शिमला।हिमाचल के करीब दर्जन भर मंदिरों में आज भी दलितों की एंट्री पर बैन है। इसके अलावा इस प्रदेश में दलितों पर अत्याचार के मामलों में सजा की दर देश की दर से कहीं कम है।ये खुलासा एससी एसटी कमीशन के चेयरमैन राजकुमार वेरका ने शिमला में किया।वो यहां ऑल इंडिया सेंट्रल एक्साइज इंस्पेकटर्स एसोसिएशन की केंद्रीय कार्यकारिणी की दो दिवस मीट में शिरक्त करने आए थे।
वेरका ने कहा के आयोग के पास प्रदेश से ऐसे 35 मंदिरों के मामले आए थे जहां पर दलितों की एंट्री बंद थी। आयोग ने लोगों के सहयोग से 25 मंदिरों में ये एंट्री बहाल कराई है। बाकी के बचे मंदिरों में एंट्री कराने को लेकर प्रयास हो रहे है।
उन्होंने प्रदेश सरकार पर दलितों के खिलाफ होने वाले अत्याचार को लेकर भी सवाल उठाया।उन्होंने कहा कि प्रदेश में दलितों पर अत्याचार के मामलों में केवल 8 से दस फीसद तक ही सजा मिल रही है। बाकियों में ऊंची जाति व प्रभावशाली लोग सजा ही नहीं होने देते।
वेरका ने कहा कि उन्होंने प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को इस बारे में कारगर कदम उठाने को लेकर लिखा है।
इससे पहले ऑल इंडिया सेंट्रल एक्साइज इंस्पेकटर्स एसोसिएशन ने वेरका से आग्रह किया कि उनकी प्रमोशन का मामला केंद्र सरकार से उठाए। वो इंस्पेक्टर्स भर्ती होते है और इंस्पेक्टर्स ही रिटायर हो जाते है।एक आध प्रमोशन मिल गई तो गनीमत है।
इस मौके पर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट ए सतीश ने कहा कि ऐसे भी इंस्पेक्टर्स है जिनको नौकरी में लगे हुए 20-25 साल हो गए लेकिन कोई प्रामोशन नहीं मिली।एसोसिएशन के महासचिव अजीत के जी ने कहा कि आआरएस लॉबी अपने लिए तो प्रमोशंस के कई एवन्यू खोल देती है। लेकिन उनका ख्याल कोई रखता। नौकरशाही का रवैया उदासीन रहा है।
इस मौके पर वेरका ने एसोसिएशन को अगले सप्ताह दिल्ली बुलाया और उनका मामला वित मंत्री पीसी चिदंबरम से उठाने का भरोसा दिलाया।उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है।एसोसिएशन की चंडीगढ़ सर्कल के प्रेसिडेंट ने कहा कि सब मुश्किलों की एक ही वजह है और वो है स्टेगनेशन।
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