शिमला।सुक्खू सरकार के आला अफसरान का प्रदेश में अजीब चलन चल रहा है।पिछले दो महीनों में कम से कम दो सरकारी कार्यक्रमों में तो ये आंखों देखी सामने आ चुकी हैं।इसमें सुक्खू सरकार के निदेशक स्तर के अधिकारी हिंदी फिल्मी महानायकों के मानिंद कार्यक्रम के बीच में आते है और थोड़ी देर में अपना जलवा दिखा कर चल देते है।
8 नवंबर को भी ऐसा ही हुआ। राज्य एडस नियंत्रण सोसायटी की ओर से मीडिया के लिए एडस पर कंस्लेटेशन कार्यक्रम रखा हुआ था। आयोजक खुद सोसायटी ही थी।लेकिन राज्य एडस नियंत्रण सोसायटी के निदेशक राजीव कुमार तय कार्यक्रम शुरू होने के काफी देर बाद कार्यक्रम में आए।चलो इतना तो मान लिया कि उन्हें कोई काम पड़ गया होगा। वो थोड़ी देर बैठे और उसके बाद कार्यक्रम के बीच में ही उठकर मंच पर पहुंच गए । वहां उन्होंने थोड़ी देर अपना जलवा दिखाया और चल पड़े। जबकि मीडिया वालों के लिए कई दिनों से फोन किए जाते रहे थे।
चूंकि वो सोसायटी के मुखिया भी है तो मीडिया वालों को उनकी बाइट भी चाहिए थी। कायदे से तो कार्यक्रम के दौरान ही सवाल–जवाब का दौर चलना था। लेकिन जब वो बीच कार्यक्रम के दौरान ही चल पड़े तो मीडिया कर्मियों को उठना पड़ा। अब मंच सूना हो गया। बहरहाल बाइट हुई और निदेशक महोदय चलते बने। ये अपने आप अजीब था। राजीव कुमार प्रदेश लोकसंपर्क विभाग के निदेशक भी हैं।
इससे पहले राजधानी में ही टीबी यानी क्षय रोग को लेकर भी एक मीडिया कर्मियों के लिए एक कार्यशाला रखी गई थी। उसमें भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक प्रियंका वर्मा बीच कार्यक्रम के दौरान पहुंची और मंच पर अपना भाषण देकर चली गई।
सुक्खू सरकार में अधिकारियों का ये नया चलन है। जो सरकार की तबाह हो चुकी छवि के लिए ग्रहण ही लगाता जाएगा।। सुक्खू पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने है। ऐसे में उन्हें हो सकता हो कि सरकार के तौर तरीकों की गरिमाओं की जानकारी न हो लेकिन अधिकारियों को तो प्रशिक्षण के दौरान कई कुछ बताया जाता है। बहरहाल ये आंखों देखी थी । शायद अधिकारी अपना चलन बदले और मुख्यमंत्री सुक्खू को भी सही राह दिखाने की कोशिश करे। हालांकि सुक्खू सर्वेसर्वा है । राह देखेंगे या नही ये पता नहीं है।बहरहाल सरकार की छवि गर्त में तो जा ही रही है।
(20)