शिमला। आर्मी ने1968 में लेह को उड़ान भरते हुए रोहतांग दर्रे के पास दुर्घटनाग्रसत हुए आर्मी के एयरका्रफट से बर्फ में दब गए सैनिकों में एक फौजी की लाश को सेना ने खोज निकाला है। हरियाणा के गांव मीरपुर जिला रेवाडी के इस नान कमिशंड आफिसर हवलदार जगमेलसिंह की लाश को लाहुल स्पिति के चंद्रभागा रेंज में ढाका से ग्लेशियर से निकाला गया है। लाश को आज चंडीमंदिर ले जाया जाना था लेकिन खराब मौसम की वजह से उड़ान नहीं हो सकी है। सेना के प्रवक्ता पवित्र सिंह ने कहा कि लाश को कल चंडीमंदिर पहुंचाया जाएगा । यहां से फौजी की लाश को मीरपुर ले जाकर परिजनोंको सौंपाजाएगा फवपूरे सैनिक सम्मान केसाथ अतिम संस्कार किया जाएगा।
फरवरी 1968 में एएन12 ट्रांसपोर्ट एयरका्रफट ने चंडीगढ़ सेलेह के लिए उड़ान भरी थी।इसमें सेना के 98 जवान व चार क्रू मेंबर अपनीडयूटी ज्वाइन करने के लिए गए थे।
जम्मू कश्मीर के ऊपर खराब मौसम के कारण आधे रास्ते में पायलट फलाइट लेफिटनेंट एच के सिंह ने एयरका्रफट को वापस चंडीगढ़ ले जाने का फैसला लिया। एयरका्रफट का आखिरी रेडियो संपर्क रोहतांग दर्रे के समीप पायागया । इसकेबाद इस एयरका्रफअ कहीं कोई पता नहींलगा।
सेना केमुताबिक 2003 तक तक इसएयरक्राफट का गुम होना रहस्य बना रहा। लेकिन 2003 में एक एक्स्पीडिशन टीम को लाहुलस्पिति की चंद्रभागा रेंज के ढाका ग्लेशियर में एयरका्रफट का मलवा मिला।तबसे लेकर 2009 तक सेना ने तीन सर्चअभियान चलाए। लेकिन सेना को लाशे मिलने में कामयाबी नहीं मिली। 16अगस्त 2013 को सेना की वेस्टर्न कमांड के डोगरा स्काउटस ने एक और अभियान चलाया व बर्फ में दबे सैनिकों की लाशें वब्लैक बॉक्स ढूंढने की कोशिश की।
सेना की इस टीम ने 17 से 18 हजार फीट ऊंचे ग्लेशियर में अपने खोए साथियों की लाशें ढ़ूढनेका अभियान चलाया।जहां पर मलवा पायागया था वो 80 डिग्री की उुचाई पर था। यहां पर बर्फानी हवाओं और कम दबावकेकारण 15 20 दिनों के लिए ही सर्च अभियान चलाया जा सकता है व वह भीदिन में केवल कुछ घंटों तक।
सारी मुश्किलों को पार करते हुएसेना केजवानों ने 30 अगस्त को अपना अभियान समाप्त किया व 22 अगस्त को 45 साल पहले ग्लेशियर में दब गए हवलदार जगमेल सिंह की लाश को बाहर निकाल लिया। जगमेल सिंह कार्प्स आफ ईएमई में तैनात था।जगमेल केकपड़ोंकी पॉकेट में आइडेंटी डिस्क ,इंश्योरेंस पालिसी व उसकेपरिजनों कीओर से भजी गईचिअठी मिूली है।
पवित्र सिंह ने कहा कि इससे पहले 2005 में भीएक अभियान चलाया थाकुछ लाशें उस वक्त मिली थी। बाकियों के बारे में जानकारी नहीं है।
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