शिमला। प्रदेश की वीरभ्ाद्र सिंह सरकार के अढाई साल पूरे होने के मौके पर जहां सरकार ने उना में रैली कर जश्न मनाया वहीं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की अगुवाई में प्रदेश भाजपा ने सरकार व उसके मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर 34 पृष्ठों की एक चार्जशीट आज राज्यपाल कल्याण सिंह को सौंपी। राज्यपाल राजभवन में नहीं थे तो इसे राज्यपाल के सचिव संजय गुप्ता को सौंपा गया। भाजपा ने इन सब आरोपों की जांच सीबीआई से कराने व सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है।
मजे की बात इस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप है और दोनों ही इन आरोपों को राजनीतिक बदले की भावना से लगाए जा रहे करार दे रहे है। जार्चशीट में वीरभद्र सिंह व उनके मंत्रियों पर कई आरोप लगाए गए है। मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव सुभाष आहलुवालिया को अप्रैल में ईडी की ओर से भेजे सम्मन को भी चार्जशीट के साथ संलग्न किया गया है।इसके अलावा मंत्री जी एस बाली,ठाकुर सिंह भरमौरी,सुधीर शर्मा समेत करीब करीब सभी मंत्रियों और कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू, एमएलए नीरज भारती पर भी भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए है।
उधर, विश्लेषकों ने भाजपा की ओर से राज्यपाल को सौंपी जार्चशीट में लगाए गए आरोपों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए है। इन विश्लेषकों की माने तो ये आरोप बेहद कमजोर ओर चालू किस्म के है। इससे संदेह हो रहा है कि कहीं भाजपा के नेता प्रेम कुमार धूमल और वीरभद्र सिंह के बीच कुछ पक तो नहीं गया है।वीरभद्र सिंह धूमल के मामलों में कुछ नहींकर रहे है। अढाई साल में इन मामलों में कहीं कुछ नहींहुआ है। जो मामले अदालत में भी गए है उनमें से भी आधी जानकारियों चालान में नहीं दी गई है। कइयों में स्टे है तो उसे तुड़वाया नहीं जा रहा है।जबकि दूसरी ओर वीरभद्र सिंह सार्वजनिक तौर सरेअाम इल्जाम लगा रहे है कि मोदी सरकार से उनके खिलाफ जो भी हो रहा है वो धूमल और उनके पुत्रों के इशारों पर हो रहा है। ऐसे में ये भाजपा व कांग्रेस के बीच एक अरसे सेचला आ रहा चार्जशीट का ये धंधा बंद होने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा ने पहले भी कांग्रेस सरकार के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। सता में आने पर जांच भी चलाई थी। लेकिन पकड़ा किसी को नहीं था।अब वीरभद्र सिंह की सरकार भी वही खेल खेल रही है। प्रदेश में दोनों पार्टियां सतासे बाहर रहने पर चार्जशीट पर चार्जशीट बनाती है और सता में आने पर किसी को नहीं पकड़ती है। ये खेल पिछले एक अरसे से चला हुआ और जनता की आंखें में सरेआम धूल झोंकी जा रही है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर सीबीआई ने प्रारंभिक जांच दर्ज कर रखी है इसको लेकर भी कहा जा रहा है कि ये धूमल और वीरभद्र सिंह के बीच समझौते की कॉल है। अन्यथा अब तक एफआईआर दर्ज हो चुकी होती। अब धूमल की अगुवाई में चालू किस्म के आरोप लगाकर चार्जशीट सौंपी गईहै। अगर भाजपा को लगता है किउनके आरोपों में दम है तो उसे अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए। लेकिन ऐसा न तो कांग्रेस पार्टी करती है और न ही भाजपा।
भाजपा की चार्जशीट मजबूत हैं या महज आइवाश है ये जानने के लिए यहां पढ़े पूरी चार्जशीट-:
आरोप-पत्र (भाग – प्)
हिमाचल प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार का ढाई वर्ष का कार्यकाल जो 25 जून, 2015 को पूरा हो रहा है, प्रदेश के इतिहास में काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा, क्योंकि इस दौरान विकास कार्य ठप्प हो गए, जन-कल्याण के लिए कोई नीति नहीं बनी। सिर्फ भ्रष्टाचार और अत्याचार की नीति पर चलते हुए जहां प्रदेश को लूटा वहीं अपने राजनैतिक विरोधियों को प्रताडि़त करने का ही काम किया। ढाई साल के इस कार्यकाल में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने विपक्ष की आवाज को दबाने का हर सम्भव प्रयास किया। विपक्ष के नेता व विपक्षी विधायकों पर अशोभनीय टिप्पणियां कर तथा अपने राजनैतिक विरोधियों पर झूठे मुकद्मे दर्ज कर आपातकालीन स्थिति की याद ताजा करवा दी। संयोग यह है कि इस सरकार के काले अध्याय का ढाई साल का कार्यकाल 25 जून को पूरा हो रहा है जिस दिन 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने देश पर आपातकालीन स्थिति घोषित कर दी थी इसलिए संयोग से 25 जून जो देश के लिए काला दिन माना जाता है उसी दिन इस सरकार के काले अध्याय के ढाई साल पूरे हो रहे हैं और यह सरकार ढाई साल के काले अध्याय का जश्न मना रही है, परन्तु भारतीय जनता पार्टी को पूरा विश्वास है कि जैसे देश की जनता ने उस समय संघर्ष कर देश को आपातकाल से छुटकारा दिलवाया था उसी तरह हिमाचल प्रदेश की जनता भी इस तानाशाह व भ्रष्ट सरकार से प्रदेश को जल्द छुटकारा दिलाएगी।
हिमाचल हुआ शर्मसार
यदि किसी प्रदेश के मुखिया पर प्रमाण सहित भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो इससे बड़ी शर्म की बात और क्या हो सकती है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तो पूरे ढाई वर्ष भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे रहे और उनका कार्यालय भी भ्रष्टाचार का अड्डा बना रहा जिससे निश्चितरूप से हिमाचल शर्मसार हुआ है। वर्ष 2010 में यू0पी0ए0-2 की सरकार के समय केन्द्रीय इस्पात मंत्री रहते हुए 2.80 करोड़ रू0 लेने के जो आरोप लगे थे उनके कारण उनका विभाग बदल कर महत्वहीन विभाग दे दिया गया। श्री वीरभद्र सिंह ने 2012 में अपनी तीन वर्ष की आयकर रिटर्न को संशोधित करते हुए अपने सेब के बगीचे की आय 6..01करोड़ रू0 दिखाई जबकि पहले इस बागान से 7 लाख, 15 लाख, 25 लाख तक आय ही दर्शायी गई थी। भ्रष्टाचार का यह मामला भी माननीय उच्च न्यायालय दिल्ली में विचाराधीन है।
यही नहीं जिस वकामुल्ला चंद्रशेखर की कम्पनी को उन्होनें बार-बार बिजली प्रोजेक्ट देने का प्रयास किया उसके बैंक खातों से मुख्यमंत्री जी और उनकी धर्मपत्नी के बैंक खातों में 7 करोड़ से अधिक की धनराशि डाली गई। श्री वीरभद्र सिंह ने तो अपने खाते में पड़ी इस धनराशि का वर्ष 2012 में लड़े विधान सभा चुनाव के समय भरे हल्फनामे मे जिक्र ही नहीं किया जबकि उनकी धर्मपत्नी ने वर्ष 2013 के लोक सभा उप-चुनाव में अपने हल्फनामे में कर्ज दर्शाया। जबकि अपने खातों में करोड़ों रू0 होते हुए कर्ज लेने की क्या आवश्यकता ? वकामुल्ला चंद्रशेखर की बेटी तारिणी के नाम से तारिणी इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की सांसद धर्मपत्नी श्रीमती प्रतिभा सिंह के 10 रू0 प्रति शेयर के हिसाब से 3,40,000 शेयर हैं जिसका जिक्र इन्होनें चुनाव लड़ते समय अपने हल्फनामे में नहीं किया। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह जो युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष हैं, के नाम उस कम्पनी में 3,00,000 शेयर हैं और उनकी बेटी श्रीमती अपराजिता के नाम भी 3,40,000 शेयर हैं। श्री वीरभद्र सिंह ने वर्ष 2012 में लड़े विधान सभा चुनाव में दिए हल्फनामे में इन्हें अपना आश्रित बताया है परन्तु इनके शेयरों का जिक्र नहीं किया है जिससे साफ होता है कि दाल में कुछ काला नहीं अपितु ये दाल ही काली है।
18 जून, 2015 को सी0बी0आई0 ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तथा उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक सम्पति की प्राथमिक जांच करने के लिए मामला दर्ज किया। नैतिकता का तकाजा है कि निष्पक्ष जांच करने के लिए मुख्यमंत्री तत्काल अपने पद से त्यागपत्र देते परन्तु इन्होनें ये नैतिकता तो नहीं दिखाई बलिक हिमाचल को जरूर शर्मसार कर दिया।
मुख्यमंत्री कार्यालय बना भ्रष्टाचार का अड्डा:-
मुख्यमंत्री के निजी सचिव रिटार्यड आई0ए0एस0 अधिकारी श्री सुभाष आहलूवालिया को प्रवर्तन निदेशालय ने 22.4.2015 को उनसे, उनके और उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों, लाॅकरों, उनके और उनके परिवार के सदस्यों के नाम देश और विदेश में चल व अचल सम्पति जो पिछले 10 साल में बेची व खरीदी हो, के बारे में पूछताछ करने के लिए अपने कार्यालय बुलाया था, जोकि एक गंभीर मामला है। श्री सुभाष आहलूवालिया पिछली कांग्रेस की सरकार के समय भी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निजी सचिव रहे थे और उन पर अनेक भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। रिटायर होने के बावजूद इस बार फिर उन्हें उसी पद पर कार्यरत रखना पहले से ही संदेह के घेरे में है और अब प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बुलाने से स्पष्ट है कि इन ढाई वर्षों में भी मुख्यमंत्री कार्यालय में इनकी देख-रेख में भ्रष्ट कृत्यों को अंजाम दिया जाता रहा। ।
माफिया राज
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के ढाई साल के कार्यकाल के दौरान सरकार की कार्यप्रणाली ने प्रदेश की जनता को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि प्रदेश में किसी चुनी हुई सरकार का नहीं अपितु माफिया का राज है।
1. वन माफिया:-
वन, हिमाचल प्रदेश की पहचान है और प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अवैध वन कटान को बढ़ावा देकर प्रदेश की पहचान को अर्थात हिमाचल प्रदेश के अस्तित्व को मिटाने का प्रयास किया। विधान सभा के अंदर प्रश्न संख्या 1784 दिनांक 26 मार्च, 2015 के लिखित उŸार में सरकार ने बताया कि सिर्फ ढाई वर्षों में अवैध वन कटान के 8,132 मामले दर्ज हुए जिन पर कोई कारवाई नहीं हुई। शिमला राजधानी के समीप तारादेवी में जिस तरह दिन दिहाड़े 477 देवदार के पेड़ काटे गए और चम्बा में जैसे जंगलों के जंगल साफ हो गए और अभी धर्मशाला के मैकलोड़गंज में हुए अवैध कटान में वन मंत्री के रिश्तेदार का नाम आ रहा है उससे स्पष्ट है कि वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी स्वयं वन माफिया के संरक्षक हैं।
2. खनन माफिया:-
प्रदेश में कांग्रेस सरकार के बनते ही खनन माफिया सक्रिय हो गया था। इन ढाई सालों में प्रदेश के आम आदमी को मकान तक बनाने के लिए और यहां तक कि सरकारी विकास कार्यों के लिए रेत, बजरी उपलब्ध नहीं हो पा रहा, परन्तु प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों की खड्डों से स्टोन क्रशरों से ट्रालों में रेत, बजरी ढोया जा रहा है। जिला ऊना, सिरमौर, सोलन, बिलासपुर आदि के कांग्रेसी नेता इस गैर कानूनी धंधे में संलिप्त हैं। बिना औपचारिकताऐं पूरी किए प्रदेश में स्टोन क्रशरों को चलने देना और यहां तक कि प्रदेश के बाहर के लोगों को स्टोन क्रशर लगाने की स्वीकृति देना दर्शाता है कि खनन माफिया के संरक्षक कोई और नहीं बल्कि स्वयं उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री है, क्योंकि विपक्ष द्वारा बार-बार विधान सभा के अंदर और बाहर मुद्दा उठाने के बावजूद खनन माफिया पर कोई ठोस कारवाई नहीं हो रही। फोरलेन सड़क निर्माण में लगी कम्पनियों द्वारा बिलासपुर व मण्डी जिलों में अवैध खनन को बढ़ावा देने को रोकने की जनता और विपक्ष की मांग उठाने पर भी कोई कदम न उठाना हमारे आरोपों को सत्य सिद्ध करता है।
3. ड्रग माफिया:-
इस सरकार के सता में आते ही ड्रग माफिया ने भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे और युवा पीढ़ी इसके शिकंजे में फंसती जा रही है। प्रदेश सरकार ने ड्रग माफिया के दबाव में ड्रग के प्रभाव को रोकने की बजाए बढ़ाने का काम किया जिसका खामियाजा प्रदेश की आने वाली पीढि़यांे को भुगतना पड़ेगा।
ड्रग माफिया को किस तरह कांग्रेस सरकार के मंत्रियों तक का संरक्षण प्राप्त है इसका प्रमाण हरोली विधान सभा क्षेत्र से मिलता है। हरोली विधान सभा क्षेत्र में राजनीतिक संरक्षण के चलते ड्रग माफिया बहुत ही अधिक सक्रिय हो गया है। ड्रग माफिया का धंधा केवल शराब तक ही सीमित नहीं रहा है बल्कि स्मैक (चिट्टा) जैसे जानलेवा नशीले पदार्थ सरेआम मिल रहे हैं। ड्रग माफिया के इस कारोबार के चलते हरोली विधान सभा क्षेत्र का युवा वर्ग बुरी तरह से नशे की लत में आ गया है। इन नशीले पदार्थों ने हरोली विधान सभा क्षेत्र के कई युवाओं की जीवनलीला ही समाप्त कर दी है। दुलैहड़ के एक युवक आरजू ठाकुर की जब ऐसे नशों के चलते मृत्यु हुई थी, पूरे ग्राम निवासियों ने उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री का घेराव भी किया था। मुकेश अग्निहोत्री ने अपने गांव गोन्दपुर जयचंद के एक युवक संदीप कुमार की भी स्मैक के ओवरडोज के चलते मृत्यु हुई थी। क्षेत्र में और भी कई लोगों की इन नशों के कारण अकाल मृत्यु है परन्तु परिवार वाले सामाजिक कारणों के चलते यह नहीं बताते कि उनके परिवार के सदस्य की मृत्यु नशे से हुई है। जिन लोगों ने पिछले विधान सभा चुनावों में मुकेश अग्निहोत्री के लिए बढ़चढ़ कर काम किया और अपने घरों में बुलाकर मुकेश अग्निहोत्री को पैसों से तोला किया था, स्मैक पाउडर के साथ पकड़ा गया। मीडिया में जिसके फोटो भी प्रकाशित हुए हैं। जिन पुलिस कर्मचारियों ने ड्रग माफिया पर नकेल डालने का प्रयास किया उन्हें ईनाम की बजाए उल्टा प्रताडि़त किया गया। पिछले वर्ष पंडोगा चैकी के अंतर्गत ए0एस0आई0 विशेष कुमार की टीम ने पंडोगा में इस कारोबार से जुड़े कुछ संदिग्ध लोगों को पकड़ा जिनमे एक युवक हरोली
के कांग्रेस के बड़े नेता का बेटा भी था। यह जांच का विषय है कि किसके दबाव के चलते उस युवक को छोड़ा गया और जिला पुलिस कर्मचारी विशेष कुमार (ईन्चार्ज पंडोगा चैकी) को प्रताडि़त करते हुए तबादला कर दिया गया।
4. शराब माफिया:-
हिमाचल प्रदेश में शराब माफिया तो इतना प्रभावशाली है कि उसके दबाव में हिमाचल सरकार अपने कैबिनेट के निर्णय को बदल लेती है। फरवरी माह में पहले धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश की कैबिनेट बैठक में प्रदेश के अंतर्गत शराब के ठेकों (दुकानो) की नीलामी करने का निर्णय लिया गया। आबकारी एवं कराधान मंत्री ने कहा कि इससे प्रदेश को 500 करोड़ की आमदन होगी, परन्तु 15 दिन बाद शिमला में कैबिनेट मीटिंग कर अपने निर्णय को बदल दिया और पुराने ठेकेदारों को ही ठेकों को चालू रखने का निर्णय कर दिया जिससे प्रदेश को 500 करोड़ रू0 के लगभग का आर्थिक नुकसान हुआ। निश्चितरूप से कैबिनेट ने यह निर्णय शराब माफिया के दबावा में ही बदला और इसमें भारी लेन-देन हुआ, ऐसी खबरें आई हैं जो इस सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह् लगाती है।
5. भू-माफिया: –
हिमाचल प्रदेश में तो कांग्रेस पार्टी ही भू-माफिया का पर्याय बन गई है, क्योंकि जहां पार्टी ने अपने दफ्तरों के लिए सरकारी जमीन हथियाई वहीं इसके नेताओं ने भी गैर कानूनी ढंग से भूमि हड़पने का काम किया।
कांग्रेस पार्टी ने अपना प्रदेश कार्यालय बनाने के लिए शिमला शहर के केन्द्र में स्थित करोड़ों रूपये की जमीन जहां किसानों के लिए सब्जी मण्डी बननी थी, राजीव गांधी ट्रस्ट के नाम लीज पर दे दी और सभी नियमों को ताक पर रख बहुमंजिला भवन बना लिया जिसकी 3 मंजिलें अभी तक नियमित नहीं है।
यही नहीं भाखड़ा बांध विस्थापितों के शहर बिलासपुर जहां भाखड़ा बांध विस्थापितों को तो प्लाॅट देने के लिए जमीन मिल नहीं रही वहां लीज पर जमीन लेकर कांग्रेस पार्टी का कार्यालय बना लिया।
वैसे तो माननीय उच्च न्यायालय ने भूमि तबादलों पर प्रतिबन्ध लगा रखा है परन्तु वर्तमान कांग्रेस सरकार ने कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद चंद्रकुमार व मुख्य संसदीय सचिव नीरज भारती के पिता को कैबिनेट मीटिंग कर भूमि तबादले की अनुमति दे दी और सरकारी वन भूमि पर बनी उनकी कोठी को नियमित कर दिया।
जी0 एस0 बाली के नाम से मशहूर कांग्रेस सरकार के परिवहन मंत्री श्री गुरमुख सिंह बाली ने अपने नाम व अपने बेटे, युवा कांग्रेस नेता रघुवीर बाली समेत परिवार के सदस्यों के नाम जिला कांगड़ा की पालमपुर तहसील के मौजा गोपालपुर में नलिनी कुमारी व श्रीमती राजेन्द्र कौर विधवा श्री कमेन्द्र सिंह से 04-48-72 है, शामलात भूमि 1,81,35,000/-रू0 (एक करोड़, इक्कयासी लाख, पैन्तीस हजार रूपये) में खरीदी जबकि शामलात वन भूमि को बेचा ही नहीं जा सकता। दूसरा यह जमीन चाय बगीचा का हिस्सा है, इसलिए इसे दूसरे कामों के लिए खरीदना भी नियमों की परिधि में नहीं आता। ।छछम्ग् .2
ऽ वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी पर अपने पद का दुरूपयोग कर गरीब आदमियों की जमीनें सस्ते भाव खरीदने का सनसनीखेज आरोप है। तथ्य यह है कि जीजा राम सुपुत्र श्री राधा राम गांव बाड़ी डा0 व तह0 भरमौर जिला चम्बा जो अनुसूचित जाति से सम्बन्धित हैं, को 1973 में नौतोड़ भूमि मिली थी। जीजाराम के मरने के बाद ये जमीन उनकी 2 पत्नियों व 4 पुत्रों के नाम चढ़ गई। ठाकुर सिंह भरमौरी उस समय वहां के विधायक थे और इस परिवार की जमीन उनको सरकारी नौकरी देने का झांसा देकर उन्होनें अपने व अपने बेटे के नाम सस्ते भाव खरीद ली जिससे वे भूमिहीन हो गए और आज तक उन्हें सरकारी नौकरी भी नहीं दी गई। इस सम्बन्ध में श्री जगदीश कुमार सुपुत्र श्री जीजाराम व श्री मदन लाल सुपुत्र श्री जीजाराम के शपथ पत्र ;।ििपकंअपजद्ध संलग्ति है। ।छछम्ग् .3
ऽ यही नहीं, वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी, उनकी पत्नी श्रीमती सावित्री देवी व उनके पुत्र अमित कुमार ने अनेक गरीब व्यक्तियों की भूमि भरमौर और होली तहसीलों के अंतर्गत खरीदकर उन्हें भूमिहीन कर दिया है और स्वयं बेतहाशा सम्पति के मालिक बन बैठे हैं। इसका ब्योरा आर0टी0आई0 के अंतर्गत ली गई सूचना से मिलता है जिसकी काॅपियां संलग्न हैं। ।छछम्ग् .4
ऽ दूसरों पर तथ्यहीन आरोप लगाने वाले कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व विधायक सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने जिला शिमला की ठियोग तहसील के फागु पटवार वृŸा के अंतर्गत एक गरीब महिला श्रीमती सन्की पुत्री जमनू जिसे नौतोड़ जमीन मिली थी, से 00-14-40 है0-आ0-से0 भूमि (नम्बर खसरा 19) अपनी पत्नी श्रीमती कमलेश के नाम खरीद कर उसे भूमिहीन कर दिया। ।छछम्ग् .5
ऽ जिला मण्डी के राजमहल जमीन बेनामी सौदे में विधायक/मंत्री के बैंक खाते से लाखों रूपये श्री संजय कुमार के बैंक खाते में ट्रांसफर हुए। ये बेनामी सौदा श्री खूब राम के नाम हुआ जिसका सूत्रधार संजय था। धर्मशाला में भी इस तरह के कई बेनामी भू-सौदे होने के समाचार मिले हैं।
ऽ सोलन जिला के धर्मपुर में होटल कोरियन बनाने के लिए धारा 118 में छूट देकर अपने चहेतों जो उच्च न्यायालय में भी केस हार चुके थे, को जमीन खरीदने की स्वीकृति दे दी।
ऽ कंडाघाट में 50 साल से चली आ रही पी0डब्ल्यू0डी0 रैस्ट हाऊस की सड़क को दिन दिहाड़े बड़ी-बड़ी मशीने लगाकर खोद दिया गया। उस सड़क को अपनी जमीन में मिला लिया गया, रैस्ट हाऊस का व काॅलोनी का रास्ता बन्द कर दिया गया। ज्ञात रहे कि पावर हाऊस महाराजा पटियाला के वक्त से चला आ रहा है।
ऽ भू-माफिया के ईशारे पर सरकार वन भूमि का लैण्ड यूज बदलकर बंजर कदीम कर रही है और अपने चहेतों को बांट रही है।
ऽ सोलन जिला में जिला पुलिस अधिकारी व कांग्रेस नेता मिलकर लोगों से धारा 118 के अंतर्गत जमीन खरीदने के लिए स्वीकृति दिलाने, नक्शे पास करवाने व बेनामी सौदों की जांच करवाने की धमकी देकर धन उगाही कर रहे हैं।
(30 महीने – 30 घोटाले)
वीरभद्र सरकार के 30 माह के कार्यकाल के दौरान 30 प्रमुख घोटाले घटित हो गए, इसलिए इस सरकार को अगर घोटालों की सरकार कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
1. सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग में टैण्डर घोटला:
वर्ष 2012 में एल डब्ल्यूएसएस हमीरपुर के समवर्धन और डप्च् नादौन के लिए क्रमशः 6,485.19 लाख और 97.59 करोड़ रू0 स्वीकृत हुए और सभी औपचारिकताऐं पूर्ण कर विभाग ने टैण्डर आमंत्रित किए परन्तु आदर्श चुनाव आचार संहिता लगने के कारण टैण्डर अवार्ड नहीं हो सके। चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद विभाग ने आगे की प्रक्रिया प्रारम्भ की परन्तु प्रदेश में चुनाव के बाद बनी कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री महोदय ने 16 फरवरी, 2013 को अपने डी0ओ0 नोट के माध्यम से विभाग को निर्देश दिए कि इन योजनाओं के टैण्डर ज्वाइंट वेंचर में काम करने वाली कम्पनियों को नहीं दिए जाए जिसके फलस्वरूप विभाग ने सारी टैण्डर प्रक्रिया रद्द कर दोबारा शुरू की और नई प्रक्रिया में श्रवपदज टमदजनतम में काम कर रही कम्पनियों को ।ससवू नहीं किया जिससे जहां इन स्कीमो का काम 2 साल देरी से शुरू हो पाया वहीं अपनी चहेती 2 कम्पनियों को लाभ पहुंचाने का काम किया। ।
2. मुख्यमंत्री राहत कोष घोटाला:
मुख्यमंत्री राहत कोष में अकसर धनदाता अपनी स्वेच्छा से धनराशि देते हैं और मुख्यमंत्री प्रदेश के गरीब व जरूरतमंद लोगों को अपनी स्वेच्छानुसार इस कोष में से आर्थिक मदद देते हैं। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के इस कार्यकाल में सामान्य उद्योग निगम के खातों से मुख्यमंत्री राहत कोष में 1 करोड़ के लगभग राशि दी गई जबकि नियम के मुताबिक निगम को हुए कुल लाभ का 5 प्रतिशत ही दिया जा सकता था जिस पर आडिट आब्जेक्शन भी लगा है। उल्लेखनीय है कि ये कारपोरेशन उद्योग विभाग के अंतर्गत आती है, इसलिए ये सब उद्योग मंत्री के निर्देशों पर हुआ होगा। आश्चर्य की बात यह है कि मुख्यमंत्री राहत कोष की अधिकतर धनराशि भी उद्योग मंत्री के विधान सभा क्षेत्र होली को ही दी जाती है जो निश्चितरूप से पूरे प्रदेश में घोटाले की ओर संकेत करता है।
3. पशुपालन विभाग में दवाई घोटाला:
वर्ष 2014-15 के लिए दवाईयां खरीदने हेतु पशु-पालन विभाग ने जिन 30 फर्मों के साथ रेट-कान्ट्रैक्ट किया उनमे से 15 फर्मे सरकार व विभाग ने ब्लेक लिस्ट कर रखी है या डिबार कर रखी है। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस सम्बन्ध में पत्र की काॅपी प्रदेश सरकारों को भी दे दी गई थी, इसके बावजूद ऐसी फर्मो के साथ उच्च दरों पर दवाईयों की सप्लाई का त्ंजम ब्वदजतंबज किया गया, जो मिलीभगत कर भ्रष्टाचार करने का एक नमूना है। मुख्यमंत्री महोदय को शिकायत करने के बाद भी कोई कारवाई न होना दर्शाता है कि इस घोटाले में मंत्री के साथ-साथ मुख्यमंत्री का भी ’हाथ’ है।
4. शहरी विकास विभाग के गड़बड़ घोटाले:
शहरी विकास मंत्री द्वारा बिल्डर्स के पंजीकरण व नवीनीकरण में भाई-भतीजावाद फैलाया जा रहा है। वर्ष 2013-14 में शहरी विकास विभाग के अंतर्गत नगर परिषद सरकाघाट में विद्युत उपकरण खरीद, डस्टबिन रिपेयर, कूड़ा दबाने व स्ट्रीट लाइटों के रख रखाव जैसे कार्र्याें में फर्जीवाड़ा सामने आया। स्थानीय विधायक द्वारा मामला उजागर करने पर विभाग ने विभागीय जांच कर नगर परिषद सरकाघाट में हुई अनियमितताओं की पुष्टि की और कारवाई के लिए सरकार को प्रेषित किया परन्तु सरकार द्वारा अभी तक कोई कारवाई न करवाना दर्शाता है कि सरकार भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रही है। ।
शहरी विकास मंत्री ने हिमाचल प्रदेश हिमुडा से ग्रीटिंग कार्ड छपवाने के लिए 84 हजार रू0 निकाले जोकि हिमुडा के नियमों के खिलाफ है। ।
5. कण्डक्टर भर्ती घोटला:
हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम ने ढाई साल के अपने इस कार्यकाल में पहले टीएएमपी के नाम पर और फिर यात्री सेवा कौशल विकास योजना के नाम पर कण्डक्टरों की भर्ती के लिए आवेदन मांगे। दोनों बार आवेदन फार्म के साथ एक-एक हजार रू0 लिया गया। दोनों बार भर्ती में अनियमितताऐं बरतने के कारण अदालत ने भर्तियां स्थगित कर दी परन्तु आवेदन फीस के नाम पर इकट्ठा हुआ लाखों रूपया कहां गया कुछ पता नहीं। बेरोजगारी भता देने का चुनावी वायदा कर सता में आई सरकार ने बेरोजगारी भता तो दिया नहीं उल्टा बेरोजगारों से करोड़ों रू0 लेकर जहां बेरोजगार युवाओं से धोखा किया वहीं कंडक्टर भर्ती के नाम पर लाखों रू0 इकटठा कर एक नई तरह के घोटाले को अंजाम दिया।
6. स्कूल यूनिफाॅर्म घोटाला:
हिमाचल प्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा स्कूल के बच्चों को दी गई वर्दी में घटिया कपड़ा दिया गया। इसकी पुष्टि मंत्री महोदय ने विधान सभा में 16 मार्च, 2015 को प्रश्न संख्या 1533 का उतर देते हुए की थी और जानकारी दी थी कि उक्त फर्म को जुर्माना लगाया गया, परन्तु यह घोटाला इतना बड़ा है कि सिर्फ जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा। कम से कम एफ0आई0आर0 तो दर्ज करनी ही चाहिए थी क्योंकि वर्ष 2013 में ही लगभग 45 प्रतिशत कपड़ा घटिया पाया गया। अनुमान है कि इसमें 45 करोड़ रू0 का घोटाला हुआ है, इसलिए इसकी सी0बी0आई0 जांच करवाना नितांत आवश्यक है। विधान सभा में आश्वासन देने के बावजूद उसी फर्म को दोबारा कपड़े की सप्लाई के आॅर्डर दिए गए और उक्त फर्म के खिलाफ एफ0आई0आर0 तक दर्ज नहीं की गई जिससे स्पष्ट है कि सम्बन्धित मंत्री भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं। शिक्षा विभाग से जुड़े इतने बड़े घोटाले में मुख्यमंत्री जिनके पास शिक्षा विभाग भी है, का चुप रहना उन्हें भी संदेह के घेरे में खड़ा करता है।
7. बिजली मीटर/सर्विस वायर घोटाला:
हिमाचल प्रदेश में बिजली के मीटरों व सर्विस वायर को बदलने का काम 5 कम्पनियों को दिया गया, जिसमें भी घोटाला घटा। एक तो लाखों ऐसे मीटर बदल दिए जिनको बदलने की आवश्यकता नहीं थी, दूसरे कई मीटर सिर्फ कागजों में बदले घरों में नहीं, तीसरे सर्विस वायर इतनी घटिया स्तर की है कि बिछाते-बिछाते ही टूट रही है। नए मीटरों की खपत अधिक दिखाने, मीटर के आंकड़े खत्म होने, मीटर खराब होने तथा बिजली के ज्यादा बिल आने सम्बन्धी शिकायतें आने की बात मंत्री महोदय ने विधान सभा में 20 फरवरी, 2014 को प्रश्न संख्या 576 का उतर देते हुए स्वीकार की है जिससे स्पष्ट होता है कि मीटर घटिया स्तर के हैं। इस घोटाले की जांच करवाने की बजाए सरकार भ्रष्ट कम्पनियों का बचाव कर रही है।
8. फलदार पौधों का खरीद घोटाला:
विधान सभा में प्रश्न संख्या 1517 के दिए उतर के अनुसार बागवानी विभाग ने वर्ष 2013-14 और वर्ष 2014-15 में क्रमशः 13,73,268 और 16,84,146 फलदार पौधे खरीदे। सब जानते हैं कि किसी भी प्रजाति के पौधे 25 से 40 ही प्रति बीघा लगाए जा सकते हैं इसलिए दोनों वर्षों में खरीदे गए कुल 30,57,414 पौधों के लिए 10 लाख 20 हजार बीघा जमीन चाहिए जबकि हिमाचल प्रदेश में बागवानी के अंतर्गत इतनी जमीन है ही नहीं, जो बागवानी विभाग में एक बड़े घोटाले का संकेत है।
9. कौशल विकास भते के नाम पर घोटाला:
बेरोजगारी भत्ता देने का वायदा कर सŸाा में आई वीरभद्र सरकार ने पहले तो बेरोजगारी भत्ता न देकर बेरोजगार युवाओं को धोखा दिया। उल्टा उनके लिए पहले से चलाई जा रही कौशल विकास भत्ता योजना में घोटाला कर दिया। प्राईवेट संस्थानो में प्रशिक्षण ले रहे युवाओं को कौशल विकास भता देने के नाम पर कांग्रेस पार्टी के चहेतों द्वारा फर्जी तौर पर चलाए जा रहे प्राईवेट संस्थानों को लाभ पहुंचाए। इन संस्थानो में पहले तो हजारों बेरोजगार युवाओं से दाखिला फीस के नाम पर पैसा लिया गया फिर प्रतिमाह भी भारी फीस कौशल विकास भतों में से ली जाती रही। जबकि अधिकतर प्राईवेट संस्थान फर्जी थे न इनका कहीं पंजीकरण था और न ही इन्हें कहीं मान्यता थी। बेरोजगार युवाओं को तो उस प्रशिक्षण का कोई लाभ नहीं हुआ जबकि प्राईवेट संस्थानों को चलाने वाले कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने करोड़ों कमा लिए। जिला सिरमौर व मण्डी के करसोग में ऐसे अनेक फर्जी संस्थान जगजाहिर हुए जिनको कांग्रेसी नेता चला रहे थे। ।छछम्ग् . 13
10. मिड हिमालयन प्रोजेक्ट घोटाला:
वन विभाग के मिड हिमालयन प्रोजेक्ट के माध्यम से जिला बिलासपुर की नम्होल व स्वारघाट डिवीजन के पिछले ढाई वर्षों में सिर्फ उन्हीं पंचायतों को पैसा दिया गया जहां कांग्रेस पार्टी के प्रधान हैं। भाजपा से सम्बन्धित प्रधानों की पंचायतों में न के बराबर पैसा दिया गया। यहां तथ्य विधान सभा में लगे प्रश्न संख्या 1760 दिनांक 24 मार्च, 2015 के उतर से उजागर हुए। इस उŸार से यह भी ध्यान में आया कि नम्होल डिवीजन में 74 में से 73 कामों और स्वारघाट डिवीजन में सभी कार्यों में सिर्फ 3-3 निविदायें ही आई अर्थात मिड हिमालय प्रोजेक्ट अपने चहेतों को लाभ देने के लिए मिलीभगत से ही टैण्डर डाले जाते रहे जो अपने आप में एक घोटाला है। मिड हिमालयन प्रोजेक्ट का पूरे प्रदेश में यही हाल है और अब यह भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। भरमौर विधान सभा क्षेत्र को इस प्रोजेक्ट के अधीन लेने प्रोजेक्ट के प्रावधान के खिलाफ है।
11. खैर घोटाला:
जिला बिलासपुर में पिछले साल सी0पी0एस0 ’वन’ के कहने पर वन मंत्री सरकारी भूमि पर हो रहे खैर के अवैध कटान को देखने मौके पर आए। मौके पर ही वन अधिकारियों को कटान रोकने और कटी हुई खैर की लकड़ी जब्त करने के आदेश दे दिए। मंत्री महोदय को 15 दिन बाद ही कटान रोकने के आदेश वापिस ले लिए और बिना जांच किए जब्त की खैर की लकड़ी भी वापिस ठेकेदार को दे दी और फिर तो पहले से भी ज्यादा तबाही मचाई उक्त ठेकेदारो ने। सुना है विधायक का दबाव पड़ा जो सी0पी0एस0 के दबाव पर भारी रहा। भाई, मामला जब भाई, भतीजों का हो तो दबाव भारी हो ही जाता है।
12. टोल टैक्स घोटाला:
प्रदेश की सीमाओं पर लगे बैरियरों पर टोल टैक्स इकट्ठा करने के लिए हर साल नीलामी की जाती है और हमेशा इस में बढ़ोतरी होती है, क्योंकि हर साल गाडि़यों की संख्या बढती है परन्तु इस साल टोल टैक्स बैरियरों पर टोल टैक्स इकट्ठा करने हेतु नीलामी में 86 करोड़ की कमी आ गई जोकि अधिकारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत से सम्भव हो सकता है। मंत्री महोदय के इस विषय पर चुप रहने से जाहिर है कि इस घोटाले में उनका भी हाथ है।
13. डीजल घोटाला:
हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम ने अपने डिपुओं में स्थापित पम्पों को बंद कर बसों में डीजल प्राईवेट पम्पों से भरवाना शुरू कर दिया इसके लिए न कोई टैण्डर, न कोई बोली। सिर्फ अपने चहेतों को लाभ देने के लिए सरेआम इतना बड़ा गोरख धंधा परिवहन मंत्री गुरमुख सिंह बाली जी कर रहे हैं ।
14. लैब घोटाला:
हिमाचल प्रदेश के 22 अस्पतालों की लेबोरट्रीज को एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को देने से जहां गरीब लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ा है वहीं इससे प्रदेश को आर्थिक नुकसान पहुंचाकर कम्पनी को आर्थिक लाभ पहंुचाया गया है, क्योंकि इस कम्पनी के साथ एम0ओ0यू0 सिंगल टैण्डर के रूप में ही स्वीकृत हुआ है। उल्लेखनीय है कि इस लैब में किए टैस्टों की रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं है। भाजपा द्वारा इसे रद्द करने की मांग को ठुकरा कर स्वास्थ्य मंत्री जिस तरह इसकी वकालत कर रहे हैं उससे लगता है कि दाल में कुछ काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है।
15. स्वां प्रबन्धन परियोजना घोटाला:
ऊना जिला के अंतर्गत चल रही वन विभाग की स्वां एकीकृत जलागम प्रबन्धन परियोजना में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। जनता की शिकायत के आधार पर एम0टी0सी0 भवन ऊना व भराडि़या पुल निर्माण में हुई अनियमितताओं की जांच तो सतर्कता विभाग कर रहा है परन्तु सरकारी दबाव के कारण जांच धीमी गति से चल रही है। आवश्यकता तो इस परियोजना के अंतर्गत चल रही सभी कार्यों की जांच करवाने की है।
16. दाल घोटाला:
हिमाचल प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से प्रदेश की जनता को 3 तरह की दालें दी जाती थी और इसके लिए 3 तरह की दालों की ही निविदाऐं आमंत्रित की जाती थी और जिस फर्म की दरें सबसे कम होती थी उन्हें ही टैण्डर दे दिया जाता था, परन्तु वर्तमान में खाद्य आपूर्ति निगम 9 तरह की दालों की निविदाऐं आमंत्रित कर रहा है और फिर टैण्डर खुलने के बाद मंत्री जी तय करते है कि किन 3 दालों को खरीदना है, इसके लिए कोई नियम, आधार नहीं, ऐसा लगता है कि जिन फर्मो के साथ मंत्री जी का तालमेल हो जाता है उन्हीं से 3 तरह की दालोें को खरीद लिया जाता है। साथ ही वर्तमान टैण्डरों में 3 माह व 6 माह की सप्लाई के लिए निविदाऐं आमंत्रित की जाती हैं, परन्तु सरकार द्वारा अपनी चहेती फमों को एकमुश्त 6 माह की सप्लाई दे दी जाती है। इसके लिए भी कोई नियम, कानून नहीं है। इससे जहां घटिया दालों की सप्लाई हो रही है वहीं सरकार को करोड़ों रू0 का चूना लगाया जा रहा है।
16 अप्रैल, 2015 को दालों का पहला टैण्डर डाला गया व इस टैण्डर में सरकार की चहेती फर्म sanna enterprises के तकनीकि दस्तावेजों में कमी होने के कारण टैण्डर को निरस्त कर दिया गया और उसके बाद दोबारा टैण्डर की शर्ताें में बदलाव कर उक्त फर्म की पिछली कमियों को दूर किया गया, लेकिन उसकी निविदा दरें अधिक होने के कारण दोबारा से टैण्डर निरस्त कर दिया गया। तीसरी बार आमंत्रित निविदा में उस चहेती फर्म को 9 में से 3 दालों की दरें कम आई जिनमें से 2 दालों के आॅर्डर उस फर्म को दिया जाना अपने आप में घोटाले को दर्शाता है।
17. औद्योगिक प्लाॅट घोटाला:
हिमाचल सरकार में मुख्य संसदीय सचिव नीरज भारती ने औद्योगिक क्षेत्र ज्वाली में अपनी फर्म मैसर्ज नीरज स्टील इन्डस्ट्रीज के नाम से लीज पर उद्योग लगाने के लिए प्लाॅट नं0 2 अलाॅट करवाया और 14 जून, 2002 को उद्योग विभाग के अधिकारियों के साथ लीज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए। । इस लीज एग्रीमैंट में अन्य शर्तों के साथ-साथ इस प्लाॅट में सिर्फ औद्योगिक ईकाई स्थापित करने और 2 साल के अंदर काम शुरू करने की भी शर्त थी।
पिछली कांग्रेस सरकार के समय नीरज भारती जो पूर्व सांसद चंद्र कुमार के बेटे हैं, ने ज्वाली औद्योगिक क्षेत्र के प्लाॅट नं0 2 के साथ लगती 49.41 वर्ग मीटर भूमि भी अपनी फर्म के नाम अलाॅट करवा ली और इसका भी लीज एग्रीमेंट 12 मार्च, 2004 को हस्ताक्षरित किया जिसमें भी वही शर्तें थी कि उक्त जमीन पर प्रार्थी कोई और गतिविधि नहीं करेगा अपितु सिर्फ और सिर्फ औद्योगिक ईकाई स्थापित करेगा, नहीं तो सरकार लीज रद्द कर जमीन वापिस ले लेगी। ।
अब वर्तमान कांग्रेस सरकार के समय जिसमें नीरज भारती मुख्य संसदीय सचिव ’शिक्षा’ हैं, ने उक्त औद्योगिक प्लाॅट और साथ लगती 49.41 वर्ग मीटर जमीन पर औद्योगिक ईकाई लगाने की बजाए 4 दुकाने और उन पर एक हाॅल बना लिया । जिसे किराये पर देकर नीरज भारती आर्थिक लाभ कमा रहा है और औद्योगिक विभाग ’हाथ पर हाथ’ धरे बैठा है।
18. वन विभाग का पोल घोटाला:
वन विभाग ने इन ढाई वर्षों में 6.88 करोड़ रू0 के त्ब्ब् पोल खरीदे जिनको खरीदने का प्रदेश में कोई एक समान फामूर्ला नहीं बनाया। न तो इसके लिए प्रदेश स्तर पर, न जिला स्तर पर, न डिवीजन स्तर पर और यहां तक कि रेंज स्तर पर भी कोई टैण्डर आमंत्रित नहीं किये। दिनांक 8 अप्रैल, 2015 के विधान सभा के प्रश्न संख्या 2081 के अनुसार प्रदेश में कुछ जिलों को छोड़कर अन्य जिलों में कांग्रेस समर्थित कार्यकर्ताओं से पोल खरीदे गए जिनके पास सीमेंट के पोल बनाने की कोई इन्डस्ट्रीज नहीं और यहां तक कि ठेकेदारी का लाईसैंस भी नहीं है । आरोप तो यह भी है कि इन कांग्रेस समर्थित कार्यकर्ताओं को जितने पोल बनाने का आॅर्डर मिला था उनसे आधे पोल भी नहीं दिए और पैसा पूरा ले लिया, इसलिए यह एक ऐसा घोटाला है जिसमें वन मंत्री, वन अधिकारी, कर्मचारी व कांग्रेसी नेताओं व कार्यकर्ता पूर्ण रूप से सम्मिलत हैं।
19. तबादला घोटाला:
कांग्रेस सरकार के इस कार्यकाल में पैसे देकर ट्रांसफर करवाना आम बात हो गई है और इसमें मुख्यमंत्री, मंत्री, कांग्रेसी विधायक, पूर्व कांग्रेस विधायक व कांग्रेस पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी, कांग्रेस के हारे हुए प्रत्याशी व आम छुटभैये कांग्रेसी नेता सभी बदनाम हैं। हद तो तब हुई जब फर्जी डी0ओ0 प्रकरण सामने आया जिसमें विधायकों के फर्जी डी0ओ0 पर तो ट्रांसफर हुई ही परन्तु मुख्यमंत्री महोदय के फर्जी डी0ओ0 पर भी ट्रांसफर होने के मामले सामने आए । जिससे स्पष्ट होता है कि इस प्रकरण में मुख्यमंत्री कार्यालय भी संलिप्त है। भाजपा का आरोप है कि फर्जी डी0ओ0 नोट प्रकरण में कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता व मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत उनके किसी नजदीकी अधिकारी का ’हाथ’ है। जांच ऐजेन्सियों ने निचले स्तर के कर्मचारियों पर कारवाई कर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया। सिर्फ छोटी मछलियों को पकड़ कर और मगरमच्छों को छोड़ने से स्पष्ट हो गया कि इस प्रकरण के असली दोषियों को मुख्यमंत्री का आर्शिवाद प्राप्त है।
20. खाद, बीज एवं दवाई घोटाला:
किसानो द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली खाद में भी घोटाला हुआ। इफको लिमिटेड चण्डीगढ़ से 6161.700 मीट्रिक टन खाद एन0पी0के0 12-32-16 की खरीद 1600/-रू0 प्रति मीट्रिक टन की गई और इसी कम्पनी से 9320.050 मीट्रिक टन यही खाद 21,820 रू0 प्रति मीट्रिक टन खरीदी गई। इस प्रकार जहां ऐसी खरीद से प्रदेश को 5 करोड़ रू0 का चूना लगा वहीं किसानों को भी महंगी खाद देकर उनका शोषण किया।
कृषि विभाग ने बरसीम के बीज की जगह किसानो को चटाला नाम के घास का बीज देकर लाखों रू0 का गोलमाल कर डाला और किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया। मिड हिमालयन प्रोजेक्ट द्वारा अदरक का बीज जनता को कांगे्रसी नेताओं के माध्यम से बंटवाया और वह ऐसे लोगों को दे दिया गया जो या तो खेतीबाड़ी ही नहीं करते हैं, अगर करते भी हैं तो अदरक की खेती नहीं करते। सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ही बांटा गया।
बागवानो को घटिया दवाईयां मिल रही हैं जिस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। सेब को माइट रोग लगने पर बागवान सरकारी दवाईयों का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन उनका कोई असर नहीं हो रहा, यहां तक कि सेब के लिए टाॅनिक दवाईयों का प्रयोग करने पर भी सेब सड़ रहा है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियां इस तरह घटिया दवाईयां देकर करोड़ों कमा रही है और बागवान को फायदे की बजाए नुकसान हो रहा है। सरकार द्वारा कोई कदम न उठाना प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली को संदेह के घेरे में खड़ा करता है। ।
21. स्वां नदी चैनेलाईजेशन में घोटाला:-
जिला ऊना के 1000 करोड़ के स्वां चैनेलाईजेशन प्रोजेक्ट में चोरी व गड़बड़ी की घटनाऐं आए दिन घट रही हैं। हरोली व ऊना में स्वां नदी तटीकरण के लिए आई तार की चोरी के मामले दर्ज हुए, कई जगह कबाडि़यों से भी कई क्विटंल तार पकड़ी गई परन्तु पुलिस दोषियों को पकड़ने की बजाए मामलो को रफा-दफा करने में लगी रहती है, क्योंकि दोषियों को सरकार का संरक्षण प्राप्त रहता है।
22. मार्केट कमेटी के घोटाले:
कृषि विभाग के अंतर्गत राज्य कृषि विपणन बोर्ड भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। एक तो इस सरकार ने प्रशासनिक अधिकारी की जगह नौणी विश्वविद्यालय के एक वैज्ञानिक को एम0डी0 की कुर्सी पर बिठा दिया, दूसरे वहां पर चेयरमैन के साथ-2 एडवाइजर भी लगा दिया, जिससे फिजूलखर्ची तो बढ़ी साथ ही भ्रष्टाचार भी बढ़ा। तीनो के कार्यालयों में बिना टैण्डरों के लाखों रू0 का मुरम्मत का काम हुआ, बिना निविदायें लिए लाखों का फर्नीचर व अन्य सामान खरीदा। अन्य कार्य मिलीभगत से मनचाहे रेटों पर कांग्रेस ठेकेदारों को दिए जा रहे हैं। जिला कुल्लू मार्केट कमेटी कुल्लू ने अध्यक्ष कार्यालय व काॅन्फ्रेस हाॅल कुल्लू के नवीनीकरण तथा उनसे ए0सी0 तथा टी0वी0 आदि लगाने की स्वीकृति न तो बोर्ड से ली गई और न ही टैण्डर लगाए गए। अध्यक्ष ने अपने किसी चहेते ठेकेदार से यह काम करवा लिया। काम होने के बाद बोर्ड की स्वीकृति तो ले ली परन्तु जब टैण्डर लगाए तो उक्त ठेकेदार के रेट ज्यादा निकले जिसके कारण ठेकेदार को अभी तक भुगतान नहीं हो पाया। इस बात को प्रदेश सरकार ने विधान सभा के प्रश्न संख्या के 1074 दिनांक 12 अगस्त, 2015 के लिखित उतर में स्वीकार किया है।
23. आटे की पिसाई में घोटाला:
भारतीय खाद्य निगम से हिमाचल प्रदेश को 634.40 रू0 की (वैट मिलाकर) गेहूं प्राप्त हुई। इस गेहूं को सीधा गेहूं के रूप में ही उपभोक्ता को दिया जा सकता था और उपभोक्ता अपनी आवश्यकतानुसार इसे साफ करके पिसवा कर उपयोग कर सकता था जिससे प्रदेश के धन की बचत होती, छोटी चक्की व घराट वालों को रोजगार मिलता और उपभोक्ता को स्वच्छ-ताजा आटा मिलता परन्तु वर्तमान कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के बड़े-बड़े आटा मिल्ज मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए टैण्डर किया और ऐसी शर्तें रखी जिन्हें छोटी चक्की वाला कभी पूरा नहीं कर सकता। 2 लाख 14 हजार 692 मी0 टन गेहूं की पिसाई का एक टैण्डर किया जिसमें पांच किलो (5 प्रतिशत) प्रति क्विंटल मिल मालिक को उड़ान (ब्रान) मिलेगी और 60 रू0 प्रति क्विंटल पिसाई दी गई। केवल एक टैण्डर में लगभग 20 करोड़ रू0 की चपत हिमाचल प्रदेश की सरकार को लगाई गई। प्रदेश में हजारों मीट्रिक टन आटा सड़ गया व खराब आटा डिपुओं को भेजा गया। ।
24. विद्युत परिषद/पावर काॅर्पोरेशन में घटिया उपकरण खरीद घोटाला:
संजय जल विद्युत परियोजना भावानगर और काजा स्थित रौंग-टौंग विद्युत परियोजनाओं के अलावा ट्रांसमिशन लाईनो में इस्तेमाल सामग्री की गुणवता घटिया होने के कारण जहां प्रदेश को और बिजली बोर्ड को करोड़ों रू0 की हानि हुई है वहीं इसका परिणाम है कि कुछ दिन पूर्व संजय जल विद्युत परियोजना में आगजनी की घटना घटी जिससे आर्थिक नुकसान तो हुआ ही प्रोजेक्ट पूरा होने में और अधिक समय लगेगा और अब रौंग-टौंग पावर प्रोजेक्ट के ट्रायल के समय वाल्व फटने से ही हादसा घट गया और तीन इंजीनियरों की मौत हो गई।
25. टायर घोटाला:
हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम जो पहले से ही बड़े घाटे में चल रही है उसमें नित नए घोटाले उजागर हो रहे हैं। हमीरपुर डी0एम0 आॅफिस के भंडार से ऊना के लिए 345 टायर और स्पेयर पार्ट भेजे गए लेकिन करोड़ों का यह सामान ऊना पहुंचा ही नहीं। न तो आज तक इस सामान का पता लगा और न ही इस पर निगम ने कोई मामला दर्ज किया जिससे इसमें मिलीभगत से घोटाले की आशंका पैदा होती है।
26. लोक निर्माण विभाग में टैण्डर घोटाला:
जब से प्रदेश में ये कांग्रेस सरकार आई है सरेआम लूट मची है। लोक निर्माण विभाग जो मुख्यमंत्री के पास है, में बड़े-बड़े कामो को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट कर वर्क आॅर्डर लगाए जाते हैं। अधिकारी नहीं बल्कि कांग्रेसी नेता तय करते हैं कि कौन सा काम किस कांग्रेसी नेता ने करना है। टैण्डर तो होते ही नहीं, अगर हो जाए तो मिलीभगत से मनचाहे रेट पर कांग्रेसी ठेकेदारों को काम दे दिया जाता है, जिससे विकास तो प्रभावित होता है, सरकारी खजाने को भी लूटा जाता है। बिना काम किए पैसा सीधा कांग्रेसी ठेकेदारों की जेबों में जा रहा है। पूरे प्रदेश में हर विभाग के अंदर यही हो रहा है। यदि यूं कहें कि कांग्रेसियों ने इन ढाई वर्षों में प्रदेश को लोक निर्माण विभाग के माध्यम से लूट लिया तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
उदाहरण के लिए प्रदेश की बहुचर्चित ठियोग-हाटकोटी सड़क जिला काम चीनी कम्पनी ने छोड़ दिया था उस काम के टैण्डर ब् – ब् कम्पनी को नियमो को ताक पर रख कर दे दिए जिसकी वित्तिय स्थिति ठीक नहीं और अब बिना किसी प्रावधान के उक्त कम्पनी को अग्रिम धनराशि दी जा रही जिसका आॅडिट रिपोर्ट में भी जिक्र हुआ है।
27. बस खरीद घोटाला:
सता में आते ही कांग्रेस सरकार ने पहले जब बसें वैट लीजिंग पर ली तब घोटाला किया और अब जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन के अतंर्गत केन्द्र सरकार से बसें खरीदने के लिए पैसा मिला। जो प्रोजेक्ट रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम ने भेजी थी, उसके अनुसार बसों में जी0पी0एस0 प्रणाली तथा बसों के ऊपर लगेज कैरियर लगाने का प्रावधान था। उस अनुसार केन्द्र सरकार से धनराशि भी स्वीकृत हो गई थी परन्तु इस मिशन के अंतर्गत खरीदी गई 800 बसों में जी0पी0एस0 सिस्टम और लगेज कैरियर न लगवाकर परिवहन मंत्री जी0एस0 बाली ने एक बड़े घोटाले को अंजाम दिया है।
28. दाखिला घोटाला:
हिमाचल प्रदेश में इस समय अनेक इंजीनियरिंग काॅलेज, उच्च शिक्षण संस्थान एवं विश्वविद्यालय स्थापित हैं जोकि गुणवत्ता में अन्य राज्यों की तुलना में श्रेष्ठ हैं। हिमाचल प्रदेश के बालक, बालिकाऐं अपने घर के नजदीक, सुन्दर स्वच्छ वातावरण में कम खर्चे में बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं परन्तु वर्तमान कांग्रेस सरकार को यह मंजूर नहीं है। इसलिए सरकार हर वर्ष से हिमाचल प्रदेश में बी0टैक0 की शिक्षा में प्रवेश लेने के लिए जेईईई को कंपल्सरी कर देती है जबकि पड़ोसी राज्यों में प्रवेश के लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं रखी गई है। परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश के शिक्षण संस्थान खाली रह जाते हैं और हजारों की संख्या में हिमाचली छात्र अधिक पैसा खर्च कर मजबूरन पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उतर प्रदेश व अन्य राज्यों में दाखिला ले लेते हैं।
भाजपा का आरोप है कि अन्य राज्यों के शिक्षण संस्थानों से मिलिभगत करते हुए हिमाचल के विद्यार्थियों एवं शिक्षण संस्थानों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है और इसमें भारी भ्रष्टाचार के आरोप हैं।
29. विश्वविद्यालयाों में घटे घोटाले:,
नौणी विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति डा0 विजय सिंह ठाकुर द्वारा बागवानी अनुसंधान केन्द्र मशोबरा में मुख्य अनुसंधानकर्ता की हैसियत से विदेशी संस्था द्वारा प्रदान की गई 2.10 करोड़ लागत वाले ’यूरोपियन यूनियन अंतर्राष्ट्रीय कोलेबोरेशन प्रोजेक्ट को युनिवर्सिटी एक्ट, मैनुअल एवं फेमा,फेरा, 1969 पब्लिक रिकार्ड एक्ट के प्रावधानों की अवहेलना करते हुए गैर कानूनी रूप से प्रस्थापित किया गया। भारतीय महालेखाकार द्वारा जारी की गई टिप्पणियों के अनुसार उपरोक्त प्रोजेक्ट को नौणी विश्वविद्यालय द्वाराrouted नहीं किया गया तथा जन-निधि को व्यक्तिगत बैंक खाते से संचालित किया गया। इस घोटाले समेत अन्य हो रही अनियमितताओं को लेकर सारे तथ्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत कर दिए गए परन्तु अभी तक कोई कारवाई नहीं हुई।
ऽ इसी प्रकार चैधरी श्रवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के उप-कुलपति डा0 कटोच पर अपनी शैक्षकिणक योग्यता व अनुभव की गलत जानकारी देने, विश्वविद्यालय के धन और गाडि़यों के दुरूपयोग तथा महिला उत्पीड़न तक के आरोप तथ्यों सहित लगे परन्तु उस पर भी कोई कारवाई न करना दर्शाता है कि वीरभद्र राज में उच्च शिक्षा के मंदिर विश्वविद्यालय भी भ्रष्टाचार के अड्डे बने हैं।
30. घटिया दवाई घोटाला:-
दवाई कम्पनियों में निर्मित दवाईयों की गुणवत्ता बनी रहे, इस दृष्टि से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी (ड्रग कंट्रोलर व ड्रग इंसपैक्टर आदि) समय-समय पर दवाई कम्पनियों का निरीक्षण करते रहते हैं। परन्तु इन ढाई वर्षों में या तो निरीक्षण किया नहीं या फिर मिलीभगत से दवाईयों की गुणवत्ता बनाए रखने की ओर ध्यान नहीं दिया गया। हालात यहां तक पहुंच गए कि वर्ष 2013 में 5 और वर्ष 2014 में 2 दवा निर्माताओं के यहां पंजाब पुलिस ने छापे मारे और घटिया दवाईयों के सैम्पल पकड़े। आश्र्च की बात है कि हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का उन्हें वांछित सहयोग नही दिया।
यही नहीं विधान सभा प्रश्न संख्या 2057 वर्ष 2014-15 दिनांक 8 अप्रैल, 2015 में हिमाचल प्रदेश स्थित कम्पनियों के जो सैम्पल प्रदेश के ड्रग प्रशासन द्वारा टैस्टिंग हेतु प्रदेश स्थित लैब सी0टी0एल0 कंडाघाट भेजे गए। उन में से 7 ड्रग सैम्पल फेल पाए गए जबकि प्रदेश के बाहर अन्य प्रदेशों के ड्रग प्रशासन द्वारा जो टैस्ट करवाए गए। उन में से 216 सैम्पल फेल पाए गए। इस पर प्रदेश सरकार द्वारा कोई कारवाई न करना दर्शाता है कि आम जनता के स्वास्थ्य से जुड़े मामले में भी भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है।
पिछले 6 महीने में प्रदेश के बाहर 5 प्रदेशों की लैब्ज में पूरे प्रदेश के 421 सैम्पल फेल हुए जिनमें से 133 सैम्पल हिमाचल प्रदेश के फेल हुए। ढाई वर्ष पूर्व हिमाचल प्रदेश दवाईयां निर्यात करने वाला देश का अग्रणी प्रांत था और अब यह प्रदेश दवाईयों के सैम्पल फेल होने में अग्रणी हो गया है।
राजनैतिक विरोधियों को प्रताडि़त करना:
हिमाचल प्रदेश में इस कांग्रेस सरकार ने ढाई साल अपने राजनैतिक विरोधियों विशेषकर भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं व समर्थकों को प्रताडि़त करने में बिता दिए जिसके मुख्य उदाहरण इस प्रकार हैं:-
ऽ पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष प्रो0 प्रेम कुमार धूमल पर बिना तथ्यों के झूठे मुकद्में दर्ज करना।
ऽ भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद अनुराग ठाकुर पर बिना कोई प्रमाण के 4 झूठे मुकद्मे दर्ज करना।
ऽ प्रदेश महामंत्री एवं पूर्व मंत्री डा0 राजीव बिन्दल पर वर्षों पुराने छोटे से मामले पर बेवजह मुकदमा दर्ज करना।
ऽ पूर्व मंत्री किशन कपूर पर प्लाॅट अलाॅटमैंट को लेकर तथ्यहीन मुकद्मा दर्ज करना।
ऽ प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सती के परिवार के सदस्यों पर अवैध खनन का तथ्यहीन मामला बनाना।
ऽ पूर्व मंत्री व पूर्व डिप्टी स्पीकर की आय की विजिलैंस से जांच करवाना।
ऽ प्रदेश महामंत्री एवं विधायक रणधीर शर्मा पर झूठे मामले में एफ0आई0आर0 दर्ज करना।
ऽ सांसद वीरेन्द्र कश्यप पर बात का बतंगड़ बनाते हुए मामला दर्ज करना।
ऽ भाजपा कार्यकर्ता जो ठेकेदार हैं उन्हें नया काम मिलना तो दूर उनके पुराने किए कामों के बिलों की अदायगी न होना।
ऽ भाजपा समर्थक दुकानदारों के बिना वजह चलान काटना।
ऽ भाजपा कार्यकर्ताओं के दोस्त व रिश्तेदार अधिकारियों व कर्मचारियों के नियमों को ताक पर रख कर दूर दराज क्षेत्र में तबादले करना।
ऽ शिमला नगर निगम की भाजपा की दलित महिला पार्षद रजनी देवी पर झूठा मुकद्मा दर्ज करना।
ऽ ढाई साल में 50 भाजपा समर्थित पंचायत प्रधानो, 13 पंचायत समिति सदस्यों को सस्पैंड करना।
बघाट अर्बन को-ओपरेटिव बैंक में तानाशाही:-
बघाट अर्बन को-ओपरेटिव बैंक के चुनाव में दो मजबूत उम्मीदवार जो भाजपा समर्थित थे, के नामांकन सरकार के दबाव में रद्द करवा दिए गए। माननीय उच्च न्यायालय से स्टे लाया गया व चुनाव हुआ। आज तक वह परिणाम घोषित नहीं हुआ। बैंक जैसी महत्वपूर्ण संस्था पर तानाशाही से कब्जा करने का अर्थ है कि भारी भरकम भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
खेल विधेयक लाना:
पिछले विधान सभा सत्र में सरकार द्वारा खेल विधेयक लाना भी उसकी राजनैतिक प्रतिशोध से काम करने की नीति का परिणाम है, क्योंकि इस विधेयक का पर्दे के पीछे का उद्ेश्य सिर्फ हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ पर कब्जा करना है। वर्ष 2003 से 2007 के बीच भी वीरभद्र सरकार ने एच0पी0सी0ए0 पर कब्जा करने की हर संभव कोशिश की और अब वर्ष 2012 में फिर सता में आने पर रात को कैबिनेट मीटिंग में क्रिकेट स्टेडियमों की लीज रद्द की और आधी रात को कब्जा करने का प्रयास किया। मा0 उच्च न्यायालय द्वारा इस सम्बन्ध में दिए गए निर्णय और बाद में सरकार द्वारा लीज रद्द करने के निर्णय को वापिस लेने से साबित हो गया कि वीरभद्र सरकार का यह निर्णय असंवैधानिक व गैर-कानूनी था।
बदला-बदली और अत्याचार
राजनीतिक विरोधियों को प्रताडि़त करना
हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति को कांग्रेस सरकारों ने आर्थिक कुप्रबन्धन कर और फिजूलखर्ची को बढ़ावा देकर बुरी तरह बिगाड़ कर रख दिया है। भाजपा सरकार अपने कुशल वित्तिय प्रबन्धन से और फिजूलखर्ची को रोक कर प्रदेश की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाती है परन्तु कांग्रेस सरकारें फिर स्थिति को पलट देती है। वर्ष 1997-98 से वर्ष 2002-03 तक की 9वीं पंचवर्षीय योजना 5,700 करोड़ थी जिसके मुकाबले भाजपा सरकार ने 7,899 करोड़ यानि 2,199 करोड़ ज्यादा खर्चे जिसका लाभ रहा कि वर्ष 2002-03 से वर्ष 2007-08 तक की 10वीं पंचवर्षीय योजना 4,600 करोड़ की बढ़ोतरी के साथ 10,300 करोड़ की मंजूर हो गई परन्तु वर्ष 2003 में भी कांग्रेस सरकार ने 8,494 करोड़ रू0 खर्च किए और 1806 करोड़ रू0 सरेन्डर कर दिए जिसके फलस्वरूप 11वीं पंचवर्षीय योजना में मात्र 3,478 करोड़ की बढ़ोतरी हुई और 13,778 करोड़ की योजना स्वीकृत हुई जिसे भाजपा सरकार ने पूरा-पूरा खर्च दिया और फिर 12वीं पंचवर्षीय योजना में 9,022 करोड़ की बढ़ोतरी के साथ 22,800 करोड़ की स्वीकृत हुई परन्तु जो हालात वर्तमान वीरभद्र सरकार के हैं, लगता नहीं कि ये सरकार इस बार भी पूरा पैसा खर्च पाएगी।
वर्तमान सरकार ने इन ढाई वर्षों में अपना कोई आय का साधन नहीं बढ़ाया, उल्टा फिजूलखर्ची को बढ़ा कर प्रदेश को और अधिक कर्जे में डूबो दिया। आज प्रदेश सरकार में जहां 8 मुख्य संसदीय सचिव और 45 अध्यक्ष/उपाध्यक्ष/ओ0एस0डी0/एडवाईजर हैं वहीं 25 अतिरिक्त महाधिवक्ताओं की फौज खड़ी कर रखी है जिन पर करोड़ों रू0 प्रति माह फिजूलखर्च हो रहे हैं।
गम्भीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे प्रदेश में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के जन्मदिन सरकारी खर्चे पर मनाए जा रहे हैं। सरकारी अधिकारी बधाई के विज्ञापन समाचार पत्रों में सरकारी खर्चे पर दे रहे हैं। सालगिरह पर तो रैली होती है परन्तु ढाई साल पूरा होने पर रैली की जा रही है जिसके लिए चंदा मंत्री उगाहेंगे और खर्चा सरकारी होगा। नववर्ष व दीपावली के समय सरकारी खर्चे पर शुभकामनाओं के कार्ड मुख्यमंत्री, मंत्रियों, मुख्य संसदीय सचिवों, बोर्ड/निगमो के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों, एडवाईजरों और अधिकारियों को भेज कर प्रदेश को और अधिक आर्थिक संकट में डुबोने का काम करते हैं।
वितीय वर्ष 2013-14 और 2014-15 के दौरान सरकार ने 8,612 करोड़ का कर्जा उठा कर नया रिकाॅर्ड बनाया उसके बावजूद हालात इतने बदतर हो गए थे कि मार्च माह में कर्मचारियों को वेतन देने के लिए प्रदेशभर के विकास खण्डो में जिला परिषद, पंचायत समिति सदस्यों की निधि, विधायक निधि और सांसद निधि तक के पैसे को सरकारी खजाने में डलवाया था। ।
14वें वितायोग में केन्द्र की भाजपा सरकार ने जरूर 234 प्रतिशत की वृद्धि कर प्रदेश को संजीवनी देने का काम किया है परन्तु अगर वीरभद्र सरकार ने अपना आर्थिक प्रबन्धन नहीं सुधारा और फिजूलखर्ची तथा भ्रष्टाचार को नहीं रोका तो स्थितियां सुधरने की बजाए बिगड़ सकती है।
प्रदेश की कानून व्यवस्था का लचर होना
विगत ढाई वर्षों में प्रदेश में 40 हजार से अधिक अपराधिक मामलों का दर्ज होना दर्शाता है कि हिमाचल प्रदेश जैसा शांत प्रदेश भी अब अशांत हो चुका है। देवी, देवताओं की शरण स्थली में मंदिरों से मूर्तियों की चोरी होना और महिलाओं से उत्पीड़न की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि होना बड़ी चिंता की बात है और इससे भी ज्यादा चिंता की बात है मंदिरों से चोरियां और महिलाओं से बलात्कार तक की घटनाओं को दबाने का और दोषियों को बचाने का प्रयास सताधारी दल के लोगों द्वारा किया जाता है। कुल्लू से रघुनाथ मंदिर से मुर्ति चोरी और धर्मशाला में पिछले दिनों घटा बलात्कार का मामला इसका जीता जागता उदाहरण है। शिमला स्थित भाजपा कार्यालय पर मुख्यमंत्री के बेटे के नेतृत्व में युवा कांग्रेस द्वारा धरना देने के बहाने किए हमले, जिसमें कार्यालय में हुई तोड़फोड़ के अलावा पार्टी के शिमला जिला के उपाध्यक्ष की आंख की रोशनी चली गई व अन्य कार्यकर्ता घायल हुए, की पुलिस द्वारा कारवाई तो दूर छानबीन न करना दर्शाता है कि अब इस प्रदेश में कानून का नहीं बल्कि व्यक्ति विशेष का ही राज है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस घटना के दोषियों को सजा दिलवाने की बजाए सम्मान दिया, एक को तो तीसरे दिन ही वाईस चेयरमैन बना दिया। जब मुख्यमंत्री गुण्डातत्वों को सम्मान देंगे तो अपराधिक व असामाजिक तत्वों का तो हौंसला बढ़ेगा ही। इन मामलो में प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा जांच से पहले ही क्लीन चिट देना उनकी नीयत पर शक पैदा करता है। अभी पिछले दिनों जिला मण्डी के कमांद में घटी घटना रौंगटे खड़े करने वाली है और पुलिस प्रशासन की गैर जिम्मेदाराना भूमिका प्रदेश की चरमराती कानून व्यवस्था के मुंह बोलते उदाहरण है।
हिमाचल भाजपा का आरोप है कि प्रदेश की इस बदतर कानून व्यवस्था के लिए प्रदेश सरकार दोषी है, क्योंकि एक तो मुख्यमंत्री समेत इस सरकार के कर्णधार अापराधिक व असामाजिक तत्वों को संरक्षण देते हैं जिससे उन तत्वों का हौंसला बुलन्द होता है और पुलिस प्रशासन का मनोबल गिरता है। दूसरे वर्तमान वीरभद्र सरकार पुलिस प्रशासन का दुरूपयोग अपने राजनैतिक विरोधियों के खिलाफ झूठे मुकदमें दर्ज करने और उन्हें प्रताडि़त करने तथा भाजपा के समय में हुए विकास कार्यों की जांच करने में ही कर रही है जिससे उन्हें अपनी असली जिम्मेदारी निभाने का समय ही नहीं मिल पाता।
जब से वर्तमान सरकार सता में आई, राजनैतिक आधार पर लगातार हर स्थान, हर क्षेत्र व हर विभाग में भेदभाव हो रहा है। वैसे तो विकास पूरे प्रदेश में नहीं हो रहा परन्तु भाजपा विधायकों की प्राथमिकताओं की तो डी0पी0आर0 भी नहीं बनाई जा रही। मुख्यमंत्री और मंत्रियों के दौरों के दौरान या तो भाजपा विधायकों को निमंत्रण ही नहीं दिया जाता अगर निमंत्रण दिया भी जाता है तो जनसभा में बोलने का, जनता की मांगों को रखने का अवसर ही नहीं दिया जाता जोकि लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ है।
नाबार्ड की राशि आबंटन में भेदभाव:-
वर्ष 2013-14 व वर्ष 2014-15 में नाबार्ड के माध्यम से सड़कों, पुलों, पेयजल तथा सिंचाई योजनाओं हेतु 700 करोड़ रू0 स्वीकृत हुए जिनमे से 86.50 करोड़ रू0 मुख्यमंत्री के विधान सभा क्षेत्र तथा 205 करोड़ रू0 7 विधान सभा क्षेत्रों को ही आबंटित कर दिए गए। प्रदेश में 7 विधान सभा क्षेत्रों को दो वर्षों में एक भी पैसा नहीं दिया गया।
राहत राशि के आबंटन में भेदभाव:–
वर्ष 2013-14 में भारी वर्षा के कारण प्रदेश के विभिन्न जिलों में भारी नुकसान हुआ जिसमें केन्द्र की सहायता राशि व प्रदेश की राशि का पैसा जो मकानो, गौशालाओं, पशुधन के हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाना था, को आबंटन करती बार 140.66 करोड़ रू0 में से 62.43 करोड़ रू0 एक ही विधान सभा क्षेत्र में आबंटित कर दिया और अन्य विधान सभा क्षेत्रों में राहत मैनुअल से कई गुणा कम पैसा मिला।
भाजपा सरकार के समय शुरू विकास कार्य बंद करना:
ऽ
भाजपा सरकार के समय शुरू हुई सड़कों, पीने के पानी व सिंचाई स्कीमों को या तो बंद कर दिया गया या फिर उन कार्यों की गति धीमी कर दी जिससे पूरे प्रदेश में विकास प्रभावित हो रहा है।
ऽ दो अलग-अलग समुदायों के तीर्थ स्थलों को जोड़ने वाले श्री नैनादेवी जी-आनंदपुर साहिब रोप-वे जिसको बनाने हेतु हिमाचल व पंजाब सरकार के बीच समझौता हो चुका था जिसे इस सरकार ने बदले की भावना से रद्द कर दिया।
ऽ भाजपा विधायकों के क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के सैंकड़ों बस रूट बंद कर दिए जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
महामहिम राज्यपाल महोदय, हिमाचल प्रदेश में आज माफिया राज व्याप्त हैं, घोटालों पर घोटाले घट रहे हैं, प्रदेश आर्थिक दिवालियेपन की ओर बढ़ रहा है, प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गई है और सरकार विकास करने की बजाए सिर्फ अपने राजनैतिक विरोधियों को प्रताडि़त करने में लगी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री न केवल प्रदेश की आर्थिक स्थिति और कानून व्यवस्था बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार हैं बल्कि स्वयं भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों में घिरे हैं। 18 जून, 2015 को सी0बी0आई0 ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों पर आय से अधिक सम्पति के मामले की प्राथमिक जांच करने के लिए मामला दर्ज किया है। चाहिए तो था कि मुख्यमंत्री नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र दे देते परन्तु उनमें इतनी नैतिकता कहां ? इसलिए महोदय हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी आपसे मांग करती है कि आप इस आरोप-पत्र को महामहिम राष्ट्रपति महोदय को प्रेषित कर कांग्रेस सरकार के ढाई वर्ष के कार्यकाल में घटित घोटालों की सी0बी0आई0 से जांच करवाने और इस भ्रष्ट, निकम्मी व जनविरोधी सरकार को तुरन्त बर्खास्त करने की सिफारिश करने का कष्ट करें।
प्रो0 प्रेम कुमार धूमल सतपाल सिंह सती
पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष प्रदेश अध्यक्ष भाजपा
सुरेश भारद्वाज ठाकुर महेन्द्र सिंह
संयोजक, चार्जशीट कमेटी एवं विधायक पूर्व मंत्री एवं सदस्य चार्जशीट कमेटी
रविन्द्र सिंह रवि डा0 राजीव बिन्दल
पूर्व मंत्री एवं सदस्य चार्जशीट कमेटी पूर्व मंत्री एवं सदस्य चार्जशीट कमेटी
जयराम ठाकुर सुरेश चंदेल
पूर्व मंत्री एवं सदस्य चार्जशीट कमेटी पूर्व सांसद एवं सदस्य चार्जशीट कमेटी
रणधीर शर्मा विपिन सिंह परमार
प्रदेश महामंत्री एवं सदस्य चार्जशीट कमेटी प्रदेश महामंत्री एवं सदस्य चार्जशीट कमेटी
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