शिमला। सियाचीन में ग्लेशियर के नीचे दब कर शहीद हुए कुनिहार के दोची गांव के जवान मनीष ठाकुर का आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया है। गांव में उनक ा शव पहुंचने पर माहौल पूरी तरह से गमगीन हो गया। इस मौके पर उन्हें 21 तोपों की भी सलामी दी गई। मनीष कुमार कुल 22 साल के थे। उनका एक और भाई है वह दुबई में नौकरी करता है। भाई की
मौत की खबर सुनकर वह दुबई से घर चला आया था। सियाचीन में तैनात चार दिनों में छुटटी पर घर आने वाला था व माता पिता व परिवार वालों को उसका बेसब्री से इंतजार था। वह दीपावली की छुििटटयों पर भी घर नहीं आया था।
लेकिन आज जब तिरंगे में बेटे का शव सेना के जवानों ने घर के आंगन में रखा तो माहौल बेहद गमगीन हो गया और हरेक आंख नम हो गई। हर ओर से चीत्कार सुनाई दे रही थी। मनीष की मां मीरा देवी बेटे के के पार्थिव शरीर से लिपट गई तो परिजनों व सेना के जवानों को उन्हें वहां हटाना मुश्किल हो गया। इसी तरह बाकी महिलाएं व पिता रामस्वरूप भी बेहाल हो गए। आखिर में
लोगों ने शहीद के माता पिता व अन्य परिजनों को ढांढस बंधाया व भारत माता की जय के नारों के बीच सेना के जवानों ने उनके शव को शमशान घाट पहुंचाया। इस मौके पर सैंकड़ों लोग पहले शहीद मनीष के घर पहुंच गए व उसके बाद शमान घाट में भी गमगीन लोगों की भीड़ जुट गई।
मनीष ठाकुर दो साल पहले की सेना में भर्ती हुआ था व वह डोगरा रेजीमेंट में था। हादसे वाले दिन वह सियाचीन में एक चौकी में बीमार हुए जवान को वहां से निकालने के लिए अपने साथियों के साथ गया था लेकिन वह व उसके साथ ग्लेश्यिर की चपेट में आ गए। इसकी जानकारी साथ वाली चौकी के जवान ने सेना की बाकी चौकियों तक पहुंचाई । सेना ने हालांकि राहत व बचाव कार्य चलाया लेकिन बेहद सर्दी होने की वजह से इस हादसे में मनीष समेत चार जवानोें की मौत हो गई थी। मनीष का पार्थिव शरीर आज दो बजे के आस पास उनके गांव दोची पहुंचा।
सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री राजीव सैजल ने जयराम सरकर की ओर से उन्हें श्रद्वाजंलि अर्पित की । इसके अलावा जिला सैन्य अधिकारियों व प्रशासन ने भी शहीद मनीष ठाकुर को श्रद्वासुमन अपर्ति किए।
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