शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस अजय मोहन गोयल की एकल पीठ की ओर से हिमाचल भवन को अटैच कर नीलाम करने बारे दिए आदेश के बाद प्रदेश की सुक्खू सरकार ने इस नीलामी रोकने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए है। इस कड़ी में सरकार की ओर से हाईकोर्ट में डब्बल बेंच में अर्जी दाखिल कर दी है।
अर्जी में इस मामले में जस्टिस संदीप शर्मा की अदालत की ओर से 13 जनवरी 2023 को सुनाए फैसले पर रोक के आदेश की बहाली का आग्रह डब्बल बेंच से किया गया है। अब इस मामले की सुनवाई आने वाले दिनों में होने वाली है।
इससे पहले इस मामले से छुटकारा पाने के लिए सरकार ने आनन फानन में 64 करोड़ रुपए की रकम जमा करा दी थी लेकिन इस रकम के साथ ब्याज की रकम जमा नहीं कराई है। ऐसे में हाईकोर्ट से इस मामले में राहत मिलेगी या नहीं इस बावत अभी कुछ भी कहना मुश्किल है।
ये है मामला
मोजर बीयर नामक कंपनी को लाहुल स्पिति में 320 मेगावाट का सेली हाइडल पावर प्रोजेक्ट तत्कालीन धूमल सरकार में 2008-09 में आवंटित किया गया था। बाद में इसमें डीपीआर बन कर तैयार हो गई और मोजर बीयर की ओर से सेली हाइडल पावर कंपनी ने इसकी क्षमता 320 से मेगावाट से 400 मेगावाट करने की मंजूरी मांगी। जिसे सरकार ने मंजूर कर दिया।
इसके बाद भी कई कुछ हुआ लेकिन कंपनी ने प्रोजेक्ट का काम शुरू नहीं किया व इसके लिए कई तरह की अड़चनों का हवाला दिया। बाद में सरकार ने इस प्रोजेक्ट के आवंटन को रदद कर दिया। इसके खिलाफ सेली हाइड्रो पावर कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अप फ्रंट मनी की 64 करोड़ रुपए की रकम लौटाने की मांग की।
तत्कालीन जयराम सरकार में 21 नवंबर 2022 को हाईकोर्ट की जस्टिस संदीप शर्मा की एकल पीठ ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया । इस बीच प्रदेश में सरकर बदल गई और 13 जनवरी 2023 को कांग्रेस की सुक्खू सरकार के कार्याकाल में एकल पीठ ने फैसला सुनाते हुए सरकार को 64 करोड़ रुपए की रकम सात फीसद ब्याज समेत हटाने का आदेश दिया।
इस फैसले के खिलाफ सुक्खू सरकार ने हाईकोर्ट की डब्बल बेंच में अपील दाखिल कर दी और अदालत से जस्टिस संदीप शर्मा की एकल बेंच के फैसले पर स्टे देने का आग्रह किया। डब्बल बेंच ने इस फैसले पर स्टे तो दे दिया लेकिन साथ ही कहा कि सरकार को ब्याज समेत अप फ्रंट मनी की पूरी रकम हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करानी होगी।
अदालत की ओर से रकम जमा कराने के लिए सरकार को कई बार समय दिया जाता रहा लेकिन रकम जमा नही हुई तो डब्बल बेंच ने स्टे को हटा दिया और रकम जमा कराने के आदेश दिए।लेकिन रकम तब भी जमा नहीं हुई।
इस बीच सेली हाइडल पावर कंपनी ने हाईकोर्ट की एकल बेंच में execution petition दायर कर दी। जस्टिस अजय मोहन गोयल ने इस याचिका की सुनवाई करते हुए सरकार को ये पूरी रकम जमा करने के आदेश दिए लेकिन सरकार की ओर से रकम को जमा करने के लिए समय मांगा जाता रहा।
आखिर में जस्टिस अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने रकम जमा न कराने पर हिमाचल भवन को अटैच करने के आदेश सुना दिए व कंपनी को कहा कि वो अपनी रकम हिमाचल भवन को नीलाम कर वसूल कर सकती है।
इस मामले में सुक्खू सरकार की जमकर फजीहत हुई।अब हिमाचल भवन की नीलामी को रोकने के लिए बीते दिनों सरकार ने 64 करोड़ हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा में करा दिए। जबकि डब्बल बेंच ने ब्याज समेत पूरी रकम जमा कराने के आदेश दे रखे है।अब सरकार ने स्टे बहाली की अर्जी दायर की है जिस पर आने वाले दिनों में सुनवाई होनी है।
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