शिमला।राजधानी शिमला में पीेने के पानी को लेकर मचे हाहाकार के पीछे भ्रष्टाचार का बड़ा कांड होने की ओर वामपंथियोंं ने इशारा किया है। इससे पहले शहर में फैले पीलिया के पीेछे भी वामपंथियोंं ने क्रप्शन को ही जिम्मेदार ठहराया था व उस मामले में कई अरेस्ट हुए थे।इसके बाद शहर के लिए स्वच्छ पानी के इंतजलाम शुरू हुए थे।अब गिरी पेयजल परियोजना में,जहां से शहर को पानी सप्लाई आता है , में भी प्रारंभिक तौर पर भ्रष्टाचार के सबूत मिल रहे है। इस भ्रष्टाचार की परियोजना में जिसका अभी उदघाटन ही नहीं हुआ है, में पाइपें लीेक हो गई है व वैल्डिंग करा कर लीकेज को रोकने का कांड किया जा रहा है।
नगर निगम के उप महापौर टिकेंद्र पंवर ने कहा कि पाइपों की बुरी स्थिति होने की वजह से निगम को एक किलोमीटर तक पाइपें बदलनी पड़ रही है। ये बड़ा स्कैम हैं।उन्होंने कहा कि छह सौ मीटर तक पाइपें बदल दी है।अक्तूबर के मध्य तक शहर में पानी की सप्लाई रोजाना कर दी जाएगी व उसके तीन महीने बाद 24 घंटों लोगों को पानी की सप्लाई सुनिश्िचित की जाएगी।उन्होंने कहा कि पहले शिमला को पीने के पानी का इंतजाम कराया जाएगा उसके बाद गिरी के भ्रष्टाचारियों से निपटा जाएगा।उन्होंने कहा कि वहां पर 6.4एमएम/एक्स60ग्रेड की पाइप बिछाई गई है जबकि 7.9एमएम/70ग्रेड की पाइपें बिछनी थी। इसतरह अगर वामपंथियों ने इस मामले में भी एफआईआर दर्ज कर दी तो सता में रही धूमल व वीरभद्र सरकार के कई अफसरों व नेताओं की नींद हराम हो सकती है।
इसके अलावा वामपंथियों ने वीरभद्र सिंह सरकार के शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा पर भी हमला बोला है व कहा कि नगर निगम शिमला को मोदी सरकार से मिले जिस अवार्ड को लेने वो दिल्ली जा रहें वो नगर निगम की अपनी मेहनत के बल पर मिला है,जबकि वो नगर निगम को भंग करने के दावे कर रहे थे।उन्होंने सुधीर शर्मा का नाम लिए बगैर कहा कि एक बड़ा नेता जो दिल्ली में एमसी को मिल रहे अवार्ड को लेने जा रहा है वो नगर निगम को भंग करने की डींगे भर रहा था। उन्होंने व्यंग्य भी कसा कि जो बिंदुु नगर निगम ने स्मार्ट सिटी में कंपीट करने के लिए भेजे थे,उन्हीं बिंदुओं को अमरूत प्रोजेक्ट के लिए भेजा था। स्मार्ट सिटी में धर्मशाला शुमार हो गई तो अमरुत में शिमला ।
इसके अलावा अमरुत के लिए जो स्लिप योजना बनाई थी बगैर कंसलटेंट के बनाई थी क्योंकि कंसलटेंट को नियुक्त करने के लिए जो पैसा आया था उसे वीरभद्र सिंह सरकार ने निगम को दिया ही नहीं। सरकार ने पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया।
पंवर ने इल्जाम लगाया कि स्वच्छता अभियान को लेकर मोदी सरकार ने 12 करोड़ से ज्यादा का जो पैसा भेजा था उसमें से पांच करोड़ के करीलब नगर निगम को मिलना था,लेकिन मंत्री सारा पैसा धर्मशाला ले जा रहे है। वो शहरी मंत्री न होकर धर्मशाला के मंत्री हो गए है।
नगर निगम शिमला इस वक़्त शिमला मे पानी के संकट से जूझ रहा है इसमे कई तरह की दिक्कते है जिसमे बिजली की कमी और पानी की लीकेज का मुद्दा मुख्य है संलग्न चार्ट बिजली की आपूर्ति मे व्यवधान के चलते पानी के पंप के बंद होने को दर्शाता है।
पिछले लगभग 30 दिनो से बिजली की लाइन मे दिक्कत के चलते गिरी से सही तरह से पानी नही उठाया जा सका है,बिजली विभाग को बिजली की आपूर्ति दुरुस्त करने के लिए बार -बार कहा जा रहा है। लगातार बिजली की आपूर्ति मे कट लग रहे है, जिसकी वजह से पानी को दोबारा लिफ्ट करने मे अतिरिक्त 2 घंटो का समय और लगता है और इस दौरान 1 एम एल डी पानी का नुकसान हो जाता है।
पंवर ने हैरतअंगेज दावा किया कि गिरी पेयजल योजना से कभी भी 8.10 एम एल डी से ज़्यादा पानी की आपूर्ति नही हुई है हालाँकि ये परियोजना 20 एम एल डी की क्षमता की है, ये नगर निगम शिमला को गली-सड़ी जंग लगी पाइपोंं और ख़त्म हो चुकी परियोजना का तोहफा है, इसे बादने और सुधारने की ज़रूरत है इस योजना के सुधार और इसे बढ़ाने हेतु 50 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा की एक बड़ी राशि खर्च की जा रही है योजना के स्थल से एक किलोमीटर तक के गल चुकी पाइप्स को बदलने के लिए 3.52 करोड़ की राशि खर्च की जा रही है।
पहले चरण मेंएक किलोमीटर मीटर की दो लाइन्स को बदला जा रहा है।।इसी तरह अश्वनी खडड की पाइपों को भी बदलने की योजना है।इस पर 3.53 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी, गुमा लाइन्स मे क्रेग नैनो से ढली तक 13.18 करोड़ की लागत से पाइप्स बदलने का कार्य किया जाएगा व संजौली से शिमला रिज स्थित पानी के भंडारण टैंक तक 2.68 करोड़ की लागत से पाइप्स को बदला जाना है
उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के 1000 करोड़ के से अनुदान स्थाई समाधान हो पाएगा।
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