शिमला। निगमों व बोडों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनने के चाहवान यह तय नहीं कर पा रहें हैं कि वह कुर्सी हासिल करने केलिए किसका आशीर्वाद लें। मां का लें यह मुख्यमंत्री जयराम का। नवरात्रे शुरू हो गए हैं। ऐसे में नेता लोग पूजा उपासना में जुट गए हैं। कई तांत्रिकों के शरण में भी हो सकते हैं और टोटकोें का प्रभाव तो नेता लोग आए दिन आजमाते ही रहते हैं।
सुनते हैं कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी तांत्रिकों के शरण में जाने लगे हैं। हालांकि उन्हें जो पाना था पा चुके हैं । अब वह इसे बनाए रखना चाहते हैं।
लेकिन मुश्किल उनकी हैं जिनकों मिलने की आस थी लेकिन मिला कुछ नहीं । आज सरकार को बने दस महीने हो गए हैं। लेकिन नेता लोग बिना गाड़ी -घोड़ा व बंगला के हैं। आशीर्वाद नहीं मिल पा रहा हैं। जिन्होंने सही ढंग से आशीर्वाद के लिए आवेदन किया उन्हें मिल गया और उनकी तैनाती हो भी गई। बाकी बेचारे दाएं -बाएं से आशीर्वाद का जुगाड़ कर रहे हैं। नागपुर से लेकर झंडेनवाला और
राजधानी में नाभा में संजीवन के यहां से भी संजीवनी हासिल करने का जुगाड़ हो चुका हैं। लेकिनजयराम है कि किसी को भाव ही नहीं दे रहे हैं।
ऐसे में अब पंडितों का कहना हैं कि नवरात्रे शुरू हो गए हैं व मां की उपासना करो। कुछ अनुष्ठान करवाओं तभी आशीर्वाद मिलेगा। लेकिन खांटी नेता लोग असमंजस में हैं कि मां की उपासना करे या जयराम की। अगर आशीर्वाद के लिए गलत जगह आवेदन हो गया तो कुर्सी नहीं मिलेगी। आज दो नवरात्रे हो गए हैं। कहते है कि चौथा व पांचवा नवरात्रा भी एक ही दिन हैं। ऐसे में जो कुछ भी होना हैं छह सात दिनों में होना हैं।
मुख्यमंत्री जयराम ने तो कह दिया कि नौ नवरात्रे होते हैं। अभी तो एक ही हुआ हैं। संभवत: कुछ होगा ही ,तभी वह ऐसा कह गए हों। बहरहाल कुर्सी के चाहवानों की धड़कने फड़कने लगी हैं।
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