शिमला। वामपंथी पार्टी माकपा ने इल्जााम लगाया है कि सरकार के दबाव में आकर जिलाधीश शिमला जो नगर निगम के चुनाव अधिकारी भी है ने जयराम सरकार के दबाब में सीमाकंन के दौरान गडबडी की और चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित किया।
वामपंथी नेता व पूर्व महापौर संजय चौहान ने कहा कि इससे राज्य चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी उंगली उठी है व इसको लेकर आयोग को कड़ा संज्ञान लेकर इसके लिए जिम्मेवार अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए। साथ ही साथ प्रदेश सरकार को भी चुनाव प्रक्रिया से छेड़छाड़ व इसकी निष्पक्षता को प्रभावित करने के अनैतिक कृतज्ञ के लिए शिमला शहरवासियों से माफी मांगनी चाहिए।
चौहान ने कहा कि जब से नगर निगम शिमला के चुनाव की प्रक्रिया आरम्भ हुई है तभी से जयराम सरकार अपनी हार देख कर असंवैधानिक तौर तरीके अपनाकर इस चुनाव की प्रक्रिया से छेड़छाड़ कर रही है। पहले 34 वार्ड से 41 वार्ड बनाए गये और चुनाव प्रक्रिया के लिए नगर निगम अधिनियम में परिसीमांकन के लिए बनाए गए सभी नियमों को नजरअंदाज कर अपनी सुविधा के अनुसार जिलाधीश पर दबाव बनाकर परिसीमांकन करवाया गया जिसे उच्च न्यायालय रद्द कर दिया। नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सभी वार्डो में जनसंख्या को बराबर रखा जाना होता है।
यदि 2011 की जनगणना को आधार ले तो समरहिल की जनसंख्या 5391 है तथा बालूगंज की जनसंख्या 3867 है। जबकि बालूगंज बाज़ार का एक हिस्सा बालूगंज वार्ड में न रखकर इसे समरहिल वार्ड में डाला है। जोकि नगर निगम अधिनियम के नियम की स्पष्ट अवहेलना है। इसको लेकर समरहिल व बालूगंज की जनता ने आपत्ति ज़िलाधीश के पास दर्ज की थी परन्तु ज़िलाधीश ने सरकार के दबाब में आकर नगर निगम अधिनियम के नियमों को नजरअंदाज कर यह परिसीमांकन कर दिया।
इसके साथ ही सरकार ने मतदाता सूची बनाने के लिए नए नियम बनाए गए। जिसमें केवल शिमला शहरी, शिमला ग्रामीण व कसुम्पटी विधानसभा की वोटर लिस्ट में पहले से दर्ज मतदाता ही नगर निगम शिमला के चुनाव के वोटर होंगे। प्रदेश सरकार की ओर से बनाए गए यह नियम असंवैधानिक व जनप्रतिनिधि कानून की स्पष्ट अवहेलना है।
उन्हों ने कहा कि जयराम सरकार अपनी विफलता को छुपाने के लिए नगर निगम शिमला के चुनाव टालकर व नगर निगम में प्रशासक को बैठाकर अपनी मनमर्जी व भ्र्ष्टाचार को बढ़ावा देने की साजिश कर रही है।
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