शिमला। मोदी सरकार की फजीहत कराने वाले वन रैंक -वन पैंशन मुददे की फाइल छह महीनों तक मोदी के करीबी मंत्री अरुण जेटली केवित मंत्रालय में घुमती रही । ये खुलासा किसी और ने नहीं हिमाचल प्रदेश भाजपा एक्स सर्विसमैन सेल के प्रमुख ब्रिगेडियर(रिटायर)लाल चंद जसवाल ने राजधानी शिमला में किया । उन्होंने कहा कि नौकरशाही एक बार फिर इस मसले को लटकाने पर आ गई थी लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने दखल देकर इस मामले को सुलझा लिया है। 11सितंबर को चंडीगढ़ में प्रधानमंत्री मोदी के आभार के लिए होने वाली रैली में प्रदेश भर से पूर्व सैनिक चंडीगढ़ जाएंगे।
ब्रिगेडियर जसवाल ने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का नाम लिए बगैर आजादी से लेकर अब तक देश में रही कांग्रेस सरकारों पर हमला बोलते हुए कहा कि 1947 में आजादी से पहले आईसीएस अफसरों और सेना के अफसरों का मासिक वेतन 1200 रुपए था। आजादी के बाद आईसीएस अफसरों का वेतन तो वही रहा लेकिन सेना के अफसरों का वेतन 700 कर दिया। तब से लेकर अब तक कांग्रेा सरकारें व नौकरशाही ने फौज को नीचा दिखने का कोई मोैका नहीं छोड़ा।1962 की जंग से पहले सेना को आदेश दिया गया कि वो निर्माण कार्य में लग जांए और सेना जालंधर में निर्माण कार्यों में लगा दी गई।
लेकिन 62 में चीन सेमिली हार के बाद सरकार जागी। 1965 में सेना ने पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया व 1971 में सेना ने देश कोजबरदस्तजीत दिला कर बांग्लादेश को आजाद देश घोषित करवाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। लेकिन उसका सिला सेना को उल्टा मिला और 1973 में सेना का वेतन तो बढ़ा दिया लेकिन पेंशन को 70 फीसद से 50 फीसद कर दिया।चौथे वेतन आयोग ने उनकी पे तो बढ़ा दी लेकिन पे स्केल कम दिया।
सबसे ज्यादा नुकसान छठे वेतन आयोग ने किया।इस आयोग ने नान फंक्शनल अपग्रेडेशन शुरू किया।जिसके तहत आईपीएस अफसर 14 साल में डीआईजी,19 साल में आईजी बनाने का जुगाड़ हो गया। और इस साल के केडर का अगर अफसरप्रमोट होता है तो उस साल के केडर के सभी अफसर प्रमोट हो जाते है।इसलिए पुलिस में टॉप हैवी हो गया और नीचे लोग अनुपात में कम हो गए।छोटे से दिल्ली में10 डीजीपी है। 70-80आईजी है। डीआईजी एसपी का काम देख रहे है। डीजीपी को 80 हजार का ग्रेड पे देदिया । ऐसे में रिटायर होने पर 40 प्रतिशत की पेंशन तय करदी है। लेकिन सेना के अफसरों के लिए ऐसा कुछ नहीं है। एक ब्रिगेडियर को इस पद तक पहुंचने केलिए 28साल लगते है। लेकिन एक केडर साल के सभी अफसर ब्रिगेडियर नहीं बनते।
ऐसे में वेतन में विसंगति आ गई है। लेकिन रक्षा मंत्री मनोहर पारिकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाौकरशाही की नहीं सुनी और वन रैंक वन पेंशन का रास्ता साफ कर दिया।
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