शिमला।स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत हिमाचल प्रदेश वर्ष 2019 से पहले शत-प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने के लिये प्रयासरत है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सरकार द्वारा कारगर प्रयास किये जा रहे हैं। निर्मल भारत अभियान के अन्तर्गत प्रदेश को बाह्य शौचमुक्त बनाने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों के शत-प्रतिशत घरों में शौचालयों का निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। सरकार द्वारा वर्ष 2022 तक प्रदेश को बाह्य शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे अब स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2019 तक निर्धारित किया गया। इसके लिये निजी तौर पर, सामुहिक, संस्थागत और सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करके और प्रत्येक गांव में पानी की लाईनें विछाकर इन शौचालयों में नल और जल होना अनिवार्य बनाया जा रहा है।
गांवों में स्वच्छता को सुनिश्चित बनाने के लिये ग्राम पंचायतों के माध्यम से प्रभावी ठोस व तरल कूड़ा-कचरा प्रबन्धन सुनिश्चित बनाया गया है।
निर्मल हिमाचल का दर्जा हासिल करने के लिये राज्य सरकार ने सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान को सार्वजनिक तौर पर मांग आधारित और जन-केन्द्रित कार्यक्रम बनाने के लिये कार्ययोजना को स्वीकृति प्रदान की है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के सभी वर्गों को सम्मिलित करके सफाई और स्वास्थ्य को लेकर उनकी सोच में व्यवहारिक बदलाव लाना है। स्वच्छता अभियान निरन्तर बना रहे और प्रदेश की उपलब्धियां लगातार बढ़ें, इसके लिये निर्मल ग्राम पुरस्कार के सार्वभौमिकरण को प्राथमिकता प्रदान की गई है।
वर्ष 2013 के आरम्भ में किये गये सर्वेक्षण के आधार पर पाया गया कि हिमाचल प्रदेश में कुल 1483562 घरों में से 1274555 घरों में शौचालय सुविधा थी, और लगभग अढाई लाख घरों को अभी यह सुविधा प्रदान करवानी शेष है। स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत संशोधित परियोजना में हिमाचल प्रदेश को 852.55 करोड़ रूपये की राशि मंजूर की गई है, जिसमें से पहली किश्त के रूप में 48 करोड़ रूपये प्राप्त हुए हैं। प्रदेश में कुल 2.2 लाख निजी शौचालयों का निर्माण किया जाना है, जिसमें से अभी तक 54000 शौचालय बनाए जा चुके हैं और स्कूलों में 1200 शौचालयों का निर्माण प्रगति पर है। सरकार का प्रयास है कि प्रदेश को निर्धारित समयावधि 2019 से पहले ही बाह्य शौच मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाये।
प्रदेश सरकार ने अनेक योजनाओं को निर्मल भारत अभियान के साथ जोड़ा है, ताकि इस क्षेत्र में हासिल उपलब्धियों के लिये प्रोत्साहन और पुरस्कार प्रदान करके और गतिशील व प्रभावी बनाया जा सके। निर्मल पंचायतों के लिये महर्षि बाल्मिकी सम्पूर्ण स्वच्छता पुरस्कार योजना के अन्तर्गत राज्य, जिला, उपमण्डल और खण्ड स्तर पर हर वर्ष 1.48 करोड़ रूपये की पुरस्कार राशि का प्रावधान किया गया है। स्कूलों की सफाई इस अभियान का मुख्य हिस्सा है, इसके लिये जिला और खण्ड स्तर पर सबसे स्वच्छ स्कूल को पुरस्कृत किया जा रहा है। इसी तरह महिला मण्डलों की अभियान में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित बनाने के लिये महिला मण्डल प्रोत्साहन योजना आरम्भ की गई है, जिसके अन्तर्गत जिला स्तर पर निर्मल ग्राम पुरस्कार दिये जा रहे हैं।
राज्य सरकार ने प्रदेश की सभी 3243 ग्राम पंचायतों में चरणबद्ध तरीके से ठोस-कूड़ा कचरा प्रबन्धन व्यवस्था करने का निर्णय लिया है, और पहले चरण में सभी जिलों में 477 पंचायतों को चिन्हित किया गया है। ग्रामीण स्तर पर सफाई को लेकर जागरूकता कार्यक्रमों का नियमित तौर पर आयोजन किया जा रहा है, इसके लिये सूचना, शिक्षा व सम्प्रेषण के लिये बजट में पर्याप्त प्रावधान किया गया है ताकि स्वच्छता के प्रति प्रदेशभर में जन-चेतना लाई जा सके।
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