शिमला। सीबीआइ ने गुडिया दुष्कर्म व हत्या मामले को दुर्लभतम मामला करार देते हुए राजधानी की सीबीआइ की विशेष अदालत से इस मामले में दोषी करार दिए गए अनिल कुमार ऊर्फ नीलू चिरानी को सजा-ए-मौते देने की मांग की है। इस मामले पर आज दोषी को कितनी सजा दी जाए इस बावत सीबीआइ और नीलू की ओर से पैरवी कर रहे वकीलों ने बहस की।
सीबीआइ की ओर से पैरवी कर अभियोजक अमित जिंदल ने अदालत से कहा कि यह मामला दुर्लभतम में से एक है। गुडिया के साथ दुष्कर्म ही नहीं उसकी बडी बेहरमी से हत्या भी कर दी गई और लाश को ठिकाने लगा दिया गया। । इसके अलावा दोषी पहले भी कई अपराधों में संलिप्त रह चुका है।वह आदतन अपराधी है।
इसके पुनर्वास की कोई संभावना नहीं है व समाज के लिए इस तरह के अपराधी खतरा होते है। ऐसे में नीलू को मौत की सजा से कम नहीं दी जाए
दूसरी ओर नीलू की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि सीबीआइ की जांच के मुताबिक जब यह हादसा हुआ तो नीलू शराब के नशे में थे। इसके अलावा उसका हत्या करने का कोई इरादा नहीं था। यह अपराध पूर्व नियोजित तरीके से भी नहीं हुआ है। नीलू की ओर से किए गए अपराध का कोई चश्मदीद गवाह भी नहीं है। सीबीआइ ने उसे परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर दोषी ठहराया है।
ऐसे में नीलू को मौत की सजा न दी जाए। उन्होंने नीलू के पक्ष सुप्रीम कोर्ट की कई नजीरें पेश की। विशेष सीबीआइ अदालत के जज राजीव भारदवाज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अब 18 जून को फैसला सुनाने के लिए तारीख तय कर दी है। प्रदेश में कोरोना कफर्यू लगने की वजह से इस मामले में सुनवाई टलती रही थी।
आज नीलू को अद ालत में पेश किया गया। सीबीआइ की ओर से पैरवी कर वकील सुनवाई के दौरान आनलाइन जुडे। बहस के दौरान नीलू अदालत में खामोश खडा रहा। बाहर आकर उसने अपने वकील से कुछ बात करता नजर आया।
याद रहे नीलू को सीबीआइ की विशेष अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा376(2(1),376 ए, और 302 के अलावा पोक्सो अधिनियम की धारा 4 के
तहत 28 अप्रैल को दोषी ठहराया था। अदालत ने डीएनए मिलान को अकाटय साक्ष्य माना था ।
चार जुलाई 2017 को जिला शिमला के कोटखाइ इलाके के हिलाइला में दसवीं कक्षा की छात्रा गुडिया स्कूल के टूर्नामेंट में जाने के लिए कपडे लाने स्कूल से घर को अकेली निकली थी।
इसके बाद से वह गायब हो गई। दो दिन बाद उसकी लाश स्कूल के समीप ही एक खाई में मिली थी । दुष्कर्म करने के बाद उसकी बडी बेरहमी से हत्या कर दी थी।
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