शिमला। हिमाचल प्रदेश ने पावर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमय मौत की पुलिस जांच में खामिया बताते हुए इस मामले को सीबीआई को सौंपने का फैसला सुनाया हैं।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने आज सुबह इस मामले को ओपन कोर्ट में सीबीआई को सौंपने के आदेश जारी कर दिए। इससे न्याय की मांग करर रहे विमल नेगी के परिजनों ने राहत की सांस ली है लेकिन सुक्खू सरकार को ये बड़ा झटका हैं।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जांच में तमाम तरह की खामियां है डीजीपी की रपट कुछ कहती है और एसपी की रपट कुछ कह रह रही है। ऐसे में इस मामले को सीबीआइ को सौंपना बेहतर होगा।हालांकि फैसले और भी बहुत कुछ होगा । उसका विवरण फैसला आने के बाद।
याद रहे शुरू से ही सरकार इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का विरोध कर रहे थे। हद तो तक हो गई जब डीजीपी ने अपनी रपट में पैन ड्राइव को लेकर खुलासा कर दिया कि इसे फार्मेट किया गया हैं। अब ये किसने,क्यों और किसके कहने पर इसे फार्मेट किया है। डीजीपी ने अपनी रपट में कहा था कि इसे 21 मार्च को फार्मेट कर दिया गया था जबकि विमने नेगी की लाश पुलिस ने 18 मार्च को बरामद की थी।
एसपी शिमला की ओर से बीते रोज हाईकोर्ट में दायर स्टेटस रपट में दावा किया गया था कि बिलासपुर पुलिस से एसआइटी को चार अप्रैल को केस फाइल भेजी थी यानी पैन ड्राइव एसआइटी के पास चार अप्रैल तक था ही नहीं । अब ये बड़ा रहस्य है कि पैन ड्राइव किसके इशारे पर फार्मेट किया गया।
याद रहे विमल नेगी की मौत के बाद जिस तरह से सुक्खू सरकार का रवैया रहा और आरोपियों देशराज और आइएएस हरिकेष मीणा को बचाने की कोशिशें होती रही उससके बाद विमल नेगी के परिजनों की ओर से इस मामले को सीबीआइ को देने की लगातार मांग की जा रही थी। पुलिस ने हाईकोर्ट से आरोपी देशराज की जमानत रदद होने के बाद भी उसे अरेस्ट नहीं किया। देशराज पावर कारपोरेशन में निदेशक इलेक्ट्रिकल थे और वो विमल नेगी के बॉस थे।बाद में वो सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत ले आए थे ।
पुलिस की इस करतूत के बाद दिवंगत विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा कर सीबीआई जांच की मांग कर दी थी।आज अदलात ने उनकी याचिका को मंजूर कर लिया।
बाकी विवरण हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद
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