शिमला। पांच सालों में लाखों रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सरकार ने बिजली बोर्ड के दस-दस,12-12 सालों से आउटसोर्स पर लगे 81 चालकों को आज चार नंवबर को टर्मिनेशन नोटिस थमा हैं। जिन कंपनियों की ओर से इन्हें आउटसोर्स पर रखा गया था उन्होंने ये नोटिस 31 अक्तूबर को तैयार कर दिए थे। लेकिन अधिकांश चालकों को ये नोटिस आज मिले।
अब इन चालकों की रोजी तबाह हो गई हैं। ये अपने परिवारों की आजीविका कैसे चलाएंगे इसका इन चालकों को कोई भी भान नहीं हैं और न ही सुक्खू सरकार ने इन्हें कोई रास्ता बताया है।
हालांकि बिजली बोर्ड कर्मचारी संयुक्त मोर्चा की सरकार की ओर से बोर्ड के मसलों को सुलझाने के लिए बठित की गई उप मंत्रिमंडल की समिति के साथ बैठक जरूर हुई थी लेकिन इन चालकों को लेकर उस समिति ने कुछ नहीं किया । इस समिति के प्रधान मंत्री राजेश धर्माणी बनाए गए हैं।
अब इन चालकों के पक्ष में प्रदेश कर्मचारी संयुक्त महासंघ उतर गया है और कल पांच नवंबर को इन चालकों को आगे की रणनीति बनाने के लिए बिजली बोर्ड के मुख्यालय बुलाया गया है। साफ है कि अब कर्मचारियों व सुक्खू सरकार के बीच हकों की जंग बढ़ने वाली है।
केंद्र की मोदी सरकार की 15 साल पुराने वाहनों को कंडम करने की नीति की पहली गाज बिजली बोर्ड के इन 81 चालकों पर गिरी है। 15 साल पुराने वाहन को बाकी विभागों में भी कंडम किए गए है लेकिन बाकी विभागों में किसी चालक को निकाला नहीं गया है। बिजली विभाग मुख्यमंत्री सुक्खू के अपने अधीन है । सूत्रों के मुताबिक कहा जा रहा है कि सुक्खू ने फाइल पर खुद इन चालकों को बाहर करने बारे किए फैसले को लागू करने के लिए हिदायतें दी है। हालांकि फाइल की नोटिंग्ज हाथ नहीं लगी हैं।
बहरहाल, सुक्खू सरकार में रोजी छीनने का अभियान शुरू हो गया है और शुरूआत भी उस बिजली बोर्ड से हुई है जिसके कर्मचारियों ने पूर्व की भाजपा की जयराम सरकार को बेदखल कर कांग्रेस सरकार को सत्ता में लाने में सबसे ज्यादा अहम भूमिका निभाई थी। बाकी कर्मचारियों की तरह बोर्ड के कर्मचारियों को भी उम्मीद थी कि ओपीएस यानी पुरानी पेंशन की बहाली हो जाएगी लेकिन 23 महीने सत्ता में आने के बाद भी सुक्खू सरकार ने बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को ओपीएस बहाल नहीं की है।
उल्टे रोजी छीनने का काम शुरू कर दिया है। इससे पहले 50 से ज्यादा पदों को समाप्त किया जा चुका हैं।
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