शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में JOAIT मामले में गुरुवार को भी बजट भाषण पर चर्चा के दौरान पक्ष व विपक्ष की ओर से जमकर नोकझोंक हुई। इस मसले पर आखिर में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट भाषण पर हुई चर्चा के जवाब देते हुए बड़ा खुलासा कर दिया व कहा कि सुप्रीम कोर्ट रिजल्ट निकालने के लिए नहीं कहा था। उन्होंने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती व पदोन्नति नियमों का व्याख्यान किया हैं।
बजट पर चर्चा के दौरान धर्मपुर मंडी से विधायक चंद्र शेखर व अन्य विधायकों ने इस मसले को उठाया था। चंद्रशेखर ने कहा था कि ये पिछली सरकार में हुआ। तब ये पेपर बिके थे। इसी तरह के इल्जाम शाहपुर से कांग्रेस विधायक केवल सिंह पठानिया ने भी लगाए जबकि कांग्रेस विधायक चैतन्य ठाकुर को भी इस मसले को उठाया था।
मुख्यमंत्री ने अपना जवाब देते हुए कहा कि चंद्र शेखर ने जो पोस्ट कोड 817 यानी JOAITकी बात की वह अब की समस्या नहीं हैं। यह समस्या 2020 में पैदा हुई। 1867 पदों के लिए 2020 में भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। लिखित परीक्षा और टाइप टेस्ट हो गया लेकिन अभी मूल्याकंन देना शेष हैं।
उन्होंने पूर्व की जयराम सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व सरकार ने ढंग से विचार विमर्श नहीं किया। उनके भर्ती और पदोन्नति नियमों में अंतर पाया गया। कुछ प्रभावित अभ्यर्थी प्रदेश हाईकोर्ट गए और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट गए।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने रिजल्ट निकालने को नहीं कहा। सुपी्रम कोर्ट ने भर्ती व पदोन्नति नियमों का व्याख्यान किया।सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार ने पोस्ट कोड 817 के बारे में विचार विमर्श किया हैं। कैबनेट में प्रस्ताव लाया गया हैं। सभी ने कहा कि अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग में पेपर बिका करते थे। उसको आपने भंग कर दिया।
इस कोड के कुछ अभ्यर्थी पेपर धांधली में पाए गए। 5 जून 2023 को इस मसमले में एक एफआइआर दर्ज की गई। इस मामले में इस कर्मचारी चयन आयोग के चार कर्मचारियों को धांधली में शामिल पाया गया हैं। जांच जारी होने की वजह से कम परिणाम घोषित नहीं हो पा रहे हैं। उनकी सरकार इस मामले पर गंभीरता से विचार कर रही हैं।लेकिन कानूनी पहलुओं का आकलन करना भी जरूरी है और कानून और नियम के हिसाब से ही नियुक्तियां होंगी।
उन्होंने कहा कि कोई भी नियुक्तियों टेंपोरेरी आधार पर नहीं दी जा सकती।सरकार इनके प्रति संवेदनशील फैसला लेंगी। इसीलिए सरकार ने कैबिनेट की उप समिति का गठित की जिसमें उप मुख्यमंत्री और चार अन्य मंत्री शामिल किए गए हैं। कल सरकार अगर नियुक्ति पत्र थमा दें और ये इन्हें अदालत में चुनौती दे दी जाए। ऐसे मे इन तमाम चीजों का अध्ययन करने के बाद जो भी नियम और कानून के हिसाब से बनेगा आगे बढ़ेंगे।सरकार गंभीरता से विचार कर रही कि सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करके किस तरह से इनको नियुक्ति पत्र थमाएं जाएं।
मुख्यमंत्री ने अपना जवाब तो दे दिया लिया सवाल यह है कि नियम और कानून को तो सरकार का विधि विभाग पहले ही देख चुका है व अपनी राय भी दे दी है। ऐसे में अब सरकार कौन से नियम व कानून को खंगालना चाहती हैं। कैबिनेट कमेटी भी तो विधि विभाग से ही राय लेगा। मुख्यमंत्री का सदन में दिया गया ये जवाब दिलचस्प हैं।
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