शिमला।देश के 68वें स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय परिसर में शहीद कैप्टन नितिन गौतम के परिजनों को सम्मानित किया। कैप्टन गौतम ने एक घातक आपरेशन में जम्मू एवं कश्मीर के द्रास क्षेत्र में प्लाटून कमांडर के रूप में पलटन का नेतृत्व करते हुए मातृृभूमि के लिए अपना जीवन न्यौछावर किया।
5 अगस्त 1987 को बिलासपुर जिला से सम्बंध रखने वाले कामेश्वर गौतम व सुमन गौतम के घर जन्में कैप्टन नितिन गौतम ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ईसीआई शेले-डे स्कूल और दयानंद पब्लिक स्कूल शिमला से और माध्यमिक शिक्षा सैनिक स्कूल सुजानपुर टिहरा, जिला हमीरपुर से की। नितिन स्कूल का महत्वाकांक्षी और गतिशील छात्र था। वह छात्रवास और स्कूल के साहित्यक कप्तान थे। उन्होंने विभिन्न खेल और राष्ट्रीय स्तर नार्थ जोन हाॅकी चैम्पियनशिप इत्यादि में अपने स्कूल का प्रतिनिधित्व किया।
स्कूल के समय से ही देश सेवा का उत्साह उनमें कूट-कूट कर भरा था। जिस कारण जून 2006 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला पुणे के लिए वह चयन पाने में सफल हुए। 2009 में भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में शामिल हुए और जून 2010 भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से सैन्य स्थाई अधिकारी कमीशन के रूप में पास आउट हुए। उनकी तैनाती 9वीं गढ़वाल राईफल में हुई और उन्होनं सफलतापूर्वक अपने युवा अधिकारी कोर्स और घातक कोर्स को पूरा किया। उन्हंे अपनी पहली तैनाती यूनिट के साथ जम्मू कश्मीर के बटालिक क्षेत्र में मिली। नितिन गौतम को जून 2012 में कप्तान के रूप में पदोन्नत किया गया था।
15 सितम्बर 2012 को आतंकवाद विरोधी ग्रिड के एक भाग के रूप में नियंत्रण रेखा के करीब 10,670 फुट की उंचाई पर यूनिट घातक प्लाटून में प्लाटून कमांडर के तौर अपनी पलटन के साथ वह आपरेशन में कार्यरत थे और आपरेशन का नेतृृत्व करते हुए 25 वर्ष की आयु में नितिन गौतम ने अपने प्राणों को देश के लिए न्यौछावर कर दिए। नितिन गौतम ने अपनी साहस, अदम्य साहस, उत्कृृष्ट नेतृृत्व और कर्तव्य के प्रति समर्पण का प्रदर्शन किया और भारतीय सेना की सर्वोच्च परम्पराओं में सर्वोच्च बलिदान दिया।
राष्ट्र निर्माण सर्वोपरी होना चाहिए -वाजपेयी
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.ए.डी.एन.वाजपेयी ने कहा है कि राष्ट्र निर्माण सर्वोपरी होना चाहिए वे आज 68वें स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय में ध्वजा रोहण के बाद बोल रहे थे। उन्होनंे कहा कि आज हमें अपनी मान्सिकता राष्ट्र के पुर्ननिर्माण के लिए बनानी होगी जिससे राष्ट्र का आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक विकास हो सके। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष में स्वतन्त्रता के बाद बहुत अधिक तरक्की की है लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकि है।
कुलपति ने शिक्षकों, छात्रों और विशेष रुप से शोध छात्रों का आवाह्न किया कि वे विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विकास के लिए मेहनत करें और इस संस्थान को उत्कृष्तम श्रेणी में पहुचाने के लिए प्रयास करें। कुलपति ने छात्रों का आवाह्न किया कि वे परिसर में शैक्षणिक माहौल बनाए रखे और विश्वविद्यालय प्रशासन हमेशा उनकी समस्याओं के निदान के लिए तत्पर है।
कुलपति ने स्वतन्त्रता सेनानियों को समर्ण करते हुए कहा कि आज़ादी से पूर्व स्वतन्त्रता सेनानियों ने यातनाएं सहीं और उसी के परिणाम स्वरुप आज हम खुली हवा में आज़ादी के साथ सांस ले सकते हैं
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