शिमला। प्रदेश की सुखविंदर सिंह सरकार ने इतिहास रच दिया। हिमाचल प्रदेश में पहले मुख्यमंत्री डाक्टर यशवंत सिंह परमार से लेकर जयराम ठाकुर तक जितने भी मुख्यमंत्री हुए वह कोई भी इस तरह का इतिहास नहीं रच पाए। यह दिलचस्प तो है ही साथ ही कई प्रश्नों को भी साथ लिए हुए हैं। प्रदेश में आठ दिसंबर को विधानसभा चुनावों के परिणाम निकल गए थे।
उसके बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली रवाना हो गए व तमाम कांग्रेस विधायकों के साथ राजस्थान में राहुल गांधी के साथ भारत जोडों यात्रा में शामिल हो गए। वहां पर वह कोरोना से ग्रस्त हो गए।
बिना मंत्रिमंडल के चला दिया विधानसभा सत्र
आठ दिसंबर को कांग्रेस के पक्ष में जनादेश आने के बाद कांग्रेस विधायक दल ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को विधायक दल का नेता चुन लिया । उन्हें राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी दिला दी। साथ ही उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को भी राज्यपाल ने शपथ दिला दी। लेकिन सुक्खू ने किसी को मंत्री नहीं बनाया। उन्होंने मंत्रिमंडल का गठन ही नहीं किया। यह अपने आप में दिलचस्प भी है और प्रश्नों को साथ लिए हुए भी है। यही नहीं उन्होंने बिना मंत्रिमंडल के ही विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र भी शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री के अलावा सदन में कोई अन्य मंत्री ही नहीं था। यह अचंभित करने वाला है। संभवत: हिमाचल के सदन में आज दिन तक ऐसा कभी नहीं हुआ हैं। विपक्ष का सामना करने के लिए पूरा मंत्रिमंडल होता हैं। लेकिन तीन दिन का यह सत्र दो ही मंत्रियों यानी मुख्य मंत्री और उप मुख्यमंत्री के सहारे ही शुरू कर दिया गया।
इसे हिमाचल की विधानसभा के इतिहास में याद रखा जाएगा। साथ में सुक्खू को भी याद रखा जाएगा। साथ ही कांग्रेस पार्टी को भी याद रखा जाएगा और विपक्ष को भी और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को भी। यह रेकार्ड इतिहास बन चुका हैं।
मोदी-शाह रह गए हाथ मलते
आठ दिसंबर से लेकर अब सुक्खू ने किसी मंत्रिमंडल का गठन न कर सरकारों का तख्ता पलटने के लिए कुख्यात भाजपा नेतृत्व को खुली चुनौती दे दी। एक महीना हो जाने के बाद भी कांग्रेस के तामाम विधायक खुले रूप से घूम रहे हैं। कोई उन्हें हाथ तक नहीं लगा पा रहा हैं।हालांकि कुछ भाजपाइयों ने जरूर आपरेशन लोटस की बात चलाई लेकिन सुक्खू ने कहा कि वह आराम से सब करेंगे। जिसने जो करना है वह कर लें। सब कुछ सोच समझ कर किया जाएगा। साफ है कि वह पूरी तरह से मोदी –शाह को भी चुनौती दे रहे है कि वह आपरेशन लोटस चलाकर बतांए । साथ ही कांग्रेस के विधायकों को भी साफ कर रहे हैं कि जिन्हें इधर-उधर जाना है वह चले जाएं। अभी एक महीना होने वाला है कांग्रेस का एक भी विधायक टूट नहीं पाया है।
अब मंत्रिमंडल की गठन की शुरूआत हो रही हैं। ऐसे में देखना यह है कि क्या कोई कांग्रेसी विद्रोह करने की हिम्म्त कर पाता है या नहीं ।
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