शिमला।मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सबसे लाडले व भरोसेमंद पुलिस अफसर शिमला एसपी संजीव गांधी को सुक्खू के मुख्यमंत्री रहते ही पद से निलंबित करने की डीजीपी अतुल वर्मा की सिफारिश ने पुलिस महकमे में हाहाकार मचा दिया हैं।
ये सब कारनामे तब हो रहे है जब मुख्यमंत्री दिल्ली में वितायोग की बैठकों के साथ प्रधानमंत्री और तमाम केंद्रीय मंत्रियों से मंत्रणा कर रहे हैं। याद रहे बीते रोज डीजीपी अतुल वर्मा ने अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ओंकार शर्मा को एक चिटठी लिख एसपी संजीव गांधी शिमला को तुरंत पद से निलंबित करने की सिफारिश की हैं। ये सिफारिश अपने आप में चौंकाने वाली है । क्योंकि डीजीपी अतुल वर्मा इस महीने के आखिर यानी चार पांच दिन बाद 30 मई को सेवानिवृत होने वाले है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पास गृह विभाग भी है यानी डीजीपी अतुल वर्मा और अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ओंकार शर्मा सीधे सुक्खू के अधीन हैं।
अब मुख्यमंत्री के ही सबसे भरोसे के पुलिस अफसर एसपी शिमला को निलंबित करने की सिफारिश की फाइल जाहिर तौर पर मुख्यमंत्री सुक्खू तक जाएगी ।
उधर,एसपी शिमला संजीव गांधी ने जिस तरह से डीजीपी अतुल वर्मा पर इल्जामों की बौछार की है वो भी कम भयानक नहीं हैं। संजीव गांधी ने डीजीपी अतुल वर्मा पर समोसा कांड की जांच रपट मीडिया को लीक करने में डीजीपी के स्टाफ के शामिल होने का इल्जाम लगा कर सनसनी फैला दी है। यही नहीं एसपी ने यहां तक इल्जाम लगा दिए कि डीजीपी के स्टाफ में कोई है जिसके तार ड्रग्स तस्करी से भी जुड़े हैं।ये बेहद ही गंभीर इल्जाम हैं। इन इल्जामों को लेकर डीजीपी की ओर से फिलहाल अभी तक कोई सफाई पेश नहीं की गई हैं। लेकिन उल्टे एसपी को ही निलंबित करने की सिफारिश की गई हैं।
मुख्यमंत्री के गृह विभाग में जो चल रहा है उससे साफ है कि अफसरों की नजर में मुख्यमंत्री सुक्खू पंगु हो चुके है। चूंकि वह गृह मंत्री भी है व उनके जेहन में ये तमाम रपटें पहले से रही होंगी लेकिन वो इन पर अब तक क्यों खामोश रहे ये बड़े सवाल हैं। ये सवाल न्हें कटघरे में खड़ा भी करता हैं।
इससे पहले भी पूर्व डीजीपी संजय कुंडू ने सुप्रीम कोर्ट में ये हलफनामा देकर पूरे देश में सनसनी फैला थी कि 2023 में शिमला की हिमाचल रसोई में हुए धमाके में आरडीएक्स इस्तेमाल हुआ था। इस हलफनामे के बाद कायदे से देश के गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय एजेंसियों की नींद खुल जानी चाहिए थी और RDX आया कहां से इसका पता लगा दिया जाना चाहिए थाा। लेकिन ऐसा कहीं कुछ नहीं हुआ। इस मामले की जांच सीआइडी ने की व एसपी ने खुलासा किया है इसका कोई नतीजा नहीं निकला हैं। ये रसोई गैस सिलेंडर के लीक होने का ही मामला पाया गया हैं।
जबकि इसके उल्टे डीजीपी अतुल वर्मा ने एसपी संजीव गांधी को निलंबित करने के लिए जो चिटठी गृह सचिव को लिखी है, उसमें कहा है कि इस मामले की अभी जांच की जा रही है। लेकिन जांच कौन कर रहा है इस बावत वो चिटठी में मौन हो गए हैं।
सुक्खू राज में प्रदेश अफसरों ने हाहाकार मचा रखा हैं।कोई भी कुछ भी कर रहा है लेकिन जवाबदेही किसी की नहीं हैं। साफ है अफसरों ने भांप लिया है कि सुक्खू बेहद कमज़ोर मुख्यमंत्री हैं।अब अंदेशा ये जताया जा रहा है कि कहीं सुक्खू दिल्ली से लौटने के साथ डीजीपी अतुल वर्मा को सेवा विस्तार की सिफारिश केंद्र सरकार से मंजूर करवा के न ले आए। वो मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना के सेवा विस्तार की मंजूरी पहले ही केंद्र सरकार से ला चुके हैं।
दिलचस्प ये है कि मुख्य सचिव सक्सेना केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों के कांग्रेस नेता पी चिदबंरम से जुड़े एक घाटोले में सह आरोपी हैं, और केंद्र सरकार ने इसके बावजूद सक्सेना को मुख्य सचिव के पद पर सेवा विस्तार देने का फैसला किया है। हालांकि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही कटघरे में खड़ा कर देता है क्योकिं कार्मिक महकमे का जिम्मा प्रधानमंत्री के पास ही होता हैं।
(97)