शिमला।लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने संसद व विधानसभाओं में छोटे-छोटे मुद्दों पर सदन की कार्यवाहियों में सांसदों व विधायकों की बाधा डालने की प्रवृति पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इससे व्यवस्था में लोगों का विश्वास कम होने लगा है। ये लोकतंत्रीय प्रणाली और चरित्र के लिए घातक है। इस पर विराम लगाया जाना चाहिए।
लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्वर्ण जयंती समारोह के मौके पर विधानसभा के संयुक्त सत्र में बोल रही थी।उन्होंने संसद के मानसून सत्र का हवाला देते हुए कहा कि 74 घंटे व्यवधानों में बर्बाद कर दिए।
उन्होंने कहा कि जनता सांसदों व विधायकों को इसलिए चुनकर भेजती है ताकि वो उनके हितों की समस्याएं उठाएं।वो सामाजिक बदलाव के अगुवा बन मिसाल पेश कर सकते है।
उन्होंने सांसदों व विधायकों के अलावा जनता से भी आहवान किया कि वो कानून का पालन करे और उन्हें स्वीकार करे।देश में दहेज प्रथा,छुआछूत ,मैला ढोने जैसे दर्जनों कानून है लेकिन ये सारी प्रथाएं आज भी मुंह बाएं खड़ी है।
उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि इस पहाड़ी प्रदेश की साक्षरता 83 प्रतिशत तक पहुंच गई है जिसमें महिलाओं की साक्षरता 76 प्रतिशत है।मीरा कुमार ने कहा विधानसभा जो पहले कौंसिल चैंबर था ,यहां पर युगांतरी घटनाएं घटी है।
स्वर्ण जयंती समारोह का आगाज विधानसभा स्पीकर बृज विहारी बुटेल ने स्वागत भाषण से किया गया। इसके बाद विपक्षके नेता प्रेमकुमार धूमल ने संयुक्त सत्र को संबोधित किया।उनके बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि मीरा कुमार महान पिता की महान बेटी है।लोकसभा स्पीकर आखिर में बोली।
स्वर्ण जयंती समारोह के मौके पर स्पीकर मीरा कुमार ने विधानसभा के चार वयोवृद्ध पूर्व विधायकों को सम्मानित भी किया।इनमें रोहड़ू से पहली बार 1957 में चुनकर आए विधायक नेहर सिंह,1962 में चुन कर आए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम, चंबा से 1962 में ही चुनकर आई रानी पदमा और 1967 में आनी से विधायक बने ईश्वर दास शामिल थे।
मीरा कुमार ने इस मौके पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा –उदगम और विकास व स्वर्ण जयंती 1963-2013 स्मारिका का विमोचन किया।
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