शिमला।ज्यादा कर्जें लेने का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपनी सरकार के वितीय प्रबंधन को फुलप्रूफ करार देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उधर ,केंद्र पर ठीकरा फोड़ जाने से खफा विपक्षी भाजपा ने सदन से वॉकआउट किया तो कांग्रेस विधायक चुटकी लेने से बाज नहीं आए। वीरभद्र सिंह विधानसभा में बजट अनुमानों पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने योजना आयोग को समाप्त कर दिया जिसकी वजह ये प्रदेश को मिलने वाली प्लानिंग ग्रांट में 3000 करोड़ रुपए की सालाना कमी आ गई हैं। कर्जों में बढ़ोतरी इसलिए करनी पड़ी क्यों कि 2013-14 और 2014-15 में राजस्व घाटा अनुदान में कमी हो गई और वेतन आयोग की सिफारिशें को पंजाब ने लागू कर दिया तो हिमाचल को भी इन्हें लागू करना पड़ा ।
13वें वितायोग की सिफारिशों के मुताबिक प्रदेश को 2010-11के पहले साल को राजस्व घाटा अनुदान के 2232 करोड़ मिले लेकिन आखिरी साल 2014-15 में 406 करोड़ ही मिला।
वीरभद्र सिंह ने केंद्र सरकार में ठीकरा फोड़ना जारी रखा व कहा कि यही नहीं 2013-14 व 2014-15 में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी में से केवल 528 करोड़ ही मिले । ऐसे में प्रदेश में प्रदेश सरकार को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के तीन फीसद से ज्यादा का कर्ज लेना पड़ा।
इसी तरह 14वें वितायोग ने भी प्रदेश के लिए मिलने वाले केंद्रीय करों की हिस्सेदारी को ओवर एस्टीमेट कर दिया। 2015-16 के लिए प्रदेश को 4441 करोड़ के मुकाबले 3611 करोड़ रुपए ही मिलें। इसी तरह 2016-17 में भी 4778 करोड़ के मुकाबले 4343 करोड़ रुपए ही मिलेंगे। आलम ये रहा कि 14 वें वितायोग की पांच साल की अवधि के पहले दो सालों में प्रदेश को केवल 966 करोड़ रुपए ही मिले हैं।
उन्होंने कहा कि2014-15 में सरकार कर्ज को 13 वें वितायोग की कर्ज के सकल घरेलू उत्पाद के 40.1 फीसद की प्रोजेक्शन के मुकाबले कर्ज को 34.8 फीसद तक रखने में कामयाब रही ।
वीरभद्र सिंह ने साथ ही कहा कि प्रदेश सरकार ने जो भी कर्ज बाजार से लिया हैं वो केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद ही लिया हैं।
बजट अनुमानों पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल व भाजपा सदस्यों ने बार बार ये मसला उठाया था कि वीरभद्र सिंह सरकार ने प्रदेश को कर्ज के गर्त में डूबों दिया हैं जबकि केंद्र की मोदी सरकार प्रदेश सरकार को बहुत ज्यादा पैसा दे रही हैं । भाजपा विधायकों ने बजट चर्चा के दौरान ये भी दावा किया था कि प्रदेश सरकार अपने संसाधनों से कर व गैर कर से आय बढा़ने में नाकाम रहा हैं।
इसका जवाब देते हुए वीरभद्र सिंह ने कहा कि 2012-13 में सरकार ने करों से 4626 करोड़ रुपया एकत्रित किया था जो 2015-16 में बढ़कर 6341करोड़ तक बढ़ गया हैं। 2017-18 में ये आंकड़ा 7945 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान हैं।
अभी उन्होंने केंद्र द्धारा प्रदेश से नाइंसाफी करने का भंडा फोड़ा ही था कि नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल अपनी सीट पर उठ खड़े हुए व कहा कि आप कई मसलों पर जानबूझ कर जवाब नहीं दे रहे हैं। उन्होंने इस बात पर बोलना जारी रखा व कहा कि उन्हें जाना हैं। बाद में वो सदन से चले गए तो सारा विपक्ष सदन से वॉकआउट कर गया। इस पर कौल सिंह ठाकुर ने चुटकी ली व कहा कि धूमल को तो काम हैं वो इसलिए गए लेकिन बाकी एमएलए क्यों चले गए। सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि ये जवाब नहीं सुनना चाहते।
मुख्यमंत्री के जवाब के बाद कौल सिंह ने स्पीकर बृज बिहारी बुटेल से आग्रह किया विपक्ष के वॉकआउट को वॉकआउट न माना जाए।
धर्मशाला को दूसार राजधानी बनाने पर विपक्षी सदस्यों के सवालों के जवाब देते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि शिमला से किसी भी कर्मचारी को धर्मशाला नहीं भेजा जाएगा और न ही किसी कार्यालय से यहां से ले जाया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि सचिवालय को यहां से कहीं नहीं ले जाया जा रहा हैं।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि शिमला का महत्व कभी भी खत्म नहीं होगा।
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