शिमला।बिजली बोर्ड में 1995 से लेकर 2015 तक तकनीकी स्टाफ की भर्ती ही नहीं हुई थी।आज आलम ये है कि फील्ड में एक- एक बिजली कर्मचारी के हवाले 20-20 ट्रांसफार्मर हैं। मेंटीनेंस गैंग के तहत आउटसोर्स आधार पर हरेक डिवीजिन को 15-15 हेल्पर व दूसरे कर्मचारी भर्ती किए गए है लेकिन बिजली की लाइनें सैंकड़ों किलोमीटर बढ़ गई है और बाकी काम भी बढ़ा ही हुआ हैै।
उस पर तूर्रा ये है कि सुक्खू सरकार अपने लाडले सलाहकारों की सलाह पर बिजली बोर्ड का स्टाफ कम करने पर तुल गई है। जबकि दूसरी ओर बिजली बोर्ड का ढांचा 1991 से 2017 तक 40 फीसद बढा है।लेकिन स्टाफ लगातार कम हुआ है।
अभी बोर्ड में 13 हजार 800 कर्मचारी है। जबकि शुरू में ये तादाद 43 हजार के करीब थी और उपभोक्ता छह लाख के करीब थे। लेकिन आज उपभोक्ताओं की तादाद 28 से 30 लाख तक पहुंच गई है और बोर्ड का ढांचा 40 फीसद बढ़ गया है।
गौर हो कि स्टाफ को लेकर 2016 में तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने सेंट्रल जोन मंडी के मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित कर बोर्ड में कितने कर्मचारियों की जरूरत है इस बावत अध्ययन करवाया था। इस समिति ने तमाम हितधारकों से लेकर जब अध्ययन पूरा किया तो पाया गया कि 1991 के मापदंडों के मुताबिक फील्ड में ही काम करने के 14 हजार के करीब कर्मचारियों की जरूरत है।ये रपट सरकार के पास मौजूद है। इस पर आज तक क्या कार्यवाही हुई इस बावत किसी को कुछ पता नहीं है। 2017 में बोर्ड में फील्ड में दस हजार कर्मचारियों के पद मंजूर थे।जबकि भरे हुए केवल आठ ही हजार थे।अब ये तादाद लगातार कम हो रही है और काम बढ़ता जा रहा है।
लेकिन अब सुक्खू सरकार कह रही है कि पूरे बिजली बोर्ड में ही सात से आठ हजार का स्टाफ रखना है व इस बावत सरकार ने पूरा अभियान छेड़ रखा है।आउटसोर्स पर लगे 81 चालकों को तो निकाला भी जा चुका है।
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष कामेश्वर दत शर्मा का दावा है कि बोर्ड में युक्तिकरण के नाम पर बोर्ड के कर्मचारियों के पदोन्नतियां महीनों से रोक दी गई है। जिन पदों पर पदोन्नति करने के लिए डीपीसी भी हो चुकी है उनकी फाइलें भी सचिवालय में महीनों से कहीं दफन है जबकि पहले बोर्ड में ही पदोन्नति की फाइले दो तीन दिनों में क्लीयर हो जाती थी।
वो खुलासा करते है कि 32 एसएसए जेई के पद पर पदोन्नत होने है, इसके अलावा 24अधीक्षकों की पदोन्नति लंबित है, फीडिंग केटेगरी के 11 एसडीओ हैं जो एक्सीन के पद पर पदोन्नत होने है। इसके अलावा तीन डिप्लोमा होल्डर एसडीओ भी है जो एक्सीन के पद पर प्रोन्नत होने है। इनकी डीपीसी पिछले तीन से छह महीने पहले हो चुकी है। लेकिन इनकी पदोन्नति नहीं हो रही है।
इनमें से कुछ बिना पदोन्नति के सेवानिवृत भी हो गए और कुछ सेवानिवृति के कगार पर है। बाकेर्ड में सालाना नौ सौ के करीब कर्मचारी सेवानिवृत हो रहा है।
यूनियन के अध्यक्ष का कहना है कि इन सबको पांच से दस हजार रुपए का प्रति महीना नुकसान हो रहा है। लेकिन सरकार में कोई पूछने वाला नहीं है।
कामेश्वर दत शर्मा ने कहा कि यूनियन बोर्ड में युक्तिकरण के नाम पर यूनियन प्रतिनिधियों का पक्ष जाने बगैर एक तरफा निर्णय लेते हुए मिनिस्ट्रियल, टेक्निकल, ड्राइंग व पर्सनल केडर के जनरेशन व अन्य विंगो में सैंकड़ों पदों को समाप्त करने की मुहिम चलाई जा रही है जो बोर्ड व इसके कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है व यूनियन इसका पुरजोर विरोध करती है।
उनहोंने कहा कि कर्मचारी तनावपूर्ण माहौल में काम कर रहे हैं और दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं । ऐसे में भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है।
कामेश्वर शर्मा ने कहा की बिजली बोर्ड में आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए यूनियन बेहतर सुझाव प्रदेश सरकार व विद्युत बोर्ड लिमिटेड को दे सकती है लेकिन रिक्त पदों को या प्रमोशनल पदों को समाप्त करने से विद्युत बोर्ड लिमिटेड की आर्थिक दशा नहीं सुधर सकती। उन्होंने कहा की विद्युत बोर्ड लिमिटेड को एक अनुभवी व एक्सपर्ट कमेटी का गठन करना चाहिए और उसमें यूनियन प्रतिनिधियों को भी शामिल करना चाहिए ।
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