शिमला। भ्रष्टाचार के खात्मे के नाम पर पूर्व में यूपीए की केंद्र सरकार के लोकपाल कानून के प्रावधानों से हटकर कड़े प्रावधानों वाले प्रदेश लोकायुक्त कानून को पास करने के लिए राज्यपाल कल्याण सिंह ने प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार के लोकायुक्त बिल को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भेज दिया है।हिमाचल विधानसभा की ओर से पास किए इस बिल को तभी कानून माना जाएगा जब राष्ट्रपति से मंजूरी मिल जाएगी।
राज्यपाल कल्याण सिंह ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से इस बिल के प्रारुप को मंजूरी देने का आग्रह किया है। राज्यपाल ने कहा है कि इससे भ्रष्टाचार से निपटने में मदद मिलेगी।
प्रदेश विधानसभा ने जो लोकायुक्त बिल पास कर रखा है उसमें बहुत से प्रावधान केंद्रीय लोकपाल एक्ट के प्रावधानों के विपरीत है। जब तक राष्ट्रपति राज्यपाल की ओर से भेज इस एक्ट को मंजूरी नहीं दे देते तब तक केंद्रीय एक्ट ही लागू होगा। राज्य विधानसभा की ओर से पास एक्ट का ऐसी स्थिति में कोई मायने नहीं है। प्रदेश विधानसभा से पास बिल में लोकायुक्ता को बिना प्रॉस्क्यिूशन सेंक्शन के भ्रष्टारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देने का प्रावधान है। इसके अलावा अगर लोकायुक्त के आदेशों की कोई अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ अवमानना कीकार्रवाई चलाने का प्रावधान भी इस बिल में है।जबकि लोकायुक्त को आईपीसी कीकई धाराओं के तहत कारर्वाई करने कीशक्तियां देने का प्रावधान भी है।
ये सारे प्रावधान पूर्व की यूपीए सरकार की ओर से बनाए लोकपाल काूनन में नही और ये इस कानून के विपरीत है।राज्यपाल कल्याण सिंह ने इन प्रावधानों वाले प्रदेश सरकार के इस लोकायुक्त बिल को मंजूरी देने का आग्रह कर इसे आज शुक्रवार को राष्ट्रपति को भेज दिया है। राज्यपाल के प्रधान सचिव संजय गुप्ता ने बिल को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजने की पुष्टि की।अगर राष्ट्रपति से इस बिल को मंजूरी मिल जाती है तो ये प्रदेश में कानून बन जाएगा और इसमें कें्रदीय लोकपाल कानून से हटकर लेकिन कड़े प्रावधान भी होंगे। फिलहाल अब गेंद राष्ट्रपति के पाले में है।
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