शिमला। प्रदेश में वन्य जीव अपराध नियंत्रण इकाई स्थापित की जा जाएगी, जिसका मुख्यालय शिमला में होगा। राज्य वन्य जीव बोर्ड की आज यहां आयोजित सातवीं बैठक में इस बात पर आम सहमति बनी। इस इकाई के स्थापित होने से अवैध शिकार पर प्रभावी तरीके से अंकुश लगाया जा सकेगा। इसके दृष्टिगत, इसे किन्नौर, कुल्लू, धर्मशाला और चम्बा जैसे चिन्हित संवेदनशील क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा।मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बैठक की अध्यक्षता की। वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
वन्य जीव अपराधों पर निगरानी के प्रबन्धों एवं सहयोग को लेकर पुलिस विभाग के साथ पहले भी बैठक आयोजित की जा चुकी है। चिन्हित क्षेत्रों में पुलिस अधीक्षक स्तर का अधिकारी तैनात किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, प्रतिनियुक्ति पर उपमण्डल वनाधिकारी तथा वनपाल अधिकारी, उप-वनपाल और वन रक्षकों सहित छोटे रैंक के पुलिस अधिकारी भी तैनात किए जाएंगे। कुल्लू जिले की तीर्थन घाटी में स्थित विश्व धरोहर स्थल ग्रेट
हिमालयन नेशनल पार्क में विभिन्न संवेदनशील स्थलों पर 45 टैªप कैमरे लगाए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आम लोगों एवं पंचायतों को भी अवैध शिकार को रोकने के लिए जागरूक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को समृद्ध वनस्पति एवं जीव सम्पदा से नवाजा है, जिसमें विश्व की कुछ विरल प्रजातियां भी शामिल हैं। प्रदेश की जैव विविधता का संरक्षण प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने ही 80 के दशक में राज्य में हरित पेड़ों के कटान पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया था। इसी तरह, वन्य प्राणियों के शिकार पर भी पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया गया था, जिसे सख्ती से लागू किया जाना चाहिए, जो प्रदेश के बहुमूल्य हरित छत्र एवं वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जरूरी है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में बट्र फलाई पार्क स्थापित किया जाएगा, जिसे पांवटा साहिब के समीप सिम्बलवाड़ा में स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने चिडि़यों की कम होती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए अधिकारियों को प्रजातियों की उत्तरजीविता की अवधि बढ़ाने के लिए संरक्षण रणनीतियां तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने सराहन में जुजुराणा की सफल प्रजनन के लिए वन्य जीव शाखा की सराहना की। बैठक में जानकारी दी गई कि जुजुराणा की संख्या को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं तथा इन्हें इनके प्राकृतिक आवासों में भेजने की योजना बनाई जाएगी।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में 5.15 करोड़ रुपये की बर्फानी तंेदुआ संरक्षण परियोजना के कार्यन्वयन पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बर्फानी तेंदुओं को रेडियो काॅलर पहनाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए जिससे उनकी वास्तविक संख्या का पता लगाया जा सके। उन्होंने गिद्धांे के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा कि इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने डिकलोफिनेक दवाई की बिक्री पर नजर रखी जा रही है। यह दवा गिद्धों की मृत्यु का मुख्य कारण है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि सरकार के केवल वही अधिकारी वन्य जीव शाखा में प्रतिनियुक्त किए जाएंगे, जिन्हें वन्य जीवों, उनके आवासों, क्षेत्र की वनस्पति एवं जीव के बारे में पर्याप्त जानकारी, अनुभव और विशेषज्ञता हो।
बन्दरों के बन्धीकरण कार्यक्रम को लेकर जानकारी दी गई कि वर्ष 2007 से अप्रैल, 2015 तक प्रदेश के सात बंधीकरण केन्द्रों में 96,126 बन्दरों की नसबन्दी की गई है।
प्रधान मुख्य अरण्यपाल श्री जसजीत सिंह वालिया ने इस अवसर पर कहा कि वन्य जीव शाखा प्रदेश में ‘वन वाटिकाएं’ निर्मित करने पर विचार कर रही है। यह वन वाटिकाएं बन्दरों के प्राकृतिक आवास होंगी, जहां फलदार पौधे उगाने के अलावा प्रथम दिन से ही बन्दरों को खाद्य पदार्थों की नियमित आपूर्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप बन्दरों को हर स्थान पर हिंसक जानवर घोषित नहीं किया जा सकत, लेकिन, घनी आबादी वाले स्थलों पर बन्दरों को हिंसक जानवर घोषित किए जाने पर विचार किया जा सकता है।
श्री वालिया ने कहा कि वन्य जीव शाखा गोपालपुर चिडि़याघर में सांप पार्क, रामपुर के सराहन में एक विवेचना केन्द्र स्थापित करने पर विचार कर रही है। विभाग को प्रशांतक बन्दूकों, आधुनिक पिंजरों और अल्ट्रासांउड मशीनों से सुसज्जित किया जा रहा है।
वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने कहा कि रेणुका चिडि़याघर में कर्नाटक से बाघों का एक जोड़ा लाए जाने के अतिरिक्त गोपालपुर चिडि़याघर के लिए शेरों का एक जोड़ा लाया गया है। उन्होंने कहा कि पौंग बांध के समीप यात्रियों व पर्यटकों को जागरूक करने के लिए एक विवेचना केन्द्र निर्मित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पौंग बांध स्थल पर सूचना केन्द्र के निर्माण का कार्य प्रगति पर है और परिधीय निशान के साथ भूनिर्माण रोपण तथा पौंग बांध के रांसर व कडू टापू पर दिशा-निर्देशक बोर्ड तथा पर्यवेक्षक बुर्जों का जारी है।
पूर्व वन मंत्री एवं पूर्व सांसद प्रो. चन्द्र कुमार ने पौंग डैम स्थल पर शौचालयों और पार्किंग की सुविधा के अतिरिक्त धमेटा के वन विश्राम गृह के जीर्णोद्धार का आग्रह किया। उन्होंने नगरोटा सूरियां के समीप प्रस्तावित विवेचना केन्द्र स्थल को स्थानान्तरित करने और इसे जल निकायों अथवा पौंग जलाश्य के समीप निर्मित करने का आग्रह किया।
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