शिमला। बोनाफाइड हिमाचलियों को हाइड्रो पावर प्रोजेक्टस लगाने में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार ने बिजली नियामक आयोग के अध्यक्ष सुभाष नेगी की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी गठित करने का फैसला लिया है। ये कमेटी एक महीने के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी। ये घोषणा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश बोनाफाइड हाइड्रो पावर डवलेपर्स एसोसिएशन की ओर से यहां आयोजित एक समारोह में की। वीरभद्र सिंह ने कहा कि स्वीकृतियां देने में जिन अधिकारियों की ओर से देरी की जाएगी उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी।
इस मौके पर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी ढेरों मांगे रखी व मुसीबतें गिनाई। एसोसिएशन ने सरकार से पांच मेगावाट तक के पावर प्रोजेक्टस हिमाचलियों के लिए आरक्षित करने की मांग की। अभी तक 2 मेगावाट के प्रोजेक्टस ही हिमाचलियों के आरक्षित है।
उन्होंने कहा 5 से 25 मेगावट तक के प्रोजेक्टस में भी हिमाचलियों को प्राथमिकताएं दी जाए।एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने कहा कि हाइड्रो नीति में 2006 के बाद इतने बदलाव किए है कि अब ये ही पता नहीं चलता है नीति के कौन से निर्देश लागू हो रहे है।
इस मौके शर्मा ने पावर प्रोजेक्टस लगाने में आ रही मुश्किलों को मुख्यमंत्री के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि किन्नौर में एक पांच मेगावाट का प्रोजेक्ट लगाने के लिए पंचायत एनओसी देने की एवज में नौ करोड़ मांग रही है।एक पंचायत 51 प्रतिशत बिजली फ्री देने की मांग कर रही है। दो मेगावाट तक का प्रोजेक्ट लगाने वाले इस तरह की मांगे कैसे पूरी कर सकते है।
एसोसिएशन ने कहा कि वन विभाग से स्वीकृतियां लेने में लंबा समय लग जाता है।एनओसी की एवज में भारी भरकम फीस वसूली जा रही है।विभाग आपस में ही एनओसी मांगते रहते है।
पिछले कई सालों से कुल्लू में सिंचाई व जन स्वास्थ्य विभाग ने एनओसी रोक रखे है।राजेश शर्मा ने कहा कि पांच मेगावाट तक के सभी प्रोजेक्टस का प्रशासनिक नियंत्रण हिमऊर्जा के पास रहे । उन्होंने हाइड्रो नीति को सरल बनाने की मांग की व कहा कि स्वीकृतियां लेने की प्रक्रिया को और ज्यादा सरल बनाया जाना चाहिए।
इस मौके पर बिजली मंत्री सुजान सिंह पठानियां ने कहा कि सरकार हाइड्रो पावर प्रोजेक्टस लगाने वालों की मुसीबतों को लेकर चिंतित है।
साई इंजीनियर फाउंडेशन के सीईओ राज कुमार वर्मा ने कहा कि 1995-96 से लेकर अब तक1275 मेगावाट के 475 छोटे पावर प्रोजेक्टस आवंटित किए गए है।जिनमें से केवल 59 प्रोजेक्टस शुरू हो पाए । अगर यही रफ्तार रही तो इन प्रोजेक्टस को शुरू होने में सौ साल लग जाएंगे।
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