शिमला। केंद्र की मोदी सरकार के इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट नामक एजेंसी के हाथ सीएम वीरभद्र सिंह के प्रधान निजी सचिव सुभाष आहलुवालिया के खिलाफ पिछले तीन सालों में ऐसे क्या लगा है जो उसे बंद हो चुके मामले को दोबारा खोलकर उनसे पूछताछ करनी पड़ी है।अब सबकी निगाहें यही जानने में लगी है। कहा जा रहा है कि ये नरेश आहलुवालिया नामक शख्स का पेच कहीं उन्हें फंसा न दे । अगर ऐसा हुआ तो सीएम पर भी हाथ डल सकता है।
सुभाष आहलुवालिया के आय से अधिक संपति मामले की जांच 2008 में धूमल सरकार ने प्रदेश के विजीलेंस विभाग से कराई थी। विजीलेंस ने अपनी जांच में पाया था कि आहलुवालिया की संपति अंडरवैल्यू है। विजीलेंस ने मामला तैयार कर सरकार को भेज दिया था। कहा जा रहा है कि विजीलेंस ने उसी समय कमजोर मामला बनाया था। इस तरह का ईशारा ईडी के अफसर अब कर रहे है और वो विजीलेंस की जांच पर सवाल उठा दे इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता। विजीलेंस ने प्रॉसिक्यूशन सेंकशन मांगी थी लेकिन पूर्व मनमोहन सिंह सरकार ने प्रॉस्क्यिूशन सेंक्शन नहीं दी थी , इसलिए मामला अदालत तक नहीं जा पाया। विजीलेंस की ओर से की गई जांच में दस्तावेज पर सुभाष आहलुवालिया के चचरे भाई नरेश आहलुवालिया का नाम कही भी रिकार्ड पर नहीं आया था। अब ईडी ने इसी नरेश आहलुवालिया पर फोक्स किया । सूत्रों के मुताबिक नरेश आहलुवालिया के खातों से विदेश में रह रहे सुभाष आहलुवालिया के बेटे व बेटी के खातों में बड़ी रकमें जाती रही है। सूत्र बताते है कि नरेश आहलुवालिया के पास ही उनका बेटे व बेटी काम करते है।
धूमल के शासन काल में ये जांच 2012-13 तक चलती रही। तब तक उसके पास नरेश आहलुवालिया कहीं भी रिकार्ड में नहीं आया था। ऐसे में अब सवाल उठाया है कि नरेश आहलुवालिया को लेकर ईडी के हाथ ऐसा क्या लगा हैजिसे लेकर ईडी को बंद हो चुका मामला दोबारा खोलना पड़ा है। सवाल ये है कि क्या दिसबंर 2012 से लेकर अब तक सुभाष आहलुवालिया की ओर से बड़ी रकमें विदेशों भेजी गई और क्या ये नरेश आहलुवालिया के जरिए हुआ है। ईडी को ये भी संदेह है कि ये नरेश आहलुवालिया कोई फर्जी शख्स है। असल में नरेश आहलुवालिया कोई है ही नहीं और सारा लेने देन फर्जी तरीके से हो रहा है। ये केवल संदेह है। ईडी ने इसी लिए नरेश आहलुवालिया के अमेरिका व भारत के पते बताने को आहलुवालिया को कहा था। पूछताछ में आहलुवालिया ने नरेश आहलुवालिया के बारे में क्या जानकारी दी इसे लेकर ईडी के अफसर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।
उधर दो जून को आय से अधिक संपति व विदशों में पैसे भेजने के मामले में केंद्रीय वित मंत्रालय की आर्थिक अपराधों की जांच करने वाली एजेंसी इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सबसे करीबी अफसरव उनके प्रधान निजी सचिव सुभाष आहुलवालिया से लंबी पूछताछ की है।सुभाष आहलुवालिया 12 बजे निजी गाड़ी में ईडी के कार्यालय पहुंचे । वह अपने साथ दस्तावेजों का पुलिंदा भी ले गए थे। इसे पहले मोदी सरकार की सीबीआई ने वीरभद्र सिंह के खिलाफ दस दिन पहले ही पीई दर्ज की थी।
सूत्रों के मुताबिक पूछताछ ईडी के एएसपी भूपेंद्र सिंह नेगी के अगुवाई में पूरी टीम ने की। सुभाष आहलुवालिया से करीब अढाई घंटे तक पूछताछ की गई व उसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया। ईडी ने इससे पहले सुभाष आहलुवालिया को 22 अप्रैल को सम्मन जारी किया था लेकिन वो हाजिर नहीं हुए थे। उसके बाद उन्हें22 जून को और तलब किया । इस दिन सुभाष आहलुवालिया ने सम्मन पर ही लिख दिया था कि वो चूंकि मुख्यमंत्री के साथ पहले की अंगेज है इसलिए पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हो सकते। इसे सीएम से भी इंडोर्स करा दिया था। इसलिए वो आज हाजिर हुए।
22 अप्रैल को ईडी की ओर से सुभाष्ज्ञ आहलुवालिया को भेजे सम्मन के साथ उनसे पासपोर्ट व पिछले दस सालों में विदेशों की यात्राओं कर विवरण व दस्तावेज लाने को कहा गया था। इसके अलावा उनके व उनके परिवार के सदस्यों के देश व विदेशों में तमाम बैंक खातों व लॉकरों का विवरण व दस्तावेज भी मांगे थे। ईडी के एएसपी भूपेंद्र सिंह नेगी की ओर से भेजे सम्मन में येभी कहा गया था कि उन्होंने व उनकेपरिवार के सदस्यों की ओर से पिछले दस सालों में जितनी भी संपति की खरीद फरोख्त की है , उनका विविरण व दस्तावेज साथ लाएं।
ईडी ने सुभाष आहलुवालिया के दूर के चचेरे भाई नेरश आहलुवालिया जो अमेरिका में रहते है का पता व कारोबार और उनका व उनके माता पिता के भारत का पता बताने को भी कहा था।नरेश आहलुवालिया के भारत व विदेशों में बैंक खातों की डिटेल व सारे लेनदेन की बैंक स्टेटमेंट लाने के निर्देश भी दिए थे।नरेश आहलुवालिया की ओर से सुभाष आहलुवालिया के अमेरिका में रह रहे बेटे व बेटी के खातों में जमा कराई गई राशि का ब्योरा व विदेशों को भेजा व वहां से भारत को लाए के पैसो का विवरण भी मांग गयाा था। समझा जा रहा है कि ईडी ने सुभाष आहलुवालिया से आज इन्हीं मसलों पर पूछताछ की गई और दस्तावेज जांचे गए।
ईडी केंद्रीय वित मंत्री अरुण जेटली के अधीन है। इससे पहले मोदी सरकार की सीबीआई मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ पीई दर्ज कर चुकी है। कहा जा रहा है कि सीबीआई वीरभद्र सिंह को एक प्रश्नावली दे चुकी व वो दिल्ली में उसीप्रश्नावली का जवाब बनाने गए थे।इसके अलावा कहा जा रहा है कि वीरभद्र सिंहके एलआईसीएजेंट आनंद चौहान से सीबीआई पूछताछ कर चुकी है और आयकर विभाग से पिछले सप्ताह कुछ दस्तावेज भी ले गई है।
प्रदेश सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व उनके बेटों के खिलाफ कई मामले शुरू कर रखे है। वीरभद्र सिंह कह चुके है कि से सब धूमल करवा रहे है। लेकिन मजे की बात है कि वीरभद्र सिंह खुद अपनी एजेंसियों से धूमल व उनके बेटों के खिलाफ मामलों को आगे नहीं बढ़ा पाए है। कहा जा रहाहै कि समझौते के प्रयास हो रहे है। इसीलिए सीबीआई ने एफआईआर के बजाय पीई दर्ज की। लेकिन ये सारी सूनाएं अपुष्ट है।
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