शिमला। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की पुत्री प्रियंका गांधी को शिमला के समीप छराबड़ा में बंगला बनाने केलिए जमीन खरीदने को 118 के तहत अनुमति विवादों में आ गई है।आम आदमी पार्टी की हिमाचल इकाई ने इस मामले समेत बाकी सभी मामलों की जिनमें 118 के तहत बाहरी राज्यों के लोगों को जमीनें खरीदने के अनुमति दी गई है,उनकी जांच हाईकोर्ट के सीटिंग जज से कराने की मांग की है। आम आदमी पार्टी ने पूर्व की धूमल सरकार परभी सवाल उठए है कि उसने दो के भीतर जमीन खरीदने की मंजूरी कैसे दे दी। वीरभद्र सिंह सरकार तो पहले ही सवालों में है।
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पिछले साल सबसे पहले सोनिया गांधी की के दामाद राबर्ट बाड्रा की जमीनों की खरीदोंफरोख्त पर सवाल उठाते हुए जांच कराने की मांग की थी। अब हिमाचल सरकार ने प्रियंका गांधी को हिमाचल सरकार की ओर से दी गई जमीन खरीदने की अनुमतियों को लेकर सवाल उठा दिया है।
इससे पहले ये मामला बीते सप्ताह तब सुर्खियों में आया था जब आरटीआई एक्टिविस्ट की ओर से इस मामले में सूचना मांगने पर प्रदेश के सूचना आयोग ने सूचना देने की हिदायतें जारी की थी।
आज आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवकता सुभाष चंद्र ने जारी बयान में कहा कि धारा 188 केतहत प्रदेश में भूमि घोटाला किया जा रहा है और इसमें भाजपा व कांग्रेस दोनों सरकारें शामिल है।उन्होंने खुलाया किया कि प्रिंयका गांधी को व बाकी राजनेताओं को एक सप्ताह के भीतर भूमि खरीदने कीेे स्वीकृति मिल जाती है।
उन्होने आगे बताया कि प्रिंयका गांधी ने जिला प्रशासन को सुरक्षा की दृष्टि से सूचना के अधिकार के तहत सूचना न देने की अपील की थी जबकि उनके प्लाॅट के साथ सटे खसरा नम्बर 264ध/73 265/73 की भूमि जब धारा 118 के तहत देवेन्द्र जीत सिंह ने खरीदी तब प्रियंका गांधी ने सुरक्षा की दृष्टि से ऑब्जेक्शन क्यों नहीे किया था। जबकि बाद में प्रियंका गांधी ने उक्त भूमि देवेन्द्र जीत से लगभग 5 लाख 22 हजार की रजिस्ट्री करवा कर भूमि खरीदी ली। इस भूमि को प्रिंयका को बेचने के लिए देवेन्द्र जीत को दो दिन के भीतर बेचने की मंजूरी सरकार ने दी क्योंकि भू.सुधार की धारा के तहत एक बार ही भूमि खरीदी जा सकती है भाजपा की धूमल सरकार के शासन में इस मामले में मंत्रीमंडल की विशेष बैठक में प्रिंयका की सुविधानुसार आवश्यक संशोधन किए गए।
आम आदमी पार्टी ने इस पूरे मामले की उच्च न्यायालय केे सीटिंग जज से दिन प्रति दिन आधार पर जांच हो और इसके इलावा वर्ष 2008 से वर्ष 2015 तक धारा 118 के तहत जितनी भूमि खरीदने की मंजूरी दी गई है उनकी भी जांचं करवाई जाए जिससे इस पूरे घोटाले की सच्चाई जनता के सामने आ सके ।
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