शिमला।पति सुखविंदर सिंह सुक्खू के मुख्यमंत्री होने के बावजूद पत्नी कमलेश ठाकुर देहरा में जीत के लिए बुरी तरह से छटपटा रही हैं। कभी ‘ध्याण’और मायके का टोटका चला रही है तो कभी देहरा वालों के काम के लिए पति सुक्खू से भिड़ जाने का दांव चल रही हैं। शायद कमलेश ठाकुर को ये नहीं मालूम कि ये राजनीतिक टोटके हिमाचल में कम ही चलते हैं।
बेहतर होता वह देहरा के लिए कोई खास ब्लूप्रिंट लेकर जनता के बीच जाती।
ये छटपटाहट इसीलिए भी है क्योंकि उनके पति सुक्खू की सरकार पिछले डेढ साल में प्रदेश में अपनी हलकी सी छाप छोड़ने में भी नाकाम रही है। इसके अलावा वह सोलन नगर निगम , अर्की नगर परिषद में उठापटक होने से लेकर पूर्ण बहुमत होने के बावजूद राज्यसभा की सीट हारने का तमगा अपने सीने पर चिपका चुके है। इस तमगे को छाती से चिपकाए रहने के बाद लोकसभा की चारों सीटें और उप चुनाव में दो विधानसभा की सीटें हार जाने के बाद ये एहसास हो गया है कि सरकार जनता से राफता बनाने में नाकाम रही हैं।
जनता में सुक्खू व उनकी जुंडली की पकड़ न के बराबर हैं। अब तो आलम ये हो गया है कि डेढ साल की सरकार पर उनके अपने पुराने सखा व अब भाजपा विधायक सुधीर शर्मा भ्रष्टाचार के इल्जामों का प्रेट्रोल छिड़क उनकी राजनीतिक लंका को जलाने की मुहिम में आगे बढ़ रहे है और सुक्खू उनका कुछ बिगाड़ नहीं पा रहे हैं।
यह तो होना ही था। सुक्खू सरकार ने सत्ता में आने के बाद से ही पूर्व सरकार के तमाम भ्रष्टाचार के कारनामों को नजरअंदाज कर जनता का भरोसा शुरू के छह महीनों में ही खो दिया था। भ्रष्टाचार पर ये सरकार कुछ करेगी इस बावत तो तमाम बाबूओं को पहले के तीन महीने में ही एहसास हो गया था। उसके बाद बाकी कांग्रेस नेताओं को इसका इल्म हुआ और धीरे –धीरे ये आहट आम कार्यकर्ताओं व जनता तक पसर गई।
इसके अलावा प्रशासनिक अराजकता का तो सुक्खू सरकार में डंका ही बज गया।ऐसे में कमलेश ठाकुर का पति सुक्खू के मुख्यमंत्री होने के बावजूद छटपटाना हैरान करने वाला नहीं हैं। ये दीगर है कि देहरा में भाजपा के भीतर दरारें बेहद गहरी व चौड़ी है ऐसे में संभवत: उसका लाभ सुक्खू व कमलेश को मिल भी जाए लेकिन सुक्खू के अपने घर व कमलेश के पीहर हमीरपुर में भाजपा प्रत्याशी आशीष शर्मा ने सुक्खू की चूलें हिला तक रखी हैं।
वह डंके की चोट पर तमाम कांड करने के बावजूद विजय पथ पर सफल होने का दावा कर रहे है और सुक्खू की नाक के नीचे वह कामयाब हो भी जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यहां भाजपा में अपने सखाओं को साधने में सुक्खू अगर कामयाब हो पाए तो शायद परिणाम उनके मनमाफिक आए जाए और पुष्पेंद्र वर्मा विधानसभा पहुंच पाए। बहरहाल, स्थिति विकट है।
ऐसे में देहरा में पत्नी कमलेश ठाकुर ही नहीं हमीरपुर में कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पेंद्र वर्मा और नालागढ़ में कभी हालीलाज के वफादार रहे हरदीप बावा की छटपटाहट भी कम नहीं हैं। याद रहे कि मोदी लहर में 2014 में खुद मुख्यमंत्री होने के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी मंडी से अपनी पत्नी प्रतिभा सिंह को नहीं जीता पाए थे। लेकिन तब वीरभद्र सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भाजपा के उग्र हमले तारी थे। लेकिन सुक्खू के साथ तो ऐसा कुछ भी नहीं था।
ये सब सुक्खू सरकार की पिछली डेढ़ साल की कारगुजारियों का नतीजा है । बस अब इंतजार 13 जुलाई का हैं।पत्नी के हार जाने का गम तो फिर पत्नी से हार जाने से कहीं ज्यादा दाहक होता हैं।
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