शिमला। हिमाचल में लाइलाज बीमारी एडस और एचआइवी पाजीटिव के मामलों में नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। पहले अनसेफ सेक्स की वजह से एचआइवी पाजीटिव मरीजों के सबसे ज्यादा मामले आते थे लेकिन अब देवभूमि में युवाओं में नशे की सिरिंज एचआइवी की वाहक बन रही हैं। ये दावा राज्य एडस नियंत्रण सोसायटी के निदेशक राजीव कुमार और राज्य कार्यक्रम अधिकारी डाक्टर ललित ठाकुर ने किया है।
राजीव कुमार ने कहा कि सीरिंज के जरिए नशा लेने युवाओं की एचआइवी पाजीटिव आने की संख्या लगातार बढ़ रही हैं। इस साल सिंतबर तक 406 एचआइवी पाजीटिव सामने आए मरीजों में से सीरिंज से नशा लेने वाले 50 के करीब युवा एचआइवी पाजीटिव पाए गए हैं। ये बहुत ज्शदा फीसद है। पहले ये फीसद 0.5 के आसपास होता थाा अब ये पांच फीसद तक पहुंच गया है जो चिंतनीय हैं।ऐसे में अगर किसी को अपने आसपास सिंरिंज के जरिए नशा लेने वाले युवाओं की जानकारी हो तो उन्हें एचआइवी जांच करने के लिए प्रेरित करें।
उन्होंने कहा कि पाजीटिव आए इन युवाओं का ओएसटी यानी ओपियाड सब्स्टीयूशन थेरेपी के तहत इलाज किया जा रहा हैं। राजीव कुमार ने कहा कि प्रदेश में अभी 406 मामले एचआइवी पाजीटिव सामने आए हैं। ऐसे में इस लाइलाज बीमारी को लेकर सोसायटी की ओर से प्रदेश भर में बड़े स्तर पर जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है और टेस्टिंग भी बढ़ा दी गई हैं।
उधर, डाक्टर ललित ठाकुर ने कहा कि कोई तभी एचआइवी पाजीटिव होगा अगर वह एचआइवी ग्रसित व्यक्ति की ओर से नशे के लिए इस्तेमाल की गई सिरिंज से नशा लेता हैं।
ललित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में इस समय 5870 पाजीटिव मरीज है जो एआरटी पर है इसमें से 304 बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में प्रदेश में एक भी नवजात बच्चा एचआइवी पाजीटिव नहीं पाया गया हैं। ये प्रदेश के लिए बड़ी कामयाबी हैं।
ठाकुर ने कहा कि सिरिंज से नशा करने वाले युवाओं के लिए हेपेटाइटस बी और सी से ग्रसित होने का भी ज्यादा जोखिम है । अरसा पहले नूरपूर में हेपेटाइटस बी और सी के मरीजो में भरमार आ गई थी सोसायटी की ओर से वहां पर डेरा डाला गया तो उसमें दो दर्जन से ज्यादा मरीज एचआइवी पाजीटिव पाए गए। हेपेटाइटस बी और सी भी बेहद घातक बीमारी हैं।
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