शिमला।नौकरियां बेचने के आरोप के चलते भंग किए गए अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर की ओर से एक साल बाद भी भर्तियां शुरू नहीं हो पाई हैं। सुक्खू सरकार ने इस आयोग के स्थान पर दूसरा आयोग गठित करने के लिए पूर्व आइएएस अधिकारी दीपक सानन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। इस समिति पर सुक्खू सरकार अब तक 14 लाख 42 हजार 633 रुपए खर्च कर चुकी हैं।
इस रकम में से मानदेय ही 11 लाख 99 हजार 354 रुपए अदा किया जा चुका हैं। जबकि मोटर वाहन की एवज में एक लाख 60 हजार 888 रुपए अदा किए जा चुके हैं। यह समिति अभी भी काम कर रही है । साफ है कि सरकारी खजाने से रुपया खर्च हो रहा हैं।
कायदे ये नए आयोग को गठित करने का काम दो महीने में पूरा हो जाना चाहिए था। प्रौदयोगिकी के दौर में सब कुछ पलों में ईमेल व वाटसएप पर मंगाया जा सकता हैं। लेकिन बावजूद इस समिति ने अपना काम खत्म करन के लिए अप्रैल 2023 से अब तक लंबा समय लगा दिया हैं।
हैरानी इस बात पर है कि अभी भी न तो नए आयोग में अध्यक्ष व सदस्य लगाए गए हैं और न ही अभी तक भर्तियों का काम शुरू हुआ हैं। जबकि सैंकड़ों बेरोजगार सड़कों पर हैं । अब सरकार ने विभागों के जरिए नौकरियां देने का फार्मूला निकाला हैं।वन विभाग में ही 451 पदों की भर्तियां निकाली गई हैं। जाहिर है पिछले दरवाजे से नौकरियां देने के इल्जाम तो लगेंगे ही।
सरकार ने बेरोजगारों के दबाव को देखते हुए हाल ही में केबिनेट की एक उप -समिति गठित की है जो यह बताएगी किभंग आयोग में जिन भर्तियों को जांच की वजह से लंबित किया गया है,उनके परिणाम निकाले जा सकते है या नहीं ।यह समिति कब अपनी रपट देगी ।
इस मसले को आज भाजपा विधायक राकेश जम्वाल ने विधानसभा में उठा दिया। उन्होंने आंदोलन कर रहे जेओआआइ का मामला भी उठाया। हालांकि मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोग को जल्द ही फंक्शनल कर दिया जाएगा।
पर मसला यह नहीं है कि इसे कब फंक्शनल कर दिया जाएगा । मसला यह है कि आर्थिक कंगाली से गुजर रहे प्रदेश का रुपया कहां लुटाया जा रहा हैं।
(261)