शिमला। एकमात्र वामपंथी विधायक राकेश सिंघा के विरोध के बीच में विधायकों, मंत्रियों व विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के यात्रा भते को बढ़ाने का विधयेक आज सदन में पारित हो गया। अब मंत्रियों ,विधायकों और विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के यात्रा भता अढाई लाख से चार लाख रुपए हो गया है। जबकि पूर्व विधायकों के यात्रा भते को सवा लाख से दो लाख रुपए सालाना कर दिया गया है
विधायक राकेश सिंघा अकेले ऐसे विधायक रहे जिन्होंने इस विधेयक का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से इसे वापस लेने का आग्रह किया। विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ कह रही है कि प्रदेश आर्थिक संकट में है। अगर ऐसे में यह विधेयक पारित होगा तो गलत संदेश जाएगा। विभिन्न वर्गों के गरीबों के मुददे आते है तो सरकार आर्थिक स्थिति की आड़ ले लेती है। ऐसे में इस विधयेक क वापस ले लेना चाहिए।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बीत रोज हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदस्यों के भते और पेंशन संशोधन विधेयक पेश किया था। इसके अलावा मंत्रियों व विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के भतों व पेंशनको लेकर दो और विधेयक पेश किए थे।
सिंघा के विरोध करने के बाद कांग्रेस विधायकों ने इन विधेयकों का पूरजोर समर्थन किया और पहली बार सदन में विधेयक पर चर्चा हो गई।
कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस विधेयक का खुलकर ही समर्थन नहीं यिका बल्कि यह विधयकों को कार देने की मांग तक कर डाली। उन्होंने पार्टी राजनीति को चर्चा में लाते हुए कहा कि विधायक बहुत संघष करते है। पहले तो उन्हें टिकट के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
अगर टिकट मिल जाए तो बाकी टिकट के जो दावेदार थे उन्हें मनाना पड़ता है। इसके बाद वह जनता की अदालत में जाते है जीत कर सदन में आते है। उन्होंने वामपंथी विधायक सिंघा की ओर ईशारा करते हुए कहा कि सभी विधायकों को सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए। वेतन भी बढ़ना चाहिए था। हालांकि उन्होेंने यह भी कहा कि इन भतों को 90 फीसद विधायक लेते ही नहीं । उन्होंने कहा कि विधायकों का शोषण नहीं होना चाहिए। कांग्रेस विधायक रामलाल ने कहा कि प्रोटोकॉल के हिसाब से विधायक का दर्जा मुख्य सचिव से ऊपर होता है। ऐसे में विधायकों का वेतन भी मुख्य सचिव से एक रुपए ज्यादा होना चाहिए। उन्होंन मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह इस विधेयक का नाम बदल दे। वेतन तो बढ़े नहीं यूं ही बदनाम हो रहे है।
बिंदल की सरकार को सलाह
विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि विधायकों को पीड़ा को सही तरीके से पेश नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि वह सुक्खू व राम लाल की बातों से सहमत है। सरकार को स्थाई प्रक्रिया करनी चाहिए। बिंदल ने दिल्ली सरकार का हवाला देते हुए कहा कि इस पार्टी का उदय अलग राजनीति के नाम पर हुआ था लेकिन उन्होंने विधायकों का वेतन तीन लाख कर दिया है। इसके अलावा उनके हलके मेंं कार्यालय बना दिया है। एक सहायक व सुरक्षा कर्मी के अलावा एक रिसर्च स्कॉलर भी दिया है। सरकार को इस बावत वहां की व्यवस्था की पड़ताल करनी चाहिए। इसके बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से पास कर दिया गया।
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