शिमला।विभिन्न महिला व महिलाओं के मसलों पर काम करने वाले संगठनों ने सरकार से महिलाओं के भूमि अधिकार की वकालत कर मांग की कि महिलाओं के लिए परिवार में भू-सम्पति में बराबरी का अधिकार हो व जब शादी होती हैं तो जैसे परिवार में पंजीकरण होता हैं उसी दौरान राजस्व रिकार्ड में भी महिला का नाम नाम दर्ज हो।इन संगठनों ने एक मांगपत्र तैयार कर उसमें सरकार से आग्रह किया कि विशेष पीडि़त कैटेगरियां जिसमे परित्यकता, विधवा, तलाकशुदा, अपराधियों की पत्नियां आदि महिलाओ को सरकार की योजनओं के लिए विशेष आरक्षण होना चाहिय व आवासीय व आजीविका को चलाने के लिए 5 बीघा जमीन मिलनी चाहिए।इसके अलावा इन संगठनों ने घरेलु हिंसा से महिला सरक्षण कानून को सही तरीके से क्रियान्वित करने के लिए अलग बजट का प्रावधान किया जाए व मनरेगा कानून में महिलाओ को 365 दिन का रोजगार में आरक्षण हो।
राजधानी में वाईएमसीए में “ महिला भूमि अधिकार “ को लेकर सिरमौर स्वैच्छिक महिला विकास संगठन की ओर से State Level alliance and Network meeting का आयोजन किया गया ।इस मौके पर सिरमौर स्वैच्छिक महिला विकास संगठन , पर्वतीय महिला अधिकार मंच हिमाचलप्रदेश, एकल नारी संगठन हिमाचल, महिला कमेटी कांगड़ा, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, महिला कल्याण परिषद किन्नौर, निष्ठां संगठन कांगड़ा,मानव अधिकार और न्याय फोरम हिमाचल तथा हिमाचल प्रदेश के स्वेच्छिक संस्थाओ के सामाजिक कार्यकर्ताओ ने भाग लिया। इस मौकेपर रतन मन्जरी ,अंबिका कोतवाल ,सन्तोष कपूर, सुमित्रा ,नानकी , महिंद्रा ,निर्मल,आत्रेयी सेन , राधा , विन्दु सिंह, अरुणा, आदि वक्ताओं ने हिन्दू उतराधिकार कानून 1956 तथा घरेलु हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 , , महिलाओं के अधिकार और उनकी व्याहारिकता तथा धरातलीय वास्तविकता और शासन-प्रशासन व पितृसतात्मक पूर्वाग्रह जैसे मसलों पर चर्चा की।
इन संगठनों ने कहा कि इस मांग पत्र कोसरकार को सौंपा जाएगा।
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