शिमला। सुक्खू कैबिेनेट ने बड़ा कांड करते हुए राजधानी के विकासनगर में 14 और 17 मंजिल के दो बड़े व्यापारिक परिसरों को खड़ा करने को हरी झंडी दे दी हैं। ये शिमला डवलपमेंट प्लान के प्रावधानों की तो अवहेलना है ही साथ ही शिमला को डिकंजेस्ट करने के सरकार के दावों के भी विपरीत हैं।
याद रहे बीते दिनों ने पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष रघुबीर सिंह बाली ने ये कह कर पर्यटन विकास निगम के शिमला स्थित मुख्यालय को कांगड़ा ले जाने का एलान किया था शिमला को डिकंजेस्ट करना लाजिमी है। इसके अलावा वन विभाग के वाइल्ड लाइफ विंग को भी धर्मशाला को ले जाने का फैसला लिया गया हैं।
याद रहे 2023 में भारी बारिश से राजधानी शिमला में भारी तबाही मची थी और जगह-जगह जमीनें धंस गई थी। इससे पहले एनजीटी में विशेषज्ञों की ओर से दायर की गई रपटों में साफ हवाला दिया गया है कि राजधानी में ऊंची इमारतों के निर्माण से बचना चाहिए। यही नहीं राजधानी भूकंप के नजरिए से भी संवेदनशील है लेकिन बावजूद इसके सुक्खू कैबिनेट ने पांच -छह नहीं सीधे ही 14 और 17 मंजिला इमारतें खड़ी करने का भयानक और कानून को ठेंगा दिखाने वाला फैसला ले लिया हैं।
कैबिनेट का ये फैसला शिमला डवलपमेंट के अलावा टीसीपी एक्ट का भी उल्लंघन हैं। ये फैसला राजधानी की धरती को छलनी कर बिल्डर लॉबी के लिए वरदान से कम नहीं हैं।
दरकती राजधानी में इतनी ऊंची इमारतें आज तक नहीं बनी है लेकिन सुक्खू कैबिनेट ने ये रिकार्ड अपने नाम कर दिया हैं। ये अदालतों को भी चिढ़ाने वाला फैसला हैं। ये पता नहीं चल पाया है कि कैबिनेट में किसी मंत्री ने इस प्रस्ताव का विरोध भी किया है या नहीं । ये पर्यावरण के साथ खेल खेलने जैसा है और बिल्डर लॉबी के लिए रास्ता खोलने वाला फैसला हैं।
कैबिनेट ने अपने फैसले में जो कहा है कि वो किसी बिल्डरों के अलावा किसी के गले से नीचे उतरने वाला नहीं हैं। कैबिनेट के फैसले में कहा गया है कि इन 14 और 17 मंजिली मीनारों को खड़ा करने के पीछे शहर की बढ़ती प्रशासनिक और कारोबारी जरूरतों को पूरा करने की मंशा हैं। यहां पर विश्व स्तर का बुनियादी ढांचा मुहैया कराया जाएगा व इसमें आधुनिक सुविधाएं और पार्किंग की सुविधा मुहैया कराई जाएंगे। लेकिन बड़ा सवाल ये ही है कि यहां तक पहुंचा कैसे जाएगा।
अभी ही टूटीकंडी पार्किंग से शिमला तक पहुंचने में एक से डेढ घंटा लगता हैं। जबकि पंथाघाटी व कसुम्प्टी से भी कम जाम नहीं लगता । कैबिनेट के फैसले में दावा किया गया है कि इन मीनारों को बेहतरीन डिजाइन के आधार पर बनाया जाएगा।
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