शिमला।शिक्षक दिवस के मौके पर राज्य स्तरीय पुरस्कार समारोह में इस बार दिलचस्प नजारा देखने को मिला । इस बार राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए 12 ही शिक्षकों को चयन हुआ था। लेकिन इन शिक्षकों को पुरस्कार देने के लिए आयोजित समारोह में छह महत्वपूर्ण हस्तियां मंच पर पहुंच गई ।
दिलचस्प यह रहा है कि आयोजकों को इस समारोहों को लंबा खींचने के लिए क ड़ी मशक्त करनी पड़ी। चूंकि बारह ही शिक्षक थे तो यह समारोह आधा घंटे में पूरा हो जाता । लेकिन यह दो घंटे से ज्यादा चला।
इसके लिए सुबह छात्रों से वंदना करवाई गई। उसके बाद प्रधान सचिव के के पंत ने सभी का स्वागत किया। उसके बाद नाटी रखी दी। इसके बाद शिक्षा मंत्री का भाषण हुआ। उसके बाद फिर नाटी रख दी गई। उसके बाद मुख्यमंत्री का भाषण रखा गया । मुख्यमंत्री के भाषण के बाद मंच पर राज्यपाल कलराज मिश्र,मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर,शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज,प्रधान सचिव शिक्षा के के पंत,निदेशक उच्च शिक्षा अमरजीत सिंह,निदेशक प्रारंभिक शिक्षा रोहित जम्वाल आ गए । एक-एक करके चयनित शिक्षकों को मंच पर बुलाया गया व राज्यपाल तमगा,मुख्यमंत्री टोपी और शिक्षा मंत्री शॉल ओढ़ाते। सभी 12 शिक्षकों को इसी तरह पुरस्कृत किया गया।
आखिर में राज्यपाल कलराज मिश्र का भाषण हुआ। पूरे समारोह में एक यही भाषण था जो स्तरीय था। मुख्यमंत्री समेत किसी के भी भाषण में ये झलक नहीं थी कि शिक्षक दिवस पर क्या कहा जाना चाहिए,क्या नहीं। जरूर शिक्षकों का दोष रहा होगा।
हालांकि मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से ये जरूर कहा कि सरकार के स्कूलों में बायोमीट्रिक मशीनें लगानी पड़ी। इसके अलावा नकल रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने पड़ रहे हैं। ये गिरावट का मसला है। ऐसा क्यों होना चाहिए पर करना पड़ रहा है।
अब नाटी को लेकर
शिक्षक दिवस के मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर राजकीय कन्या महाविद्यालय की छात्राओं से भी नाटी करवाई गई जबकि जिन शिक्षकों को पुरस्कार दिए गए वह प्रारंभिक शिक्षा विभाग के तहत आने वाले स्कूलोें के थे। महाविद्यालय की छात्राओं से नाटी क्योें कराई गई, किसी को कुछ मालूम नहीं है। हालांकि के के पंत के स्वागत भाषण के बाद पोर्टमोर स्कूल की छात्राओं ने नाटी डाली।
उधर, बड़ा सवाल यह था कि नाटी के लिए छात्राएं ही क्यूं चुनी गई। छात्रों को भी तो नाटी आती होगी। सरकार के स्तर पर पंचायतों से लेकर किसी भी स्तर का कार्यकम क्यों न हो, हर जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर महिलाओं का ही नाच-गाना कराया जाता है। शायद नौकरशाहों व नेताओं को मालूम नहीं होगा कि महिलाओं व छात्राओं को और भी बहुत कुछ आता है और वह भी पुरूषों से कहीं ज्यादा और बेहतर। शिक्षक दिवस पर इस दिवस की गरीमा व महत्व के अनुरूप अन्य कार्यक्रम भी तो करवाए जा सकते है
याद रहे इस बार शिक्षक दिवस पर राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए चुने गए 12 शिक्षक ों में एक भी महला अध्यापक शामिल नहीं है। हो सकता हो विभाग ने चयन के लिए जो मापदंड तय किए होंगे उन पर वह खरी न उतरी हो। हालांकि शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज कह चुके है कि इस बार नकल कम हुई तो स्कूलों में परीक्षा परिणाम 65 फीसद से कम रहा। इससे एक बात उभर कर आती है कि पिछल्ली सरकारों में नकल खूब होती होगी व बहुत से नकल कराने वाले शिक्षक भी पुरस्कार पा गए होंगे।
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