शिमला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीन अक्तूपबर को अटल टनल को राष्ट्र के नाम समर्पित करने के बाद इस टनल के निर्माण को 2012 में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से लगाई गई शिलान्यास पटिटका को हटा देने के मामले में बवाल मच गया है। इसके साथ ही इस मसले पर जयराम सरकार ही नहीं केंद्र की मोदी सरकार भी कटघरे में खड़ी हो गई है।अगर यह किसी शरारती तत्वों का काम है तो ये कानून व्यवस्था का मसला है और प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय गृह मंत्रालय या जयराम सरकार के इशारों पर ऐसा हुआ है तो इस मसले पर बवाल मचाना लाजिमी है। धुंधी में लगी इस पटिटका में सोनिया गांधी के साथ –साथ प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का नाम भी लगा हुआ था।
अब इस मसले पर कांग्रेस पार्टी उग्र हो गई ।कांग्रेस अध्यतक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने आज इस मसले पर संवाददाता सम्मेलन में सरकार को आगाह किया इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्हों्ने इस बावत मुख्यगमंत्री जयराम ठाकुर को दो पन्नों की चिटठी भी लिखी है व सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर इस पटिटका को उसी स्थाान पर नहीं लगाया गया तो पार्टी सड़कों पर उतर कर आंदोलन छेड़ देगी।उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने इस मामले में एफआइआर दर्ज कराने का भी फैसला लिया है। राठौर ने इस बावत पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू को भी शिकायत भेजी है।
राठौर ने इस तरह पटिटका के हटाने को लोकतंत्र का अपमान करार दिया है व भाजपा पर इल्जा म लगाया है कि वह लोकतंत्र की मर्यादाओं से खिलवाड़ कर रही है। भाजपा इतिहास से छेड़छाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि 28 जून 2010 को यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तत्कालीन केंद्रीय इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह व प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की उपस्थिति में इस टनल की आधारशिला रखी थी।उन्होंने कहा कि उन्हें यह जान कर बड़ी हैरानी हुई है कि सोनिया गांधी की वह पट्टिका वहां से गायब है।उन्होंने कहा कि इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार और पुलिस की है।
कांग्रेस किसानों के साथ
राठौर ने कांग्रेस के किसान बचाओ आंदोलन को सफल करार देते हुए कहा कि कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी है और नए कृषि कानून का विरोध जारी रहेगा।उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 1965 में एपीएमसी एक्ट ला कर किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य देने का जो प्रावधान किया था।नए कानून में उसे खत्म कर दिया गया है। सरकार ने जल्दबाजी में लोकसभा बैठक के दौरान पहले अध्यादेश लाया फिर राज्यसभा में बगैर चर्चा के इसे पारित कर दिया और राष्ट्रपति ने रातों रात इस कानून पर अपने हस्ताक्षर भी कर दिए।उन्होंने आरोप लगाया कि इस कानून से देश का किसान अपनी फसल को पहले ठेके पर उगाएगा। बाद में उसे ठेकेदारों को उनकी इच्छा नुसार बेचने पर मजबूर होगा।किसान ठेकेदार का गुलाम बनेगा।देश मे जमाखोरी बढ़ेगी और बड़े उद्योगपतियों का बोलबाला होगा।
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