शिमला। हर सीजन में सेब की राजनीति करने वाले नेताओं में से पूर्व मंत्री व भाजपा नेता नरेंद्र बरागटा पर जुब्ब लकोटखाई सेकांग्रेस विधायक व मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर ने बरागटा पर हमला करते हुए कहा कि वो सेब उत्पादकों के हितैषी कब रहे। वो तो पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमर धूमल व उनके बेटे अनुराग के जन्मदिन मनाने में लगे रहते थे और क्षेत्रवासी खून के आंसू रोते थे। बरागटा रोहित के राजनीतिक प्रतिद्वदी है।
बीते रोज बरागटा ने रोहित ठाकुर व सरकार पर सेब उत्पादकों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था। रोहित ठाकुर ने आज मीडिया को बयान जारी कर कहा कि जब बरागटाखुद मंत्री थे तो2008 में मण्डी मध्यस्थता योजना के तहत खरीदी गई एक लाख सेब की बोरियां सड़कों पर सड़ गई और राज्य निधि को करोड़ों का चूना लगा। 2010 में तो इससे भी बदतर हालत रहे जिसे क्षेत्र की जनता कभी नहीं भूल सकती। दो-दो सप्ताह तक ठियोग-हाटकोटी सड़क बन्द रहती थी। उनके अपने विभाग का 30 करोड़ रूपये का सेब मौके पर नष्ट हुआ और 700 करोड़ रूपये से अधिक का नुकसान हुआ।
ठाकुर ने कहा कि बरागटा के कार्यकाल पर नजरें डालें तो स्वंय बागवानी मंत्री होते हुए उन्होंने अनेक किसान व बागवानी विरोधी निर्णय लिये। जिले की गत्ता फैक्ट्री ही नहीं बल्कि एचपीएमसी की बहुमूल्य जमीनें भी बेच डालीं। उनके कार्यकाल में बागवानों को सोलन और चण्डीगढ़ के लिये चेन्नई व कलकत्ता के बराबर ट्रक भाड़ा देना पड़ा। लेकिन आज ऐसा नहीं है।
ठाकुर ने कहा कि जहां तक ठियोग-हाटकोटी सड़क निर्माण कार्य की बात है, हाईकोर्ट स्वयं इसकी माॅनीट्रिंग कर रहा है। मुख्यमंत्री निर्माण कार्य की प्रगति की समय-समय पर समीक्षा कर रहे हैं और रोहडू प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री इस सड़क से आए और निजी तौर पर इसका निरीक्षण किया। चालू वित्त वर्ष के लिये उपरी शिमला तथा किन्नौर की सड़कों की मुरम्मत एवं रखरखाव के लिये 50.33 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान भी इतनी राशि इस क्षेत्र की सड़कों को नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि भारी बरसात के बावजूद वर्तमान प्रदेश सरकार ने जिले की सभी सड़कों को रिकार्ड समय में बहाल किया। रोहित ने चुनौती देते हुए कहा क बरागटा उन सड़कों की सूची उपलब्ध करवाएं जिन्हें लोगों द्वारा निजी तौर पर खोलने की वह बात कर रहे हैं।
ठाकुर ने बरागटा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी ड्रामेबाजी में महारत है और कोई न कोई शिगूफा छोड़कर राजनीति में बने रहना चाहते हैं। उन्होंने सलाह दी कि अनावश्यक बयानबाजी करने के बजाए वह दिल्ली जाएं और हिमाचल के साथ हो रहे भेदभाव की वकालत करें। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय प्रायोजित 63 योजनाओं में से मोदी सरकार ने 42 योजनाओं को बन्द कर दिया है, या कटौती कर दी है।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अन्तर्गत 731 करोड़ रूपये की 162 सड़कें और 26 पुल एनडीए के गठन के बाद पिछले डेढ़ वर्ष से लम्बित पड़ें हैं। इसी तरह सिंचाई की 338 करोड़ रूपये की 109 परियोजनाएं केन्द्र सरकार की स्वीकृति के बिना लम्बित पड़ी हैं। एनडीए सरकार ने एनआरडीडब्ल्यूपी के अन्तर्गत पेयजल योजनाओं में भी भारी कटौती की है।
उन्होंने कहा कि अभी तक 1.7 करोड़ सेब की पेटियां प्रदेश व देश की विभिन्न मण्डियों में भेजी जा चुकी हैं, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 14 लाख अधिक हैं। मण्डी मध्यस्थता योजना के अन्तर्गत प्रदेश के सेबोत्पादन क्षेत्रों में 275 एकत्रिकरण केन्द्र खोले गए हैं, जिनमें से 260 क्रियाशील हैं जबकि उंचाई वाले क्षेत्रों में जहां सेब तुड़ान देरी से होता है, वहां के केन्द्रों को जल्द ही क्रियाशील बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बरागटा को दिल्ली जाकर मोदी जी द्वारा सोलन में सार्वजनिक तौर पर किए गए सेब की आयात डयूटी को बढाने के वायदे को याद दिलाना चाहिए, जिसे वह भूल चूके हैं। उन्होंने कहा कि बाहरी देशों से सेब की भारी आमद के चलते आज प्रदेश के सेबों के दाम गिर रहे हैं।
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