शिमला। पूरे देश में पानी के भंडारण को लेकर नए से नए तरीके इजाद किए जा रहे है लेकिन हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन के कुनिहार में सदियोंं से बने ताल को स्टेडियम व शॉपिंग कॉम्प्लैक्स में बदलने का अजीबो- गरीब कारनामा दिखाया जा रहा है। दिलचस्प ये है कि स्टेडियम मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पिता महाराजा पदम सिंह के नाम पर बनाया जा रहा है। पदम सिंह रामपुर बुशहैर रियाासत के महाराज थे व अ्रगेजों की ओर से किन्नौर पर लिखे गजेटियर में उनको लेकर काफी जिक्र है।
मजे की बात ये है कि प्रदेश में स्टेडियम बनाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व उनके पुत्र अनुराग ठाकुर खासे विवादित हो चुके है। अब मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी उसी लाइन पर जा रहे है।चूंकि स्टेडियम उनके पिता के नाम पर बन रहा है तो जाहिर है उनकी हामी भी ली होगी। अगर ऐसा नहीं होता तो डीसी सोलन से लेकर बी डीओ कुनिहार,डीएफओ कुनिहार,एसडीएम अर्की केअलावा पीडब्ल्यूडी व आईपीएच केे आला अफसर रॉकेट की रफ्तार से फाइले आगे नहीं बढ़ाते। स्टेडियम का निर्माण स्थानीय पंचायत की ओर से किया जा रहा है, ये भी दिलचस्प है
लेकिन कुछ स्थानीय लोगों ने इस सारे खेल पर फिलहाल पानी फेर कर प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है। इनमें जोगेंद्र कंवर रघुवीर कंवर,सतीश ठाकुर सरीखे कई लोग शामिल है।याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर फिलहाल इस स्टेडियम के निर्माण पर स्टे दे दिया है व अब विभिन्न विभागों के अफसरों की कमेटी से पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी है और मामले की सुनवाई 23 जून को होगी। इस दिन प्रशासनिक कमेटी ने अदालत में रिपोर्ट जमा करानी है। उम्मीद है कि वो रिपोर्ट भी दिलचस्प होगी।
हालांकि याचिकाकर्ता केे वकील रमन पराशर ने अदालत में मौखिक तौर पर अपनी ओर आपति जाहिर कर दी कि जिनसे रिपोर्ट मांगी जा रही है वो मामले में पार्टी है व याचिका कर्ता को इस कमेटी में शामिल नहीं किया गया है।हालांकि हाईकोर्ट ने रिपोर्ट आने तक याचिकाकर्ता को सब्र करने को कहा है। ये ताल पांच सौ साल से भी पहले का बताया जा रहा है।
याचिकाकर्ता के मुताबिक पंचायत ने इस जमीन को ग्रामीण विकास विभाग के नाम करने की अभियान भी छेड़ा ।चूंकि स्टेडियम ग्राम पंचायत बना रही है तो सरकारी जमीन पर सदियोंं से बने इस ऐतिहासिक ताल पर जमीन हस्तांंतरण कराए बगैर काम नहीं हो सकता।
याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट में कुछ दिलचस्प तथ्य सामने आए है।याचिका कर्ता ने कहा है कि ताल को स्टेडियम के रूप में बदलने के लिए इसमें 2000 के करीब टिपर मिट्टी व मलबे के डाल दिए गए है। कई जगहों पर वन विभाग ,पीडब्ल्यू डी की भूमिका भी रही है। अदालत में एक सीडी भी पेश की गई है। सबसे दिलचस्प पंचायत का जवाब है। जिसमें कहा गया है कि जो संस्था इस मामले को लेकर अदालत आई हैं उसके कई सदस्योंं ने इस ऐतिहासिक ताल पर अतिक्रमण कर रखा है।अदालत में याचिकाकर्ताओं ने पटवारी से आर के तहत ली जानकारी जमा करा दी । पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि किसी का अतिक्रमण नहीं है।
पंचायत का एक प्रस्ताव भी सामने आया है। प्रस्ताव केमुताबिक पूर्व उप प्रधान की अध्यक्षता में पंचायत की बैठक हुई व प्रस्ताव पास किया गया ताल को समतल बनाया जाए आदि। लेकिन याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में कहा कि ये प्रस्ताव गैरकानूनी है। जब ये प्रस्ताव पास किया था उस में पंचायत चुनावों को लेकर प्रदेश में आचार संहित लगी हुई थी।एक प्रस्ताव इसके बाद का भी रिकार्ड पर आया है। याचिका कर्ता ने अदालत में कहा कि ये प्रस्ताव उस दिन का है जिस दिन नव नियुक्त पंचायत सदस्योंं की शपथ दिलाई गई थी।
कायदे से इन प्रस्तावों को लेकर बीडीओ, एसडीएम व डीसी को जांच कर देनी चाहिए थी। लेकिन कहीं कुछ नहीं हुुआ है।चूंकि स्टेडियम मुख्यमंत्री के पिता के नाम पर बन रहा है तो सरकारी बाबू शायद अपने स्तर कुछ करेे। मजे की बात ये है कि रिकार्ड पर कई दिलचस्प चीजें आ रही है। मजे की बात ये है कि इस ताल को सजाने -संवारने पर पिछले 10 -15 सालों में पंचायती राज विभाग, नरेगा व बाकी विभागों की ओर से 50 लाख के करीब खर्चा किया जा चुका है। उधर, स्थानीय लोगों का कहना है कि ताल के स्वरूप को नहीं बदला जाना चाहिए । अगर स्टेडियम बनाना ही है तो कहीं और जगह बनाया जा सकता है।वैसे भी स्टेडियम बनाना खेल विभाग का काम होता है पंचायतों के पास तो विशेषज्ञता ही नहीं होती है।
यहां ये महत्वपूर्ण है कि पिछले 15 सालों से अर्की विधानसभा हलके से कांग्रेस के प्रत्याशी की हार होती रही है। कांग्रेस में यहां पर वीरभद्र ,स्टोक्स धड़े के अलावा यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी के लाडले भी कई महत्वकक्षाएं पाले हुए है।वीरभद्र सिंह के अपरोक्ष समर्थन के बावजूद 2003 के विधानसभा चुनावों में पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष धर्मपाल ठाकुर की बहुत बुरी हार हुई थी। तब कांग्रेस पार्टी के अधिकृत प्रत्यायशी प्रकाश कराड़ सोनिया गांधी के दरबार से टिकट ले आए थे।धर्मपाल के बतौर आजाद प्रत्याशी मैदान में होने से वो बुरी तरह से हारे थे। चुनावों के दौरान तब सोनिया गांधी के खिलाफ जमकर नारेबाजियां हुई थी। दिसंबर 2007 में भी नया चेहरा संजय अवस्थी सोनिया के दरबार से टिकट ले आए और वीरभद्र गुट के व्यक्ति को टिकट नहीं मिला तो वीरभद्र सिंह केे खासमख्ाास अमरचंद पाल बतौर आजाद उममीदवार खड़े हो गए। न संजय अवस्थी जीते और न ही अमरचंद पाल। भाजपा के गोबिंद शर्मा यहां से दूसरी बार लाटरी लगी।
अब ऐतिहासिक ताल को लेकर नया बखेड़ा शुरू हो गया है। कुनिहार केे ही लोग ताल से छेड़छाड़ करने के खिलाफ उठ खड़े हो गए है। चूंकि लोगों की इस ऐतिहासिक ताल को लेकर अलग -अलग मान्यताएं व जुड़ाव है, सो इस बार कांग्रेस के लिए ये मुददा कहीं ताल में ही न डूबो दे, इसका खतरा पैदा हो गया है।ताल से हो रही छेड़छाड़ को लेकर अर्की कांग्रेस खामोश है । आखिर खामोश हो भी क्यों न ये मुख्यमंत्री के पिता के नाम पर जो बन रहा है। बहरहाल मामला हाईकोर्ट में है। देखना है कि इस मसले पर क्या फैसला आता है और प्रशासन की रिपोर्ट में सरकार के बाबू क्या लिख कर देते है।
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