शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगर शिमला के कार्यालय टाउन हाल के मामले में अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने महापौर और उप महापौर को धरोहर इमारत टाउन हाल में बैठने की इजाजत दे दी है जबकि निगमायुक्त व अन्य बाबूओं को बाहर कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश वी रामासुब्रम्नयन और न्यायमूर्ति अनूप चितकारा ने आज ये फैसला सुनाया। खंडपीठ ने कहा कि सरकार के साथ सलाह मशविरा करके बाकी जगह को हाइ एंड कैफे जिसमें पढ़ने की सुविधा भी हो के लिए इस्तेमाल किया जाए।
इसके अलावा यहां पर सूचना कें द्र व सैलानियों को आकर्षित करने के लिए पारंपरिक हस्तकला व दस्तकारी की वस्तुओं को रखा जाए।
हाईकोर्ट ने कहा कि इसके लिए बाकायदा फीस रखी जाए ताकि नगर निगम को अच्छी आय हो।
खंडपीठ ने कहा कि यह मामला संजौली व कंसुम्प्टी में पार्किंग की समस्या को लेकर याचिका के जरिए आया था। लेकिन इसमें टाउन हाल का मामला भी अदालत ने सुन लिया। अदालत ने 13 दिसंबर 2017 को मुख्य सचिव को इस इमारत के इस्तेमाल को लेकर हलफनामा दायर करने के आदेश दिए थे। 11 जनवरी 2018 महाधिवक्ता ने कहा कि टाउन हाल को अदालत की इजाजत के बगैर नगर निगम को नहीं सौंपा जा सकता। इसके अलावा निदेशक पर्यटन ने अदालत को बताया था कि शिमला शहर के सुधार के लिए एडीबी से 650 करोड़ रुपए की परियोजना पर काम चल रहा है।
13 नवंबर 2018 को अदालत ने नगर निगम व सरकार को इस इमारत के इस्तेमाल को लेकर योजना अदालत को सौंपने के निर्देश दिए थे। अदालत ने अपने अपने फैसले में कहा कि सरकार की ओर से एक विशेषज्ञ के टी रविंदरन को तैनात किया गया व उसने 27 दिसंबर 2018 को टाउन हाल का निरीक्षण किया व कई सुझाव दिए।
इसके बाद छह मार्च को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक हुई व इसमें फैसला लिया गया कि एटिक और धरातल मंजिल को सैलानियों व लोगों की सुविधा के लिए इस्तेमाल किया जाए जबकि बीच वाली मंजिल का इस्तेमाल नगर निगम करे। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार इस संपति को नगर निगम को सौंप सकती है। जबकि निगमायुक्त व उनके मातहतों को यहां बैठने की जरूरत नहीं है।
(1)