शिमला। पावर कारपोरेशन के दिवंगत चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत के पीछे के राज से सीबीआइ अभी तक पर्दा नहीं पाई हैं।
अभी भी बड़ा रहस्य ये बना हुआ है कि विमल नेगी के बॉडी को जब शहतलाई में दरिया से निकाला गया था और बॉडी की तस्वीरें ली गई थी तो उनकी पैंट के बांए पॉकेट में कुछ रखा हुआ नजर आ रहा है। एम्स बिलासपुर की मेडिकल रपट में ये तो साफ हो चुका है कि नेगी की पैंट के दांए पॉकेट में सफेद रंग का रूमाल था। इसका जिक्र मेडिकल रपट के पैरा नंबर-7 में साफ तौर किया गया है। लेकिन बांए पॉकेट में क्या था इसका जिक्र इस मेडिकल रपट में कहीं नहीं है।जबकि समझा जा रहा है कि इस जेब में नेगी का मोबाइल फोन था।
ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि मौके पर जब बॉडी की तस्वीरें ली गई तो क्या किसी ने उनकी पैंट की बांयी पॉकेट से इसमें जो कुछ भी या मोाबइल था,उसे निकाल लिया गया था और जब बॉडी एम्स में पहुंचाई गई तो वहां पर संभवत: इस पॉकेट में कुछ हो ही न। लेकिन क्या फारेसिंक रपट से ये पता नहीं लगा होगा कि पैंट की बांयी पॉकेट में क्या था। ये तमाम तरह के सवाल है जिनके जवाब हर कोई जानना चाहता है।
याद रहे 18 मार्च को जब दिवंगत विमल नेगी की बॉडी को दरिया में देखा गया था तो मौके पर तस्वीरें ली गई थी। इन तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि पैंट के बांयी पॉकेट में कुछ है। ये नेगी का मोाबइल फोन हो सकता है। अगर कुछ और था तो वो क्या था इसका जिक्र अभी तक कहीं भी नहीं आया है।
सीबीआइ ने इसका जिक्र न तो हाईकोर्ट में दायर की रपटों में किया है और न ही इस मामले में गिरफतार किए गए शिमला पुलिस के एएसआइ पंकज शर्मा के अरेस्ट के बाद निचली अदालत में दायर की रपटों में किया है।
याद रहे इन तस्वीरों के इस पहलू से अरसा पहले शिमला एसपी संजीव गांधी को अवगत करा ही दिया गया था । समझा जा रहा है कि इस पहलू से सीबीआइ को भी अवगत कराया जा चुका है।लेकिन इस बावत अभी तक रहस्य ही बना हुआ है।
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याद रहे दिवंगत विमल नेगी का मोबाइल आज तक नहीं मिला है। शिमला पुलिस की एसआइटी ने तो गोताखोरों तक दरिया में उतारे थे। लेकिन सीबीआइ ने मोबाइल को तलाशने के लिए क्या किया है ये अभी तक सामने नहीं आया है। इस मोबाइल को बेहद महत्वपूर्ण सबूत माना जा रहा है। क्या विमल नेगी की बांयी पॉकेट में कहीं ये मोबाइल ही तो नहीं था। इसका जवाब जाहिर तौर पर सीबीआइ ही दे सकती है।
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हालांकि जब एएसआई पंकज को सीबीआइ ने तीन दिन पहले उनके घुमारवीं स्थित आवास से अरेस्ट किया था तो उम्मीद बंधी थी कि शायद अब सीबीआइ मोबाइल को लेकर कुछ खुलासा कर देगी।मोबाइल में तमाम तरह के सबूत होने की संभावना है। तभी तो उसे गायब किया गया होगा। लेकिन कहीं कुछ नहीं हुआ हैं।
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इसके अलावा पंकज ने जो पैन ड्राइव अपने पास रखा था उसे फार्मेट किसने किया था सीबीआइ अभी तक ये भी खुलासा नहीं कर पाई है। अगर पैन ड्राइव को पंकज ने ही फार्मेट किया था तो किस उपकरण पर किया था इसका लेखा-जोखा बाहर नहीं आया है। अगर किसी और ने इसे फार्मेट किया था यानी पंकज के परिवार जनों ने या किसी अन्य तीसरे पक्ष ने। तो वो परिवारजन और तीसरे पक्ष कौन थे, इसको लेकर भी सीबीआइ अभी तक सार्वजनिक कुछ नहीं कर पाई है।ये सब कम से कम अदालत को बता ही दिया जाना चाहिए था। इनके ब्यान लिए जा चुके है या नहीं ये भी किसी को पता नहीं है।बहरहाल,अब इस मामले में पहली गिरफतारी हो चुकी है।अब आगे क्या होगा इस बावत सबकी निगाहें लगी हुई है।
ये सही है कि इस मामले में आरोपी बेहद ताकतवर है।पावर कारपोरेशन के तत्कालीन एमडी आइएएस हरिकेष मीणा प्रदेश हाईकोर्ट से और निदेशक इलैक्ट्रिकल देशराज सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत पर है व सीबीआइ अभी तक इनकी जमानत को रदद नहीं करा पाई है। जबकि तमाम तरह के सवाल प्रदेश की जनता के जेहन में अब भी उमड़ घुमड़ रहे हैं।
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