शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र व शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह बीते रोज शिमला के दौरे पर आए किसान नेता राकेश टिकैत को लेकर उनकी ओर से अपने फेसबुक पन्ने पर की गई टिप्पणी को लेकर घिर गए है और उन्हें 24 घंटों से पहले की अपने रुख से बदलना पड़ा है। विक्रमादित्य ने आज कहा कि वि टिकैत का सम्मान करते है।
बीते रोज सोलन में टिकैत और एक आढ़ती के बीच हुई जुबानी जंग के बाद विक्रमादित्य सिंह ने शाम को अपने फेसबुक पन्ने पर लिखा कि हिमाचल के बागवान और किसान अपनी आवाज़ उठाने के लिए सक्षम हैं और कांग्रेस पार्टी और वह खुद उनके पीछे खड़े हैं। उन्हें बाहर के लोगों की और ख़ासकर ऐसे लोग जिनको हिमाचल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में मालूम नहीं है की आवश्यकता नहीं है। राकेश टिकैत अपने राज्य में जाकर अराजकता फैलाए,देवभूमि हिमाचल को आवश्यकता नहीं। इसके बाद कांग्रेस पार्टी व बागवानों के बीच इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हुई ।
उधर आज विक्रमादित्य सिंह की ओर से बाकायदा एक विज्ञप्ति जारी की गई है जिसमें उन्होंने यह तो आज भी दोहराया कि कांग्रेस किसानों व बागवानों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय सहन नहीं करेगी व प्रदेश के किसान व बागवान अपनी कोई भी आवाज उठाने में पूरी तरह सक्षम है।उन्होंने कहा कि इससे पहले भी प्रदेश के बागवान अपनी मांगों को लेकर लड़ाई लड़ चुके है और आगे भी लड़ने को तैयार है।
विक्रमादित्य सिंह ने पिछले कल सोलन में किसान नेता राकेश टिकैत के साथ एक व्यक्ति से हुए वाद विवाद को अनावश्यक बताते हुए कहा कि नेता हो या कोई आम व्यक्ति सभी को अपनी भाषा पर संयम रखना चाहिए,और एक शिष्टाचार होना चाहिए।उन्होंने कहा कि उन्हें प्रदेश में किसान नेता टिकैत के आने से कोई आपत्ति नहीं है।उन्हें आपत्ति केवल अभद्र भाषा से है।
जब कोई इस प्रकार का विवाद या तनाव पैदा हो जाता है तो यात्रा या किसी भी आंदोलन का असली मकसद पीछे रह जाता है।उनका कहने का यही मकसद भी था।वह राकेश टिकैत का सम्मान करते है ,वह किसानों की एक बड़ी लड़ाई लड़ रहे है और किसान आंदोलन का वह स्वम् भी समर्थन करते है।
विक्रमादित्य सिंह ने प्रदेश की जयराम सरकार पर आरोप लगाया कि वह प्रदेश में सेब बागवानों के हितों की रक्षा करने में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने खुद किसानों व बागवानों के मुद्दों को सदन में भी उठाया है। प्रदेश में पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार के समय कोल्ड स्टोर खोले गए, सरकारी विपणन व्यवस्था शुरू की,साथ मे न्यूनतम समर्थन मूल्य शुरू किया था।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में लकड़ी के बक्सों की जगह गत्ते की पेटियों का प्रचलन कांग्रेस सरकार ने ही शुरू किया था।इसके लिये गुम्मा के प्रगति नगर में एक बड़ी गत्ता फेक्ट्री भी स्थापित की थी।उन्होंने कहा कि वीरभद्र सरकार ने बागवानी विकास के लिये 1400 करोड़ का एक प्रोजेक्ट भी लाया था, जो वर्तमान सरकार की उपेक्षा का शिकार बना है।विक्रमादित्य सिंह ने सेब के दामों में निरंतर हो रही गिरवाट पर सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।उन्होंने कहा कि बागवानों को उनकी लागत का उचित दाम मिले, इसे पूरी तरह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
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