शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर को अंतरिम राहत देते हुए प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार को हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से छीनी सारी जमीनें और होटल को वापस करने के आदेश दिए है।हाईकोर्ट के इस फैसले से वीरभद्र सिंह सरकार को बड़ा झटका लगा है।
एचपीसीए के धर्मशाला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम,होटल पेवेलियन समेत सारी जमीनों को कब्जाने के सरकार के आधी रात के कारनामों को हाईकोर्ट ने संविधान और कानून के खिलाफ करार दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार किसीको बलपूर्वक तरीके से नहीं हटा सकती।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ए एम खानविलकर और जस्टिस कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने खचाखच भरी अदालत में आदेश दिए कि वीरभद्र सिंह सरकार 26 अक्तूबर को सरकार की ओर से टेक ओवर करने से पहले की स्थिति बहाल करे व जो कुछ भी टेक ओवर किया है उसे एचपीसीए के सुपुर्द करे।हाईकोर्ट ने कहा कि अगर कोई जबरन भी किसी की जमीन में घुस गया है तो भी उसे इस तरह नहीं हटाया जा सकता। सरकार की नागरिकों के प्रति अपनी कुछ प्रतिबद्ताएं है। वह उसे परे नहीं जा सकती।
मुख्य न्यायाधीश ने लिखाए अपने फैसले में कहा कि केबिनेट ने आधी रात को लीज डीड रदद करने का फैसला लिया। इसके बाद प्रधान सचिव रेवन्यू ने डीसी को रात को ही कब्जा लेने के आदेश दिए। सरकार ने आधी रात को पुलिस पहरे में कब्जा लिया। याचिकाकर्ताओं को कोई नोटिस नहीं दिया गया।
खंडपीठ ने कहा कि सरकार लीज को रदद कर सकती है। उसे ये सब कुछ कानून का सहारा लेकर करना होगा।
ये सरकार और उसके अधिकारियों की ओर से सत्ता के मद में की गई कार्रवाई है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि अगर एचपीसीए ने गैरकानूनी तौर भीकब्जा कर रखा है तो भी सरकार इस तरह की कार्रवाई को अंजाम नहीं दे सकती।कानून के प्रति जनता में भरोसा कायम रहे इसलिए सरकार 26 अक्तूबर से पहले की स्थिति बहाल करे।
हाईकोर्ट इसके अलावा रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी को भी कोई भी अंतिम आदेश देने पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि रजिस्ट्रार अपनी कार्यवाही चला सकते है लेकिन वो हाईकोर्ट के आदेशों से पहले कोई भी अंतिम फैला न सुनाए । इसके अलावा हाईकोर्ट ने सरकार को भी कानून के मुताबिक कार्रवाई करने के आदेश दिए है। अदालत ने सरकार को 18 तारीख तक जवाब देने का समय दिया है और एचपीसीए को 25 तारीख तक रिज्वाइंडर फाइल करने का समय दिया। मामले की आगामी सुनवाई 28 नवंबर निर्धारित की गई। हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से पेश हुए वकीलों की सभी दलीलों को दरकिनार कर दिया।खंडपीठ ने कहा कि कि कानून के मुताबिक कार्रवाई करे। मामले में मेरिट पर आगे सुनवाई होगी।एचपीसीए के वकील व पूर्वमहाधिवक्ता आर के बाबा ने कहा कि एचपीसीए को अभी अंतरिम राहत मिली है और कानून की जीत हुई है।
कब –कब क्या हुआ।
प्रदेश में वीरभद्र सिंह की सरकार बनने के बाद एचपीसीए के खिलाफ विजीलेंस जांच शुरू की गई।
विजीलेंस ने धर्मशाला थाने में 1 अगस्त को एचपीसीए के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इस मामले में विजीलेंस जांच जारी है।
मई 2013 में रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी ने एचपीसीए को नोटिस जारी कर पूछा कि अगर वो कंपनी है तो दस्तावेज पेश करे।
जब एचपीसीए ने दस्तावेज पेश नहीं तो रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी ने 17 सिंतबर को सात पेज का नोटिस भेज कर एचपीसीए से जवाब तलब किया।
अनुराग ठाकुर ने बतौर एचपीसीए अध्यक्ष रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी की ओर भेजे नोटिस को यह कहकर चुनौती दे दी कि एचपीसीए अब कंपनी है ऐसे में रजिस्ट्रार के क्षेत्राधिकार में कंपनी नहीं आती।
हाईकोर्ट ने 19 सिंतबर को एचपीसीए को रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी के समक्षपेश होने के आदेशदिए और रजिस्ट्रारको आदेश दिए कि वो केवल क्षेत्राधिकार के मामले पर अपना फैसला दे बाकी कोई कार्रवाई न करे।
एचपीसीए ने 10 अक्तूबर को रजिस्ट्रार के समक्ष अपनी आपतियां रखी और रजिस्ट्रार पर पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगा दिया।
इस बीच केबिनेट ने 26 अक्तूबर को एचपीसीए को दी जमीनों की लीज डीड रदद कर दी और आधी रात को पुलिस पहरे में धर्मशाला का क्रिकेट स्टेडियम , होटलपेवेलियन समेत सारी जमीनों पर क्बजा कर लिया।
28 अक्तूबर को एचपीसीए के डायरेक्टर सुरेंद्र ठाकुर ने हाईकोर्ट में सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुण् याचिका दायर कर दी।
29 अक्तूबर को हाईकोर्ट में सरकार ने वरिष्ठ वकील सुनवाई के लिए बुलवाने का हवाला देते हुए अदालत से समय मांगा।
अदालत ने पांच नवंबर को सुनवाई रखी और सरकार के कदम को गैरकानूनी करार देते हुए सारी जमीनें अनुराग ठाकुर के सुपुर्द करने का फैसला दे दिया।
शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट ने ये फैसला सरकार के फैसले को लागू करने के तरीके पर दिया है। सरकार अपना पक्ष रखेगी। सरकार ने जो भी फैसला लिया है वह जनहित में लिया। आने वाले समय में ही पता चलेगा कि सरकार ने सही किया है या गलत। उन्होंने कहा कि अदालत ने अभी मेरिट पर फैसला नहीं दिया है। मेरिट पर सुनवाई होनी है।
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