शिमला। मनी लांड्रिंग मामले में दिल्ल हाईकोर्ट ने इडी से पूछा की उसने वीरभद्र सिंह को गिरफतार क्योंन नहीं किया। इडी ने हाईकोर्ट में मनी लांड्रिंग मामले में वीरभद्र के कारोबारी मित्र वककामूला चंद्रशेखर की जमानत रदद करने की अर्जी लगाई थी। अर्जी की सुनवाई करते हुए इडी को फजीहत का सामना करना पड़ा जमानत रदद करने की अर्जी वापस लेनी पड़ी ।
अर्जी पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए इडी से पूछा कि उसने जांच के दौरान मामले में मुख्य आरोपी को गिरफतार क्यों नहीं किया था। अदालत ने पूछा कि वह सह आरोपी की जमानत किस आधार पर रदद करने की मांग अदालत से कर रहे है जबकि मुख्य आरोपी की जमानत को रदद करने जैसी कोई बात ही नहीं हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस आर के गाबा के इन सवालों का इडी के पास कोई जवाब नहीं था। स्थिति को देखते हुए जस्टिस गाबा ने इडी के वकीलों से कहा कि वह एजेंसी से दोपहर बाद तक अदालत को बताएं की उनका क्या जवाब हैं।
कोई जवाब न होने की वजह से इडी ने दोपहर बाद वक्कामूला चंद्रशेखर की जमानत को रदद करने के लिए इडी की ओर से दायर अर्जी को वापस ले लिया। इडी की ओर से पैरवी कर रहे वकील नितेश राणा ने कहा कि इडी ने अपनी अर्जी वापस ले ली।
जस्टिस गाबा की अदालत में इडी ने तारिणी इंफ्रास्ट्रक्चर के मालिक वकामूला चंद्र शेखर की जमानत को खारिज करने को लेकर दायर अर्जी की सुनवाई हो रही थी। इडी की दलील थी कि इस मामले में वह वकामूला से कस्टडी में लेकर पूछताछ करना चाहती हैं। चूंकि वकामूला से बहुत से सवालों व लेनदेन के जवाब नहीं मिले हैं। इस पर अदालत ने इडी पर सवालों की झड़ी लगा दी। वकामूला ने इडी की इस अर्जी का जमकर विरोध किया और कहा कि इडी ज्यावदती कर रही हैं।
वकामूला चंद्र शेखर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कारोबारी मित्र हैं और वीरभद्र सिंह ने उनसे बिना ब्याज का कर्ज लिया था। इसके अलावा वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य व अपराजिता सिंह की कंपनियों से भी वकामूला की कंपनियों का लेने देन था।
इडी का मानना था कि ये सारा पैसा वीरभद्र सिंह का ही है और इसे सफेद करने के लिए वकामूला के जरिए सर्कुलेट कराया गया हैं।
धन शोधन के इस मामले में वीरभद्र सिंह ,उनके परिवार के सदस्यों, सेब के आढ़ती चुन्नी लाल,वकामूला चंद्रशेखर , एलआइसी एजेंट आंनद चौहान समेत सभी आरोपियों के खिलाफ इडी की अदालत में पहले ही चालान दायर हो चुका हैं।
मनी लांड्रिंग के इस मामले में जांच के दौरान इडी की ओर से वीरभद्र सिंह को गिरफतार न करने पर इडी पर सवाल उठे थे जबकि इडी ने आनंद चौहान को डेढ साल तक जेल में रखा था। आय से अधिक संपति मामले में सीबीआइ ने भी वीरभद्र सिंह व बाकियों को गिरफतार नहीं किया था।
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