शिमला।हिमाचल प्रद्रेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.डी.एन.वाजपेयी ने कहा है कि किसी भी शोधार्थी को स्वयं अपने मानक बनाने चाहिए तथा उन मानकों को धीरे-धीरे अपना लक्ष्य बनाना चाहिए तभी कोई भी शोध पूर्णता कीओर आगे बढ़ता है। वे आज विश्वविद्यालय में आयोजित 21 दिवसीय अनुसंधान प्रणाली कार्यशाला के समापन अवसर पर बोल रहे थे।
यह कार्यशाला संयुक्त रूप से संगीत विभाग एवं निजी क्षेत्र की संस्था ‘प्रतिभा स्पन्दन’ द्वारा आयोजित की गई थी। इस कार्यशाला में लगभग 60 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें न केवलसंगीत विभाग बल्कि प्रबन्धन, वाणिज्य, इतिहास, राजनीति शास्त्र, हिन्दी, संस्कृत विभाग समेत 14 विभागों के शोधार्थियों और छात्रों ने भी इस कार्यशाला में भाग लिया। यह कार्यशाला विशेष रूप से अनुसंधान की कार्यविधि के साथ-साथ सांख्यिकी के प्रसंस्करण के लिए भी आयोजित की गई थी।
कुलपति ने कहा कि हमें निरन्तर आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए लेकिन इस प्रक्रिया में आत्म चिन्तन और आत्म मंथन करना इसलिए ज़रूरी हो जाता है कि दिल और दिमाग के अन्दर से जो आवाज़ और भावना निकलकर आती है वह अत्यन्त महत्वपूर्ण इसलिए हो जाती है क्योंकि मन की तपस्या से ही संसार और समाज में कोई व्यक्ति तभी स्थापित हो सकता है यदि वह मन की बात सुनकर समाज में घटित हो रहे प्रकरणों से जोड़कर देखे। उन्होंने कहा कि हमें यह सब करने में गम्भीरता आनी चाहिए तभी हम स्वावलम्बी हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अनुसंधान में नैतिकता का एक अपना स्थान होता है और वर्तमान युग में हमें सूचना संचार तकनीकी का सदुपयोग करना चाहिए, उसका दुरूपयोग बिलकुल भी नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निजी और सरकारी क्षेत्र को मिलजुल कर प्रयास करने चाहिए। कुलपति ने कहा कि शीघ्र ही हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और प्रतिभा स्पन्दन संस्था शैक्षणिक गतिविधियों के अदान-प्रदान के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे।
कुलपति ने इस अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए। कुलपति ने केशव शर्मा व डॉ. मृत्युन्जय शर्मा द्वारा लिखित ‘अनुसंधान प्रणाली लेख’ नामक पुस्तक का भी विमोचन किया। इस पुस्तक में अनुसंधान से सम्बन्धित सभी पहलुओं और पद्धतियों का विस्तार से विवरण किया गया है। इस अवसर पर ललित कला संकाय अधिष्ठाता, आचार्य आर.एस.शांडिल, आचार्य जीत राम और आचार्य पी.एन बन्सल भी उपस्थित थे।
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