शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के 13 ठिकानों पर बेटी के शादी वाले दिन हुई सीबीआई छापेमारी के बाद वीबीएस रिश्वत कांड,एलआईसी करने व आय से अधिक संपति मामले में दर्जहुई एफआईआर में कई लोगों की गिरफ्तारी का अंदेशा बढ़ गया है। समझा जा रहा है कि वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों की पांच करोड़ की एलआईसी करने वाले एजेंट आनंद चौहान को सीबीआई कभी भी गिर फ्तार कर सकती है। हालांकि आज सीबीआई ने किसी की भी गिर फ्तारी नहीं की। सीबीआई के प्रवक्ता आर के गोर ने कहा कि आज कोई अरेस्ट नहीं हुआ है।सूत्रों के मुताबिक सीबीआई आनंद चौहान, सेब के आढ़ती चुन्नीलाल, जिसे वीरभद्र सिंह ने करोड़ों के सेब बेचे थे,वक्कामूला जिसके खाते से वीरभद्र सिंह व उनके परिवारके सदस्यों के खातों में पैसे गए थे ,को गिरफ्तार करने की रणनीति पर है।गिरफतारी के टारगेट पर एलआईसी का एक अफसर भी शामिल है। अब देखना यह है कि ये गिरफ्तारियां कब तक होती है।
उधर,सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर को हासिल करने के लिए वीरभद्र सिंह की ओर से सीबीआई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी गई है। इस पर बुधवार को सुनवाई होगी।
उधर,प्रदेश के खुफिया विभाग के सूत्रों के मुताबिक सीबीआई की ये छापेमारी पहले 21 या 22 तारीख को करने की थी। लेकिन सीबीआई ने अपनी रणनीति बदल दी। सीबीआई को कोई भनक मिली थी कि वीरभ्रद सिंह सरकार की ओर अंबानी की पावर कंपनी को आवंटित 960 मेगावाट के जंगी थोपन व थोपन पवारी पावर प्रोजेक्ट को आवंटित करने व प्रधानमंत्री मोदी के लाडले उद्योगपति अदाणी की कंपनी को अपफ्रंट मनी के 280 करोड़ लौटाने के फैसले की एवज में करोड़ों रुपए मिले है जिसे वीरभद्र सिंह शादी वाले दिन इधर – उधर करने वाले है।इन सूत्रों की माने तो सीबीआई तक इस तरह की सूचना भाजपा के नेताओं की ओर से दी गई थी। सीबीआई के अधिकारियों ने इस सूचना को गंभीरता से लिया और अपने प्लान में बदलाव करते हुए 26 सितंबर को छापेमारी की। लेकिन कोई पैसा कहीं था ही नहीं। बताते है कि सेंट्रल एजेंसी ने एक रिटायर अफसर,मोदी सरकार के करीबी एक उदयोगपति और एक नेता की कोई बातचीत टेप की।इस टेप की जानकारी एजेंसी के लाडले अफसरों ने एक भाजपा नेता के लाडले के जरिए वित मंत्री अरुण जेटली को सुनवाई। बताते है कि ऐसे में सीबीआई की छापेमारी को अंजाम दिया गया। लेकिन इस पर भी सीबीआई जुबान नहीं खोल रही है।
समझा जाता है कि वीरभद्र सिंह को ये अंदेशा था कि सीबीआई छापेमारी करने वाली है। इसलिए छापेमारी से एक दिन पहले ही इस अंदेशे को भांपते हुए पूरी केबिनेट ने बाकायदा विज्ञप्ति जारी करते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला था व कहा था कि वो प्रदेश सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है। छोपमारी का अंदेशा भी जता दिया था। लेकिन संभवत: ये अंदेशा नहीं था कि दूसरे दिन ही छापेामरी हो जाएगी। वीरभद्र सिंह के करीबी लोग बताते है कि छापेमारी में सीबीआई को केवल डेढ़ लाख रुपया कैश ही मिला। कितना मिला इसकी पुष्टि न सीबीआई कर रही है और न कोई और
भाजपा के अध्यक्ष सतपाल सती ने अदाणी की कंपनी को 280 करोड़ रुपए अप फ्रंट मनी लौटाने का विरोध केबिनेट के फैसले के 11 दिन बाद किया था व किसी डील की ओर अंदेशा जताया था। समझा जा रहा है कि सीबीआई तक किसी ऐसे ही डील की सूचना दी गई थी जो संभवत: सही नहीं निकली। हालांकि इस सबकी आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं कर रहा है।अब वीरभद्र सिंह छोपमारी व इस मामले में अब तक मोदी सरकार की विभिन्न एजेंसियों की हुई कार्यवाहियों को अदालत में ले जाने की रणनीति बनाकर इन एजेंसियों को घेरने जा रहे है। इसी कड़ी में दिल्ली में सीबीआई अदालत में एफआईआर की प्रति हासिल करने की अर्जी दे दी गई है। वो कानूनविदों से लगातार सलाह ले रहे हैं व समझा जा रहा है कि वो इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट जाकर सीबीआई की कार्रवाई को कटघरे में खड़ा कर सकते है।
उधर राजनीतिक स्तर पर कांग्रेस पार्टी व कांग्रेस का पूरा विधायक दल वीरभद्र सिंह के समर्थन में आ गया है तो भाजपा वीरभद्र सिंह के इस्तीफे पर अड़ गई है।
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