शिमला। किसान नेता राकेश टिकैट ने हिमाचल के बागवानों व किसानों को आगाह किया है कि अगर उन्होंने आज भी ‘कंपनी राज’ के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद नहीं की तो असम के चाय बागानों की तरह उनके सेब बगीचों पर भी कंपनियों का कब्जा हो जाएगा। उनकी जमीनें कंपनियां खरीद लेंगी और वह अपनी ही जमीन पर मजदूर बनकर रह जाएंगे।
भारतीय किसान संघ के नेता राकेश टिकैत अदानी कंपनी की ओर से इस बार पिछले साल से 16 रुपए प्रति किलो कम सेब की कीमत तय करने के बाद बागवानों में फैले रोष के बीच अपने हिमाचल के पहले दौरे पर राजधानी पहुंचे थे। वह यहां पर संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों व बागवानों की ऊपजों के कारोबार का धंधा आज से सद साल पहले हिमाचल से ही शुरू हुआ था जब अदानी कंपनी ने यहां से सेब का कारोबार शुरू किया था। उसके बाद धीरे -धीरे देश भर में बाकी कंपनियां भी किसानों की उपजों को खरीद फरोख्त के धंधे में आ गई और आज नतीजे सामने आ गए है। उन्होंने इस तरह से इन बड़ी कंपनियों के इस तरह कृषि उपजों के कोराबार में जुड़ने का तब भी विरोध किया था। आज उनके अंदेशे सामने आ गए है।
प्रदेश में एक ही कंपनी ने बाजार में सेब की दरें कम करने का रास्ता खोल दिया है। ये कीमते जब किसानें की फसल बाजार में आनी होती है तो कवेल दो महीने के लिए ही कम होती है। जब इन कंपनियों को किसानों व बागवानों से सस्ते में खरीदी फसल को अपने भंडारों में जमा करने के बाद बेचना हो तो दस महीनों तक इनकी कीमतें हमेशा ही बढ़ी रहती है। किसानी व बागवानी के मामले में इस तरह कंपनी राज को नहीं चलने दिया। प्रदेश में सेब का बाजार ढह गया है। वह यह सब दिल्ली में नौ महीनों से आंदोलन पर बैठे किसानों से साझा करेंगे। इसके अलावा जब केंद्र सरकार से बातचीत होगी तो उनसे भी यह सब साझा करेंगे। हिमाचल का ये मॉडल नहीं चलेगा। कंपनियों को किसानों व बागवानों के उपजों की दरों को प्रभावित करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
टिकैत ने कहा कि सेब के जो दाम 2011 में किसानों व बागवानों को मिल रहे थे वही दाम आज भी मिल रहे है। क्या इन दस सालों में महंगाई नहीं बढ़ी। कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ा , पेट्रोल, डीजल की कीमतें नहीं बढ़ी। खाद व कीटनाशकों की कीमतें नहीं बढ़ी।टिकैत नेता का कि सब बढ़ा । केवल किसानों की उपजों के दाम नहीं बढ़े।
उन्होंने कहा कि शिमला अभी ठंडा हैं इसे गर्म करना पड़ेगा। प्रदेश के किसान दिल्ली आंदोलन में जुड़ते रहे है। अब भारतीय किसान संघ और संयुक्त किसान मोर्चा प्रदेश के किसान संगठनों और अन्य गैर सरकारी संगठनों से संपर्क कर प्रदेश में संगठन को मजबूत करेगा। अगर किसानों व बागवानों को बचना होगा तो उन्हें लड़ना ही पड़ेगा। उन्होंने जयराम सरकार को आगाह किया कि शिमला कब दिल्ली बन जाए इसमें वक्त नहीं लगेगा। इसलिए किसानों की मांगों पर उनसे हो रहे शोषण को लेकर कदम उठाए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि सेब व सब्जी उत्पादकों को परिवहन सबसिडी मिलनी चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या कृषि को उदयोग का दर्जा दे देना चाकहिए। टिकैत ने कहा कि दे दो। किसान कर देने को भी तैयार है लेकिन उसे अपनी उपज की कीमत तो मिलनी चाहिए।
सोलन में हंगामा
आज सुबह अपने साथियों के साथ टिकैत सोलन में सब्जी मंडी में उतरे व वहां पर उनके समर्थकों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इस पर एक आढ़ती ने इस पर आपति जताई व कहा कि इस तरह की नारेबाजी यहां न करे। नारेबाजी करनी है तो वह दिल्ली में करे। इस पर गाड़ी से उतरते हुए टिकैत ने कहा दिया कि क्या यह जगह तुम्हारे बाप की है। इस पर हंगामा हो गया और आढती ने भी कह दिया कि तो क्या तेरे बाप की है।
किसी तरह पुलिस ने बीच बचाव किया व दोनों पक्षों को अलग किया। टिकैत ने कहा कि इस तरह आवाज बंद नहीं की जा सकती। राजधानी में पत्रकारों ने इस बावत टिकैत से पूछा की उन्होंने इस तरह की भाषा का इस्तेमाल क्यों किया । टिकैत ने सफाई देते हुए कहा कि वह आढ़ती शराब पीकर था।
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