाती है तो ये दोनों भी अपने हाथ पीछे खींच लेते हैं। लोकसभा चुनावों में उतरप्रदेश की खलबली का नतीजा ये दोनों देख ही चुके हैं।
चूंकि दोनों ही खांटी नेता और चुनावी राजनीति में अपना वर्चस्व किसी भी हाल में कायम रखना चाहते हैं। यही कारण है छोटे से प्रदेश हिमाचल में पार्टी अपना अध्यक्ष नियुक्त नहीं कर पा रही है।
ऐसा नहीं है कि पार्टी के पास चेहरों की कमी है। लेकिन आलाकमान चाहता है कि जो भी पार्टी का अध्यक्ष बने वो केवल मात्र रबर स्टैंप ही हो जो आलाकमान के इशारे पर हर गोटी चलें।
उधर, राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा भी प्रदेश में अपना प्यादों को पार्टी के भीतर रखना चाहते है। ऐसे में पार्टी आलाकमान असंमजस में है कि कई झूंडों में बंटी पार्टी का अध्यक्ष किसे बनाया जाए।
हिमाचल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर आज तक महिला कभी भी नियुक्त नहीं रही है। भाजपा का दर्शन व ढांचा इस तरह का है कि उसमें महिलाओं के नेतृत्व की स्वीकार्यता कम ही है। राज्यसभा सांसद इंदू गोस्वामी ने पहले भी पार्टी अध्यक्ष पद के लिए कोशिशें की थी लेकिन शांता से लेकर जयराम तक ने उन कोशिशों को तबाह कर दिया। यही नहीं उनका विधानसभा चुनाव तक जीतना मुश्किल किया जाता रहा।
अगर केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न होते हो वो राज्यसभा भी पहुंच पाती इसमें संदेह हैं। प्रदेश अध्यक्ष के लिए उनका नाम उछाला तो जा रहा है लेकिन शांता, जयराम,नडडा व बाकी संघ से प्रेरित प्रदेश के नेता उन्हें अध्यक्ष स्वीकार करेंगे , ऐसा लगता नहीं हैं। बहरहाल,उनका पत्ता साफ होता नजर आ रहा हैं।
उनके बाद नडडा के लाडले व बिलासपुर से भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल का नाम भी उछला हुआ है । उनको आरएसएस का भी आशीर्वाद है। लेकिन धूमल-अनुराग खेमा उन्हें आगे बढ़ने देगा ये बड़ा सवाल है। इसी तरह अनुराग -धूमल के आंगन से राज्यसभा सांसद सिंकदर कुमार भी प्रदेशाध्यक्ष बनने की दौड़ में तो है लेकिन अभी तक उनको लेकर भी कोई फैसला नहीं हो पा रहा है।
कांगड़ा से भाजपा के लोकसभा सांसद राजीव भारदवाज का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए उमड़ घुमड़ रहा है लेकिन सुक्खू सरकार ने केसीसी कर्ज घोटाले में एक एफआइआर दर्ज की हुई है। इसमें भरदवाज का नाम कब जुड़ जाए और सार्वजनिक हो जाए ये पता नहीं हैं। चूंकि भाजपा को कांग्रेस के भ्रष्टाचार को उजागर करना है ऐसे में अगर भारदवाज को अध्यक्ष बनाया गया तो वो खुद ही कटघरे में घिर जाएंगे।
भाजपा आलाकमान धूमल और उरनके लाडलों को किसी भी कीमत पर चित करने का मंसूबा पहले ही पाल चुका है। रही बात मौजूदा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राजीव बिंदल की तो उन्हें जयराम और उनकी टोली ही ठिकाने लगाने में लगी हुई हैं।
संभव है कि भाजपा जल्द ही अपना प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त कर दे लेकिन उसके बाद पार्टी के भीतर जंग थम ही जाएगी ये लग नहीं रहा हैं। कांगड़ा में ध्वाला एलान-ए-जंग कर ही चुके हैं।बाकी जगह भी आसार ठीक नहीं हैं। अब बाकी नया अध्यक्ष तैनात होने पर।
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