धर्मशाला।भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के ड्रीम प्रोजेक्ट धर्मशाला के क्रिकेट स्टेडियम व होटल पेवेलियन में की गई धांधलियों के मामले में प्रदेश विजीलेंस ने एफआईआर दर्ज कर दी है।विजीलेंस धर्मशाला की अदालत के आदेशों पर मामले की जांच कर रही थी।एसपी विजीलेंस धर्मशाला विमल गुप्ता के मुताबिक जांच जारी है।विजीलेंसे ने आईपीसी की धारा 406,420 व120बी के तहत मामला दर्ज किया है। सांसद अनुराग पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बड़े बेटे है।
एचपीसीए कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर है जबकि सरकारी दस्तावेजों में सोसायटी एक्ट के तहत भी रजिस्टर है।
इस मामले में प्रदेश सरकार अतिरिक्त मुख्य सचिव के स्तर के वरिष्ठ आईएएस अफसर दीपक सानन व आईएएस आर एस गुप्ता को पहले ही चार्जशीट कर दिया है।विजीलेंस की ओर से एफआईआर दर्ज कर देने से भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर संकट में आ गए है। गुप्ता ने कहा कि जांच के दौरान इस मामले में कलाबाजियां दिखाने वालों की धरपकड़ की जाएगी।
विजीलेंस को एचपीसीए ने दिखाई थी दबंगई
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की अगुवाई में चल रही एचपीसीए ने विजीलेंस के अधिकारियों को दबंगइ्र थी। विजीलेंस ने एचपीसीए से रिकार्ड मांगा था। लेकिन एचपीसीए ने विजीलेंस को रिकार्ड देने से इंकार कर दिया था। विजीलेंस ने इस पर एचपीसीए को नोटिस जारी किया है।
डेढ कनाल जमीन पर अवैध कब्जा
उधर,एचपीसीए की ओर से यहां डेढ कनाल सरकारी जमीन पर अवैध करने का खुलासा हुआ है। अधिकारियों के मुताबिक एचपीसीए ने यहां बने आलीशान होटल पेवेलियन को इंडियन टूरिज्म कारपोरेशन को देने की मुहिम भी चलाई थी। इस तरह के दस्तावेज अधिकारियों के हाथ लगे है।
धूमल सरकार के कार्यकाल में 2009 धर्मशाला में अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम व होटल पेवेलियनबनाने के लिए कॉमन विलेज लेंड की 43 बीघा जमीन आबंटित की थी और 2012 में इसके कमर्शियल यूज की अनुमति दी थी।
उधर, 28 जनवरी 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में कहीं भी कॉमन विलेज लैंड को आवंटित करने पर रोक लगा दी थी।सुप्रीम कोर्ट ने साफ लिखा था कि अगर इस जमीन पर किसी ने भारी कंस्ट्रक्शन व निवेश भी कर दिया है या कोई राजनीतिक कनेक्शन है तो भी इस जमीन को नियमित न किया जाए। इसे वापस लिया जाए।सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस आदेश की पालना करने के लिए सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरीज को ये आदेश भेजे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो इन आदेशों की पालना करने के लिए स्कीम बनाए और अदालत को रिपोर्ट करे। 2011 में ये आदेश तत्कालीन चीफ सेके्रटरी राजवंत संधू के पास आए थे। इन आदेशों का सचिवालय में क्या हुआ इस की छानबीन की जा रही है। जाहिर सी बात है कि ततकालीन चीफ सेक्रेटरी ने इस मामले में कुछ किया होगा। उस समय प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री थे तो गुलाब सिंह ठाकुर रेवन्यू मिनिस्टर थे।इन दोनों के नोटिस में सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश जरूर आया होगा।
उधर,एचपीसीए ने इस राजनीति प्रेरित मामला बताया है। एसोसिएशन के प्रेस सचिव मोहित सूद के हवाले से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है सरकार की इस मुहिम का मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा।
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