शिमला। सात दिन तक चल हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र प्रदेश की जनता के सरोकारों से कम बल्कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल के परिवारों के बीच भ्रष्टाचार को लेकर चल रही रंजिशों से ज्यादा वावस्ता रहा। मानसून सत्र का पहला दिन रहा हो या आखिरी दिन दोनों ओर से एक दूसरे के पिछले व मौजूदा दौर के भष्टाचार के मामले सदन में गूंजते रहे।
सदन में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व धूमल ही नहीं उनके बेटों के कारनामों को लेकर भी ये दोनों नेता खुद व इनकी पार्टी के समर्थक विधायक भी खूब हंगामा किया। आलम ये रहा कि सात दिनों में आम जनता के सरोकारों के प्रश्न कुछ ही लग पाए । इन सरोकारों के इन सवालों की आवाज कहीं वॉकआउट तो कहीं शोरशराबें में गुम होती चली गई ।
सत्र के आखिरी दो दिनों में जिस तरह दंगल सदन में हुआ वो निराशाजनक था। २८ अगस्त को सदन में भाजपा के विधायकों की ओर से जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कांग्रेस विधायक नीरज भारती को लेकर किए गए वो बेहद निम्न स्तर के थे। इसके बाद जिस तरह सीएम मुख्यमंत्री खुद सदन में अपने कुछ विधायकों की हरकतों को बढ़ावा देते रहे वो भी कम निराशाजनक नहीं था। सदन में दोनों ओर से वरिष्ठ सदस्य बैठे रहे। गरिमा सदन की तो बची ही नहीं पर जनता के सरोकारों पर इस तरह कुचल देना संसदीय कार्यवाही पर प्रश्न खड़ा कर देता है। ये प्रश्न मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह नेता प्रतिपक्ष धूमल पर सबसे ज्यादा मुखर है। आखिर ये दोनों नेता सरोकारों की राजनीति को आरोपों की राजनीति के दलदल तक कब तक लेते जाएंगे।
आखिरी दिन प्रश्नकाल में कुछ ही सवाल लगे। कांगेस विधायक नीरज भारती के फेसबुक अकाउंट पर डाली पोस्ट भाजप को उद्वेलित करती रही और सतापक्ष की ओर से सीएम खुद बचाव में उतर गए। भाजपा इस मसले पर चर्चा मांगती रही तो स्पीकर बृज बिहारी बुटेल नियमों का हवाला देकर प्रश्नकाल चलाने का आग्रह करते रहे। आग्रह अनसुने कर दिए गए। सीएम ने धूमल परिवार के भ्रष्टाचार की बात कही तो फटाक से भाजपा की ओर से जवाब आया कि हम अपने घर को किसी कंपनी को किराए पर नहीं देते।
इस पर सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा उन्होंने घर नहीं आउटहाउस किराए पर दिया है। सब झूठ बोला जा रहा है। फर्क क्या पड़ता है घर हो या आउटहाउस । किराए पर दिया है। वीरभद्र सिंह की ओर से फिर टिप्पणी आई कि धूमल सदन तो क्या पब्लिक में मुंह दिखाने के काबिल नहीं है। धूमल भी पीछे रहने वाले नहीं थे। झट से बोले पड़े ,सब जानते है वीरभद्र सिंह दिल्ली मुंह छिपाने ही तो जाते। प्रश्नकाल इसी तरह के आरोपों के बीच चलता रहा और जब नीरज भारती अपनी सीट से उठ खडें हुए और भाजपा सदस्यों को चुनौती दी कि उन्होंने अपने फेसबुक पर क्या टिप्णियां की है ,उन्हें सदन में रखे। सदन में हल्ला मच गया। सीएम ने फेसबुक की टिप्णियों को व्यक्तिगत बताकर अपना विधायक बचा लिया तो विपक्ष ने वॉकआउट कर अपनी स्थिति संभाली। सरोकार विधानसभा की साइट पर या पत्रकारों को बांटे कागज के पुर्जों पर दुबके रहे,सब देखते रहे।
वॉकआउट के बाद प्रश्नकाल चला व समाप्त हुआ। बाहर चले गए भाजपा के विधायकों के प्रश्न उठ ही नहीं पाए। वो जन सरोकारों से जुड़े थे।
प्रश्नकासल के बाद सीएम अपनी सीट से उठे और सीधा हमला हुआ धूमल पर। बोले, झगड़ा किस बात का है। झगड़ा है क्रिकेट का।एचपीसीए में मेंबर है लंधियाना व जालंधर के। लाइफ मेंबर। हिमाचल के कम । क्या एचपीसीएण् ऐसी चलेगी। धर्मशाला में पांच सितारा होटल बनाया। जो जमीन दी गई उस पर दर्ज करवाया कि ये बेजर कंदीम है। जब जांच चली तो पता चला कि इस जमीन से पंद्रह सौ पेड़ काटे गए। उन्होंने सवाल उठाया कि ये बंजर कंदीम कैसी हो गई।इसके बदले मुझे फंसाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे है।मेरे खिलाफ आईटी,सीबीआई और इडी की जांच चला रखी है। ये अमेरिका को लिख कर एफबीआई से भी करवा ले ।मुझे अपना कोट भी बेचना पड़े तो भी में आखिरी दम लड़ूंगा। वह दबंगई दिखा रहे है। मुझे नहीं दबाया जा सकता।
इसके बाद अपने विधायक नीरज भारती के फेसबुक का जिक्र हुआ और अपने विधायक को साफ बचा ले गए कि ये व्यक्त्गित अकाउंट है। हमारे राष्ट्रीय नेताओं के खिलाफ भी कमेंट्स लिखे जाते है। कोई सदन में नहीं उठाता। इनका रवैया शर्मनाक है। जब सीएम ये सब कह रहे थे तो विपक्ष सदन से बाहर जा चुका था। कहीं भी बात जन सरोकारों की नहीं आई। बिना चर्चा के पांच विधेयक /संशोधन बिना चर्चा के पारित हो गए।
इसके बाद विधायकों ने विभिन्न नियमों के तहत चर्चा के लिए दर्जन भर के करीब प्रस्ताव दे रखे थे । वो आज की कार्यवाही में थे भी। लेकिन न विपक्ष वापस लौट के आया और न ही सतापक्ष ने जोर दिया। सदन अनिश्चित काल के सथगित हो गया और प्रस्ताव भी स्वाह हो गए। ये वो प्रस्ताव थे जो सीधे जन सरोकारेां से जुड़े थे।
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