शिमला। पावर कारपोरेशन के दिवंगत चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत की जांच प्रदेश हाईकोर्ट ने सीबीआई के सुपुर्द कर दी है लेकिन अदालत ने अपने फैसले में अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा की रपट का जो हवाला दिया है वो डराने वाला ही नहीं है बल्कि सुक्खू राज में हो रहे घोटालों की परतें भी खोलने वाला हैं। साथ ही साफ करता है कि सीएम सुक्खू आखिर सरकार चला किस तरह से रहे हैं। पावर कारपोरेशन के मंत्री खुद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू है, ऐसे में वो भी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं।
आइएएस ओकार शर्मा की जांच के दौरान यह सामने आया है कि विमल नेगी को देश राज निलंबित करने जा रहा था। रपट में कहा गया है कि जांच के दौरान यह भी साक्ष्य में आया है कि विमल नेगी को देश राज द्वारा एचपीपीसीएल भवन की 5वीं मंजिल पर स्थित उनके कार्यालय कक्ष से बार–बार बुलाया जाता था और उन्हें आधिकारिक फाइलों के साथ अपने कार्यालय में लंबे समय तक खड़ा रखा जाता था। नेगी को बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं दी जाती थी। जबकि नेगी मुख्य अभियंता–सह–महाप्रबंधक के पद का वरिष्ठ और उच्च पदस्थ अधिकारी थे।
ओंकार शर्मा की रपट में यह भी सामने आया है कि देशराज नेगी को अपमानित करताथा और उनके साथ असंसदीय और अभद्र भाषा का प्रयोग करता था। रपट में कहा गया है कि लगभग सभी गवाहों ने अपने बयानों में कहा है कि देश राज उपरोक्त दुर्व्यवहार के कारण एचपीपीसीएल कार्यालय,शिमला में वातावरण ज़हरीला था।
एचपीपीसीएल के कर्मचारियों ने इस बावत सरकार को अवगत भी कराया लेकिन कहीं कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
महिला अफसरों को भी नहीं बख्शा गया
ओंकार शर्मा की रपट में वरिष्ठ प्रबंधक अंजलि शर्मा के बयान का हवाला देकर कहा है अंजलि शर्मा कहती है कि देश राज उसे उसके खिलाफ आरोप–पत्र जारी करने की धमकी देता था। वह रात 9 से 10 बजे तक कार्यालय में उपस्थित रहती थी। एक अवसर पर, उसे महिला अधिकारी होने के नाते रात 11 बजे तक कार्यालय में मौजूद रहने को कहा गया। उसने अपने बयान में कहा कि उच्च अधिकारी द्वारा उस पर डाले जा रहे पूर्वोक्त अभूतपूर्व दबाव के कारण उसे चिंता की दवा लेने के लिए बाध्य होना पड़ा।
ओंकार शर्मा ने कहा कि उनके मेरा विचार है कि आधिकारिक कर्तव्यों के निष्पादन के लिए अधीनस्थ अधिकारी को बुलाना नियमों के विपरीत नहीं है, लेकिन उन्हें अपमानित करना और वरिष्ठ अधिकारी द्वारा कनिष्ठ अधिकारियों को परेशान करना नियमों के खिलाफ हैं। वरिष्ठ अधिकारी की ओर से ऐसा कृत्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
रपट में खुलासा किया गया कि विमल नेगी को आकस्मिक मामलों में भी एक या दो दिन की आकस्मिक छुट्टी पर जाने पर कारण बताओ नोटिस का सामना करना पड़ा था। विमल नेगी कारण बताओ नोटिस के उत्तर कहा गया कि उसे सुबह जल्दी रामपुर जाना था, इसलिए वह लिखित में पूर्व अनुमोदन की प्रतीक्षा नहीं कर सकता था, हालांकि, उसने सुबह 6:15 बजे एक ईमेल भेजा था और सुबह 10 बजे देश राज को एक कॉल किया था। बावजूद इसके देश राज नेव विमल नेगी से स्पष्टीकरण मांग लिया।
रपट में कहा गया है कि इन परिस्थितियों में तत्कालीन एमडी हरिकेश मीणा और देश राज से यह अपेक्षा नहीं थी कि वे मुख्य अभियंता के उच्च पदस्थ अधिकारी के साथ इस प्रकार का व्यवहार करें। यही नहीं देश राज ने विमल नेगी को जारी कारण बताओ नोटिस में यह नहीं बताया है कि मृतक को 18 अक्तूबर 2024 को कार्यालय में उपस्थित होने की क्या आवश्यकता थी।
रपट में कहा गया कि कई अन्य गवाहों के बयानों में आया है कि देश राज उन्हें आरोप–पत्र जारी करने की धमकी देता था। एक गवाह ने कहा कि एक मामले में देश राज उन पर दबाव डालते हुए यह कहकर धमकाते थे कि “आप समस्या में आ जाओगे“।
रपट में कहा गया है कि सभी गवाहों ने बहुत कुछ कहा है और मौखिक साक्ष्य दिए हैं,जिसमें देश राज के खिलाफ कई मुद्दे उजागर किए गए हैं।
बायोमेट्रिक हाजिरी से पता चलता है कि कुछ कर्मचारियों ने एक दिन में ग्यारह घंटे से लेकर चौदह घंटे तक काम किया कुछ महिला अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें कार्यालय में देर तक काम करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, लेकिन प्रबंधन उन्हें परिवहन की सुविधा आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं करता है।
इस बावत तत्कालीन एमडी हरिकेष मीणा ने जांच के दौरान इस स्थिति का सामना करने पर कहा है कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि महिला अधिकारी के लिए क्या व्यवस्था उपलब्ध थी, जो देर तक कार्यालय में बैठती थी। जबकि देश राज ने कहा कि पूछताछ के दौरान कहा कि महिला अधिकारियों के परिवहन की व्यवस्था करना संपदा विभाग का काम है। इन दोनों अधिकारियों के लहजे और अंदाज से साफ है कि उन्हें महिला अधिकारियों की भलाई और सुरक्षा की बिल्कुल भी परवाह नहीं है। यहां तक कि इन तीनों अधिकारियों यानी हरिकेष मीणा, शिवम प्रताप सिंह और देश राज को भी यह जानकारी नहीं है कि उनके अधीनस्थ कर्मचारी कार्यालय में कितने घंटे काम करते हैं।
ओंकार शर्मा ने अपनी राय दी है कि ये तीनों अधिकारी अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहे हैं।
घोटाले का जिक्र
रपट में उप महाप्रबंधक मनीष चौधरी जो सौर ऊर्जा परियोजना, अणु, हमीरपुर को जिम्मा देखते थे ने कहा कि वह स्वर्गीय श्री विमल नेगी की अध्यक्षता में गठित समय विस्तार (ईओटी) समिति का सदस्य सचिव था, जो पेखुबेला सौर ऊर्जा परियोजना के विलंब विश्लेषण के मुद्दे की जांच कर रही थी। उन्होंने कहा कि उन्हें और विमल नेगी को देश राज ने 27 और 28 फरवरी, 2025 को आयोजित समिति की बैठक की मसौदा कार्यवाही को अंतिम रूप देने के दौरान बुलाया था और उन पर ठेकेदार की ओर से प्रारंभिक मसौदे में देरी को कम करने के लिए दबाव डाला था, जिसका आकलन लगभग 45 दिनों का किया गया था। लेकिन देश राज के दबाव के कारण, उन्हें इसे 23 दिनों तक कम करना पड़ा। उन्होंने आगे कहा कि उन पर दबाव डालते हुए देश राज ने धमकी दी कि “आप समस्या में आ जाओगे“।
उन्होंने ये भी बताया कि देशराज समिति के सदस्य नहीं थे, इसलिए उन्हें समिति की कार्यवाही तैयार करने में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था। इस गवाह ने कहा कि यह उन कई करणों में से एक था, जिसने मृतक को अत्यधिक तनाव और चिंता का कारण बना दिया। यह तथ्य मासिक बायोमेट्रिक स्थिति रिपोर्ट से पुष्टि करता है।
रपट में कहा गया है 1 व 2 मार्च को विमल नेगी साढ़े सोलह घंटे आफिस में ही काम करते रहे। वह एक मार्च को सुबह साढ़े दस बजे कार्यालय पहुंच गए और रात को ढाई बजे तक कार्यालय में काम करते रहे।
रपट में कहा गया कि ये तथ्य विमल नेगी पर हरिकेष मीणा के निर्देशानुसार देश राज द्वारा डाले गए दबाव के स्तर को दर्शाते हैं। ओंकार शर्मा ने इन तमाम बिंदुओं की जांच विशेषज्ञ एजेंसी से कराने की सिफारिश की है क्योंकि जांच अधिकारी समय की कमी और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत वैधानिक शक्तियों की कमी के कारण तथ्यान्वेषण जांच में इन आरोपों की गहराई से जांच नहीं कर सकते।
रपट में कहा गया है कि मनीष चौधरी, डीजीएम (इलेक्ट्रिकल)-कम–एचओपी, सौर ऊर्जा परियोजना अणु हमीरपुर के बयान को खारिज नहीं किया जा सकता और इसमें तथ्यात्मक तथ्य हैं, जिनकी आगे जांच की आवश्यकता है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा ने अपनी रपट में कहा कि इन आरोपों की पुष्टि करने के लिए उन्होंने रिकॉर्ड का अध्ययन किया है, जिसमें कहा गया है कि 27 फरवरी, 2025 को विमल नेगी और देश राज के बीच सात बार टेलीफोन पर बातचीत हुई थी और उसी दिन श्री मनीष चौधरी और देश राज के बीच दो बार टेलीफोन पर बातचीत हुई थी। देश राज और दीपक डोगरा, डीजीएम (ईसी) के बीच 27 फरवरी, 2025 को बारह बार टेलीफोन पर बातचीत हुई थी। ये तथ्य बताते हैं कि नीचे कुछ गड़बड़ है जिसकी विशेषज्ञ एजेंसी द्वारा गहन और आगे की जांच की आवश्यकता है।
रजनीश कटोच ने अपने 29 मार्च के बयान में कहा कि फरवरी, 2025 के अन्तिम सप्ताह से मार्च, 2025 के प्रथम सप्ताह तक विमल नेगी पेखुबेला सौर ऊर्जा परियोजना के लिए समय विस्तार को अंतिम रूप दिए जाने के कारण अत्यधिक मानसिक दबाव में थे व 03-03-2025 विमल नेगी ने बताया कि उन्होंने घबराहट की दवाइयां ली थीं। कटोच ने ये भी कहा कि विमल नेगी को डाक्टरों की सलाह के मुताबिक आराम की जरूरत थी लेकिन देश राज ने उन्हें रात 8बजे एच.पी.पी.सी.एल. कार्यालय में बुलाया ।
कटोच ने अपने बयान में कहा कि देश राज विमल नेगी पर उसकी उपस्थिति में पेखुबेला सौर ऊर्जा परियोजना के राजस्व को बढ़ा का दिखाने का दबाव डाला ताकि स्टेटस नोट के उद्देश्य से, जिसे चालू विधानसभा सत्र में सदन के पटल पर पेश किया जा सके। यह तथ्य रिकॉर्ड से इस बात को और पुष्ट करता है कि विमल नेगी और देश राज के बीच सोलह बार टेलीफोन पर बातचीत हुई थी। यह भी गहन जांच का विषय है कि देश राज और हरिकेष मीणा विमल नेगी पर कथित रूप से दबाव डालकर कथित राजस्व को बढ़ा कर क्यों दिखलाना चाहते थे।
ठेकेदार को बिना बोर्ड की मंजूरी के करोड़ों देने का दबाव
रपट में कहा गया है कि इसी तरह बिपिन गुलेरिया, वरिष्ठ प्रबंधक का बयान बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है जिसमें गुलेरिया ने कहा है कि विमल नेगी पर प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा और निदेशक देश राज द्वारा लगातार दबाव बनाया जा रहा था कि वे संबंधित ठेकेदार को परियोजना का पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करें ताकि मेसर्स प्रोजील प्राइवेट लिमिटेड को 10% भुगतान जारी किया जा सके। गुलेरिया ने कहा है कि इसके लिए निदेशक मंडल द्वारा अंतिम रूप नहीं दिया गया है यानी अनुमोदित नहीं किया गया है।
इसलिए, मील के पत्थर चार यानी परियोजना के पूरा होने पर भुगतान केवल समय विस्तार मामले के अंतिम रूप देने के बाद ही किया जा सकता है। यह उनकी सिफारिश थी। देश राज के निर्देशानुसार विमल नेगी द्वारा ठेकेदार को 10% की राशि का भुगतान बिना किसी कारण के जारी करने के लिए कहा गया था।
रपट में कहा गया कि विमल नेगी पर डाले कितना दबाव था और देश राज की ओर से मेसर्स प्रोजील प्राइवेट लिमिटेड को भुगतान जारी करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे का अनुमान उनकी नोटिंग से लगाया जा सकता है, जिसके तहत देश राज सक्षम प्राधिकारी से अनुमोदन प्राप्त किए बिना बहुत मजबूत टिप्पणी की है।
ओंकार शर्मा ने अपनी रपट में सिफारिश की है कि हरिकेष मीणा और देश राज के बीच कथित गहरी साजिश क्या थी और विमल नेगी और दूसरे अधिकारी पर ठेकेदार को 10% भुगतान जारी करने के लिए दबाव डालने की उनकी करतूतों की विशेषज्ञ एजेंसी द्वारा जांच की जानी चाहिए।
रपट में कहा गया है कि एलओए में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार, छह महीने की अवधि बढ़ाई नहीं जा सकती थी। इसके अलावा, अनुबंध की सामान्य शर्तों के अनुसार परियोजना को पूरा करने में ठेकेदार की विफलता की स्थिति में, ठेकेदार को नियोक्ता को प्रत्येक सप्ताह के लिए पूरी सुविधा के अनुबंध मूल्य के आधे प्रतिशत (0.5%) के बराबर राशि का भुगतान इस तरह की चूक के लिए हर्जाने के रूप में करना था। यह बिंदु पांच प्रतिशत राशि एक सप्ताह की देरी के लिए लगभग एक करोड़ दस लाख रुपये आती है।
आडिट पैरा का हवाला देते हुए रपट में कहा गया है कि पेखुबेला सोलर पावर परियोजना के 12.73 करोड़ रुपये के विलंब के लिए ईओटी को अंतिम रूप दिए बिना ठेकेदार को भुगतान जारी करके और क्षतिपूर्ति वसूल करके ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।’ हिमाचल प्रदेश के प्रधान महालेखाकार अपने आडिट पैरा में कहा कि प्रबंधन अपने हितों की रक्षा करने में विफल रहा और विलंब विश्लेषण के अनुसार बारह करोड़ तिहत्तर लाख रुपये की प्रस्तावित क्षतिपूर्ति वसूल किए बिना ठेकेदार को भुगतान कर दिया। बिना क्षतिपूर्ति के भुगतान की यह समयपूर्व अदायगी ठेकेदार को बारह करोड़ तिहत्तर लाख रुपये का अनुचित लाभ पहुंचाने के समान है।
ओंकार शर्मा ने कहा कि उनके विचार में यहां कुछ गड़बड़ है और यह विशेषज्ञ एजेंसी दजांच करानी चाहिए कि अधिकारियों की फर्म यानी मेसर्स प्रोजील प्राइवेट लिमिटेड पेखुबेला सोलर पावर प्रोजेक्ट को अनुचित लाभ पहुंचाने में क्या व्यक्तिगत रुचि थी।
ओंकार शर्मा की इस रपट में कई कुछ उधेड़ कर रख दिया है लेकिन इस रपट के सरकार के पास पहुंचने के बाद सुक्खू सरकार ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की और दोबारा ओंकार शर्मा को वापस भेज दी । ये अपने आप गंभीर मसला है और सुक्खू सरकार की कार्यप्रणाली की पूरी कलई खोल कर रख दी हैं।ऐसे में अगर सीबीआइ ने भ्रष्टाचाार के नजरिए से जांच की तो मुख्यमंत्री सुक्खू तक भी आंच आएगी।
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