शिमला।एनजीटी या राष्ट्रीय हरित पंचाट के नवंबर 2017 के आदेश के बिलकुल उल्ट जाकर पांचवें व चुनावी साल में जयराम सरकार ने शहर के कोर व हरित पटटी में निर्माण को लेकर आज आपतियों व सुझाावों के लिए अधिसूचित किए गए शिमला विकास योजना के मसौदे में प्रावधान कर शहर के आम आदमी को राहत का सपना दिखाने का काम किया है । शहरी विकास व नगर नियोजन मंत्री सुरेश भारदवाज ने आज शिमला विकास योजना के मसौदे को राजधानी में जारी किया।
याद रहे पंचाट ने नवंबर 2017 में शहर के कोर इलाकों में आपातकालीन सेवाओं के लिए निर्माण के अलावा बाकी तमाम तरह के निर्माण पर पाबंदी लगाई हुई है जबकि गैर कोर इलाकों में केवल ढाई मंजिला मकान बनाने की इजाजत थी। इस निर्माण के लिए भी पंचाट की ओर से गठित सुपरवाइजरी समिति की इजाजत जरूरी हैं। यह मामला अभी उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के लिए लंबित है व वहां से फैसला आना बाकी है। लेकिन सरकार ने इस बीच यह मसौदा आज जारी कर दिया है।
शिमला विकास योजना के इस मसौदे में कोर इलाकों में रिहायशी मकानों के लिए 150 वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों पर रहने योग्य एटिक के साथ दो मंजिला मकान बनाने का प्रस्ताव कर दिया है। इसमें पार्किंग भी शामिल हैं। इसके अलावा कारोबार के लिए किए जाने वाले भवनों के निर्माण के लिए भी इसी तरह का प्रावधान किया है।
कोर इलाकों के अलावा शहर की हरित पटटी में जहां पर कुछ ऐसे भूखंड खाली पड़े है जिनके दोनों ओर भवन खड़े हो चुके और वहां पर पेड़ व झाडि़या भी नहीं हैं में भी निर्माण प्रस्तावित कर दिया है। ऐसे भूखंडों में रहने योग्य एटिक के साथ एक मंजिल भवन के निर्माण का प्रावधान किया है। इसके अलावा यहां पर एफआरए यानी फलोर रेशो एरिया को भी सामान्य 1.7 के मुकाबले कम कर 1.0 कर दिया है।शहर की हरित पटटी में पंचाट के आदेशों से पहले ही निर्माण पर पाबंदी लगी हुई है। अब आशिंक तौर पर ही सही लेकिन इसे भी निर्माण के लिए खेल दिया है।
नगर नियोजन और शहरी विकास मंत्री सुरेश भारदवाज ने इस मौके पर कहा कि हरित पटटी में ऐसे भू मालिकों को निर्माण की इजाजत न देना उनके साथ बेइंसाफी है, सरकार ऐसा समझती है।
भारदवाज ने कहा कि गैर कोर इलाकों में रिहायशी मकानों के लिए 150 वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों पर रहने योग्य एटिक के साथ तीन मंजिल व एक पार्किंग की मंजिल समेत मकान बनाने का प्रस्ताव कर दिया है। इसके अलावा ढाइ सौ वर्ग मीटर से ज्यादा के भूखंडों पर कारोबार के लिए बनाए जाने वाले भवनों के निर्माण के लिए चार मंजिल, पार्किंग की मंजिल और रहने योग्य एटिक के निर्माण का प्रस्ताव कर दिया है।याद रहे ये सभी प्रस्तावित प्रावधान एनजीटी के 16 नवंबर 2017 के आदेशों के बिलकुल विपरीत है।
भारदवाज ने सभी हितधारकों से एक महीने के भीतर इस मसौदे पर आपतियां व सुझाव देने का आग्रह किया है और कहा कि इन आपतियों व सुझावों के मिलने के बाद सरकार उन पर गौर करेगी और उसके बाद विधि विभाग से राय लेकर इस विकास योजना को मंत्रिमंडल से मंजूर कराया जाएगा। उसके बाद शिमला विकास योजना को अंतिम रूप देकर इसे अधिसूचित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि शिमला विकास योजना को केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत भौगोलिक सूचना तंत्र के आधार पर तैयार किया गया है व इसे तैयार करने का काम एक सलाहकार कंपनी को दिया गया था।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हरित पंचाट और प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी शिमला विकास योजना को तैयार करने के आदेश दे रखे है।
यह पूछे जाने पर कि क्या इस मसौदे को तैयार करने के दौरान सुपरवाइजरी समिति के विशेषज्ञों से भी राय ली गई थी। भारदवाज ने कहा कि इसकी कोई जरूरत ही नहीं थी लेकिन नियोजन विभाग के अधिकारियों ने बहुत काम किया है। पंचाट ने शहर में किसी भी तरह के निर्माण को लेकर किसी भी तरह की मंजूरी देने के लिए सुपरवाइजरी समिति व इंप्लीमेंटेशन समिति का गठन किया हुआ है। इस समिति में वाडिया इंस्टीटयूट आफ हिमालयन ज्योग्राफी, इंजीनियरिंग कालेज पंजाब, चड़ीगढ़ और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। इसके अलावा इन दोनों समितियों में राज्य के बहुत से अधिकारी अलग से है। पंचाट ने बाहर के विशेषज्ञों को समिति में इसीलिए रखा था ताकि सरकार के दबाव में कोई निर्माण न हो सके।
यह पूछे जाने पर कि इस विकास योजना को अंतिम रूप देने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि आपतियां व सुझाव कितने आते हैं यह इस पर निर्भर करेगा। तीन महीने में अंतिम रूप दिया जा सकता है।
यह पूछे जाने पर कि आज जारी किए शिमला विकास योजना के मसौदे यह पूछे जाने पर कि आज जारी किए शिमला विकास योजना के मसौदे की हैसियत क्या है। यह कानूनी है या गैर कानूनी है। भारदवाज इस प्रश्न पर असहज हो गए व बोले की यह सवाल ही गैरकानूनी है।
यह पूछे जाने पर की इस मसौदे को पहले भी लाया जा सकता था आज सरकार के पांचवे व चुनावी साल में ही क्यों लाया गया है।
उन्होंने कहा कि यह जयराम सरकार ही है जो इस मसौदे को लाई है। नगर नियोजन विभाग 1979 में बन गया था लेकिन तब से अब तक किसी ने इस योजना को नहीं बनाया। तब तो किसी ने इस सवाल को नहीं पूछा । यह पूछे जाने पर इस दौरान भाजपा की सरकार भी सता में रही। भारदवाज ने कहा कि तो क्या हुआ । यह जयराम सरकार ही है जो चालीस बाद शिमला विकास योजना को तैयार कर रही है ।
हजारों अनाधिकृत भवनों से कोई नाता नहीं
भारदवाज ने कहा कि इस मसौदे में शहर के हजारों अनाधिकृत भवनों को नियमित करने से कोई नाता नहीं है। वह बिलकुल अलग मामला है। वह मामला रिटेंशन नीति के तहत आना था। पिछली सरकार ने एक कानून बनाया था लेकिन उसे अदालत ने निरस्त कर दिया था । इस बावत अलग से कुछ किया जाएगा।जाहिर है शहर के हजारों अनाधिकृत भवनों को लेकर जयराम सरकार भी शायद ही कुछ कर पाए।
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